कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमा करने में कैसे सफल रही मुंबई?
शुक्रवार को बृह्नमुंबई महानगरपालिका (BMC) की तरफ से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि मुंबई में कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी हो रही है। अप्रैल की शुुरुआत में देश की आर्थिक राजधानी में पॉजीटिविटी रेट 20.8 प्रतिशत तक पहुंच गई थी, लेकिन महीने के अंत में 9.9 प्रतिशत पर आ गई। कम होती पॉजीटिविटी रेट से पता चलता है कि यहां कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या कम हो रही है।
बीते एक हफ्ते से कम हए हैं दैनिक मामले
फरवरी के बाद से मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में कोरोना के मामले बढ़ने लगे थे। 3 अप्रैल को मुंबई में 11,573 लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी। महामारी की शुरुआत के बाद शहर में पहली बार एक दिन में इतने मामले सामने आए थे। इसके बाद लॉकडाउन, आक्रामक टेस्टिंग और दूसरे कदमों से धीरे-धीरे मामलों की संख्या कम होती गई। अब पिछले एक हफ्ते से यहां रोजाना 4,000 से कम मामले सामने आ रहे हैं।
सही समय पर लगाई गईं पाबंदियां- विशेषज्ञ
जानकारों का कहना है कि समय पर लोगों की आवाजाही पर लगाई गई रोक और BMC द्वारा अपने सभी संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल ऐसी चीजें रहीं, जिनकी वजह से यह शहर धीरे-धीरे संकट से बाहर आता नजर आ रहा है।
मुंबई ने हालात सुधारने के लिए क्या कदम उठाए?
पिछले साल महामारी की पहली लहर का प्रकोप कम होने पर BMC ने शहर में बने कोविड सेंटर को बंद नहीं किया था। दिसंबर में जब मुंबई में रोजाना 300-400 मामले सामने आ रहे थे, तब भी BMC ने इन सेंटरों को 31 मार्च, 2021 तक जारी रखने का फैसला किया था। यहां उपलब्ध बिस्तरों को अलग-अलग श्रेणी में बांट दिया गया ताकि जरूरत पड़ने पर उनका इस्तेमाल हो सके।
कम समय में बढ़ा दिए गए बिस्तर
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए BMC के अतिरिक्त नगर आयुक्त सुरेश काकणी ने बताया कि फरवरी-मार्च में जब मामले बढ़े तो इन सेंटरों को कम से कम समय में फिर से शुरू कर दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि चार से छह हफ्तों के बीच ही शहर में कोरोना संक्रमितों के लिए बिस्तरों की संख्या 12,000 से बढ़ाकर 23,000 कर दी गई। इसी तरह ICU बिस्तरों को 1,500 से बढ़ाकर 2,800 कर दिया गया।
वॉर रूम से मिली बड़ी मदद
BMC ने अस्पतालों में बिस्तरों के प्रबंधन के लिए वार्ड स्तर पर 24 वॉर रूम बनाए थे। इससे लोगों को बिस्तरों के लिए अलग-अलग अस्पतालों में नहीं जाना पड़ा। महाराष्ट्र की कोरोना टास्क फोर्स के सदस्य डॉ शशांक जोशी ने कहा कि यह रणनीति बेहद कारगर रही। इससे अस्पतालों में बिस्तरों की खोज के दौरान मरीजों को होने वाली परेशानी को दूर कर दिया। इसके अलावा हर वार्ड के एंबुलेंस निर्धारित की गई, जिससे मरीज समय पर अस्पताल पहुंच पाए।
टेस्टिंग बढाने पर रहा जोर
संक्रमण की दूसरी लहर की शुरुआत के साथ ही BMC ने टेस्टिंग की सुविधा को बढ़ाना शुरू कर दिया। मार्च की शुरुआत में शहरभर में जहां रोजाना 20,000 टेस्ट हो रहे थे, वहीं मार्च के अंत तक रोजाना 40,000 टेस्ट होने लगे। अप्रैल की शुरुआत की यह संख्या बढ़कर 51,000 से पार हो गई थी। हालांकि, अब यहां टेस्टिंग थोड़ी कम हो रही है, लेकिन फिर भी रोजाना लगभग 40,000 लोगों के टेस्ट हो रहे हैं।
लॉकडाउन जैसी पाबंदियां का दिखा असर
अधिकारियों ने बताया कि नियमों के उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई, रैंडम टेस्टिंग और लॉकडाउन जैसी पाबंदियों के असर से दैनिक मामलों में गिरावट देखी गई है। BMC के एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआत में नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई हुई तो लोगों ने गाइडलाइंस को गंभीरता से लेना शुरू किया। इसके बाद लॉकडाउन जैसी पाबंदियों के चलते बाजार बंद रहे और लोगों की आवाजाही पर रोक लगी, जिससे संक्रमण की चेन तोड़ने में मदद मिली।