
भारत सिंधु जल संधि खत्म करने के बाद कैसे रोकेगा पाकिस्तान का पानी?
क्या है खबर?
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ठोक कदम उठाए हैं।
इसमें सिंधु जल संधि को खत्म करना प्रमुख रहा है। अब भारत ने पाकिस्तान में जाने वाले सिंधु नदी के पानी के प्रवाह को भी रोकने का फैसला किया है। इसके लिए सरकार ने 3 तरह की योजनाएं तैयार की है।
सरकार का कहना है कि वह पाकिस्तान को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसा देगी। आइए पूरी खबर जानते हैं।
तैयारी
जल शक्ति मंत्री ने बताई योजना
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर दोपहर में हुई एक बैठक में सिंधु जल संधि पर भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा की गई।
इसके बाद जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने बताया कि पाकिस्तान को जलापूर्ति न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए 3 योजनाएं (दीर्घकालिक, अल्पकालिक और मध्यावधि) बनाई गई हैं। सरकार अपने फैसले को लागू करने के दौरान किसी भी तरह की कानूनी चुनौतियों सहित हर मुश्किल से निपटने के लिए तैयार है।
चुनौती
सरकार ने कानूनी चुनौतियों से निपटने की क्या की तैयारी?
जल शक्ति मंत्री पाटिल ने बताया कि अगर पाकिस्तान सिंधु जल संधि खत्म करने को लेकर विश्व बैंक से संपर्क करने का फैसला करता है, तो भी भारत ने अपनी प्रतिक्रिया तैयार कर ली है और प्रभावी ढंग से इसका जवाब दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि भारत अपने कदम से पीछे नहीं हटेगा और जल्द ही पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। भारत के प्रयासों से पाकिस्तान के बड़ा झटका लगना तय है।
योजना
भारत कैसे रोकेगा पाकिस्तान का पानी?
भारत ने पाकिस्तान का पानी रोकने के लिए तैयार की गई दीर्घकालिक योजनाओं में नदियों पर बने बांधों से गाद निकालकर उनकी क्षमता को बढ़ाने, नदी के पानी की दिशा बदलने के विकल्प तैयार करने और नए बांधों के निर्माण को शामिल किया है।
हालांकि, सरकार ने यह भी निर्णय किया है कि योजना के कार्यान्वयन के दौरान किसी भी तरह से भारतीय नागरिकों को कोई असुविधा नहीं होनी चाहिए। इसके लिए विशेषज्ञों से भी चर्चा की जाएगी।
परियोजनाएं
भारत की इन परियोजनाओं से भी पाकिस्तान में हो सकती है पानी की किल्लत
भारत ने सिंधु नदी जल संधि पर सालों की मेहनत से अपनी स्थिति मजबूत की है। कई ऐसी परियोजनाओं को विकसित किया गया है, जिनसे पाकिस्तान में जाने वाली नदियों की पानी रोका जा सकता है।
इनमें झेलम की सहायक नदी किशनगंगा पर संचालित जलविद्युत परियोजना, चिनाब नदी पर बनी रातले जलविद्युत परियोजना, झेलम नदी पर स्थित तुलबुल नेविगेशन परियोजना, रावी नदी पर बना शाहपुरकांडी बांध और ऊझ बहुउद्देशीय परियोजना शामिल हैं।
ये सभी पाकिस्तान को परेशानी दे सकती है।
कारण
इन परियोजनाओं से कैसे पड़ेगा असर?
किशनगंगा जलविद्युत परियोजना 2018 में शुरू की गई थी। इसमें 23 किलोमीटर लंबी सुरंग के जरिए किशनगंगा नदी का पानी झेलम नदी बेसिन में डायवर्ट किया जाता है। 330 मेगावाट की यह परियोजना पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय रही है।
2013 में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायालय ने भारत को न्यूनतम 9 क्यूमेक्स पानी पाकिस्तान की ओर छोड़ने की शर्त पर इस परियोजना की मंजूरी दी थी। अब भारत संधि के खत्म होने से इस पानी को रोक सकता है।
जानकारी
तुलबुल नेविगेशन परियोजना भी है परेशानी का सबब
1987 में पाकिस्तान के विरोध के बाद इस परियोजनों को निलंबित कर दिया था, लेकिन 2016 के उरी हमले के बाद इसे फिर से शुरू कर दिया गया। यह परियोजना पाकिस्तान जाने वाली पानी को नियंत्रित करती है और अब उसे तकलीफ दे सकती है।
अधिसूचना
भारत ने अधिकारिक तौर पर जारी की निर्णय की अधिसूचना
भारत ने गुरुवार को सिंधु जल संधि को खत्म करने की आधिकारिक अधिसूचना जारी कर पाकिस्तान को भी इसकी कॉपी भेज दी है।
जल संसाधन सचिव देबाश्री मुखर्जी ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष सैयद अली मुर्तजा को लिखे पत्र में कहा कि जम्मू-कश्मीर को निशाना बनाकर पाकिस्तान द्वारा जारी सीमा पार आतंकवाद सिंधु जल संधि के तहत भारत के अधिकारों में बाधा डालता है। ऐसे में भारत ने अब इस संधि को खत्म करने का फैसला किया है।
संधि
क्या है सिंधु जल संधि?
विश्व बैंक की मध्यस्थता से 1960 में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी।
इसके तहत सिंधु घाटी में बहने वाली 3 पूर्वी नदियों (रवि, सतलज, व्यास) पर भारत का, जबकि 3 पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) पर पाकिस्तान का अधिकार है।
नदियां भारत से होकर बहती हैं, इसलिए पश्चिमी नदियों के 20 प्रतिशत पानी पर भारत का अधिकार है, वो सिंचाई समेत अन्य परियोजनाओं में इसका उपयोग करता है।