तहव्वुर राणा ने भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
क्या है खबर?
2008 में हुए मुंबई आतंकवादी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को अमेरिका की एक अदालत ने मंजूरी दे दी थी।
अब राणा के वकीलों ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट से उसे बचाने की आखिरी कोशिश की है। राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर निचली अदालत के फैसले की समीक्षा करने की मांग की है।
वकीलों ने इसके लिए दोहरे खतरे के सिद्धांत का हवाला दिया है।
याचिका
राणा ने याचिका में क्या कहा?
राणा ने याचिका में दोहरे खतरे के सिद्धांत का हवाला दिया है, जो किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए 2 बार मुकदमा चलाने या दंडित करने से रोकता है।
राणा ने तर्क दिया कि उसके खिलाफ इसी मामले में इलिनोइस की संघीय अदालत में मुकदमा चलाया गया था और बरी भी कर दिया गया था।
अब भारत भी उन्हें आरोपों के आधार पर प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है।
आखिरी मौका
राणा के लिए आखिरी कानूनी मौका
अगर सुप्रीम कोर्ट भी राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे देता है तो राणा के भारत लाए जाने का रास्ता साफ हो जाएगा।
राणा के वकील जोशुआ एल ड्रेटल ने कहा, "कोर्ट को याचिका मंजूर करनी चाहिए। उसे यह मानना चाहिए कि अमेरिका-भारत प्रत्यर्पण संधि के दोहरे खतरे वाले प्रावधान में अपराध शब्द का तात्पर्य दोनों देशों में आरोपों के अंतर्निहित आचरण से है, न कि उन अपराधों के तत्वों से जिन पर संबंधित देशों ने आरोप लगाए हैं।"
विरोध
महाधिवक्ता ने किया विरोध
अमेरिका के अतिरिक्त महाधिवक्ता एलिजाबेथ बी प्रीलोगर ने कहा, "सरकार यह नहीं मानती कि जिस आचरण के आधार पर भारत प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है, वह इस मामले में सरकारी अभियोजन के दायरे में आता है। यह स्पष्ट नहीं है कि इस मामले में जूरी के फैसले का अर्थ यह है कि उन्हें भारत द्वारा लगाए गए सभी आरोपों में दोषी ठहराया गया है या बरी किया गया है।"
हमला
मुंबई हमले में मारे गए थे 175 लोग
26 नवंबर, 2008 को मुंबई में आतंकी हमला हुआ था। तब समुद्र के रास्ते पाकिस्तान से आए पाकिस्तान आतंकियों ने ताज होटल समेत 6 जगहों पर हमले किए थे।
हमले में विदेशी नागरिकों समेत 175 लोगों की मौत हुई थी, जबकि कई सैंकड़ों घायल हुए थे।
4 दिनों तक तक चले आतंकरोधी अभियान के बाद सुरक्षाबलों ने 9 आतंकियों को मार गिराया था। एक जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब को फांसी दी गई थी।