2017 में खुले में शौच मुक्त घोषित हुई मुंबई में एक लाख सार्वजनिक शौचालयों की कमी
क्या है खबर?
भारत सहित पूरी दुनिया आज महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रही है।
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज देश को खुले में शौच मुक्त (ODF) घोषित करेंगे।
लेकिन ऐसी घोषणाएं जमीनी हकीकत के कितना पास होती हैं, इसको मुंबई के उदाहरण से समझा जा सकता है।
मुंबई को 2017 में खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया था, लेकिन इसके दो साल बाद भी वहां एक लाख सार्वजनिक शौचालयों की कमी है।
मापदंड
25 लोगों पर होना चाहिए एक सार्वजनिक शौचालय
'इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के अनुसार, दो साल पहले ODF घोषित किया गया मुंबई शहर अभी तक सार्वजनिक शौचालयों की मांग और उनकी उपलब्धता के बीच की दूरी को पाट नहीं सका है।
ODF के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए BMC को अभी एक लाख शौचालयों का निर्माण और करना पड़ेगा।
स्वच्छ भारत अभियान जिन मापदंडों का पालन करता है, उनके मुताबिक हर 25 लोगों पर एक सार्वजनिक शौचालय होना चाहिए, लेकिन मुंबई इसमें बहुत पीछे है।
कमी
दो लाख की जरूरत, लेकिन हैं केवल एक लाख शौचालय
2011 की जनगणना के अनुसार, मुंबई में करीब 52 लाख लोग झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं। ये शहर की कुल आबादी का 42 प्रतिशत है।
इस आंकड़े के हिसाब से मुंबई में कुल 2.10 लाख सार्वजनिक शौचालय होने चाहिए।
लेकिन अभी मुंबई में इसके आधे यानि केवल एक लाख शौचालय हैं, जिनका निर्माण BMC और मुंबई आवास क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MHADA) ने किया है।
इनमें से भी कई बेहद बुरी हालत में और उन्हें साफ और सुरक्षित नहीं माना जा सकता।
योजना
अगले कुछ सालों में 22,774 शौचालय बनाएगी BMC
शौचालयों की कमी को पूरा करने के लिए BMC ने अगले कुछ सालों में 22,774 शौचालयों का निर्माण करने की योजना बनाई है।
इनमें से 14,137 पुराने और खराब शौचालयों को तोड़कर बनाए जाएंगे, वहीं 8,637 नए होंगे।
इन शौचालयों के निर्माण पर BMC 704.03 करोड़ रुपये खर्च करेगी, जिसमें से 104.46 करोड़ उसे 2019-20 में मिल चुके हैं।
जगह की कमी को देखते हुए दो-तीन मंजिला शौचालयों के निर्माण पर भी विचार किया जा रहा है।
जानकारी
इन इलाकों में बनेंगे सबसे ज्यादा शौचालय
BMC के आंकड़ों के अनुसार, कुर्ला, मानखुर्द, गोवंडी और चेंबूर में सबसे अधिक शौचालयों 10,294 शौचालयों का निर्माण किया जाएगा। इनमें से 7,200 शौचालय तो केवल पूर्वी मुंबई यानि गोवंडी और मानखुर्द में ही बनाए जाएंगे।
घरेलू शौचालय
घरेलू शौचालयों के निर्माण में भी मुंबई बहुत पीछे
खुले में शौच की समस्या से निपटारे के लिए स्वच्छ भारत अभियान में सार्वजनिक शौचालयों के अलावा घरों में शौचालय बनाने का प्रावधान भी है, जिसे व्यक्तिगत घरेलू लैट्रिन (IHL) के नाम से जाना जाता है। लेकिन इस मामले में भी मुंबई बेहद पीछे है।
अधिकारियों के अनुसार, 2014 में स्वच्छता अभियान शुरू होने के बाद BMC को IHL निर्माण के लिए 21,371 आवेदन आए, उनमें से 12,673 को मंजूरी मिली और केवल 20 प्रतिशत का निर्माण हो पाया है।
कारण
इस कारण नहीं बन पा रहे घरेलू शौचालय
अधिकारियों के अनुसार, पिछले पांच साल में केवल 2,537 घरेलू शौचालयों का निर्माण हो सका है।
उनके अनुसार, जमीन की कमी, सीवेज लाइन बिछाने के निर्माण के लिए कम जगह और पहाड़ी इलाका होने जैसे कुछ भौगोलिक कारणों की वजह से इसमें परेशानी आ रही है। इसके कारण केवल सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है।
आंकड़ों के अनुसार, BMC ने 2016 में 4,204 शौचालयों का निर्माण शुरू किया था, जिनमें से 3,623 को बनाया जा चुका है।
बयान
नोडल अधिकारी ने कहा, अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही BMC
अपने लक्ष्य से काफी दूर होने के बीच BMC में स्वच्छ भारत अभियान सेल के नोडल अधिकारी किरण दिघावकर ने कहा कि BMC अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा, "हम पैसे देकर लोगों को घरेलू शौचालय बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। घरेलू शौचालयों के लिए नई सीवेज लाइन भी बिछाई जा रही हैं।"
BMC ने 3,000 से ऊपर शौचालयों को गूगल मैप पर भी डाला है ताकि उन्हें ढूढ़ने में आसानी हो।