मुंबई: कोरोना वायरस से बुजुर्ग की मौत, अस्पताल ने परिवार को थमाया 16 लाख का बिल
कोरोना वायरस की इस महामारी के दौर में भी प्राइवेट अस्पताल मुनाफाखोरी करने से बाज नहीं आ रहे हैं और COVID-19 का इलाज कराने आ रहे लोगों से भारी-भरकम रकम वसूल कर रहे हैं। मुंबई में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहां एक शख्स के पिता की न केवल कोरोना वायरस की वजह से मौत हुई, बल्कि अस्पताल ने उस पर 15 दिन के इलाज का 16 लाख भी बिल ठोक दिया। आइए आपको पूरा मामला बताता हैं।
इलाज के समय पर घर पर क्वारंटाइन में था पूरा परिवार
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के अनुसार, सांता क्रूज के रहने वाले एक शख्स ने कोरोना वायरस से संक्रमित अपने 74 वर्षीय पिता को पिछले महीने मुंबई के नानावती अस्पताल में भर्ती कराया था। अपने पिता को भर्ती कराते समय उसने अस्पताल में 60,000 रुपये जमा कराए। एक दिन बाद उसे बताया गया कि उसके पिता का डायलिसिस और वेंटीलेंटर पर रखने की जरूरत है। इस दौरान पूरा परिवार घर में क्वारंटाइंड था और कोई अस्पताल नहीं जा सका।
फोन या ईमेल के जरिए अस्पताल से संपर्क करता था शख्स
अस्पताल की ओर से भारी-भरकम खर्च के बारे में कोई सूचना नहीं देने पर गुस्सा व्यक्त करते हुए शख्स ने कहा कि उसकी अस्पताल से सारी बातचीत फोन या ईमेल के जरिए ही होती थी और उसने ऑनलाइन ही अपने पिता को वेंटीलेटर और डायलिसिस पर रखने की मंजूरी दी। उसने कहा, "इसके बाद बिल बढ़ने लगा। मैंने 3.4 लाख रुपये दिए। कुछ दिन बाद अस्पताल ने कहा कि अगर मैंने पैसे नहीं दिए तो इलाज बंद कर दिया जाएगा।"
2.8 लाख कोविड चार्ज, एंबुलेंस से शव श्मशान पहुुंचाने के 8,000 रुपये
16 लाख के बिल पर शख्स ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि कोई भी मध्यम वर्ग का व्यक्ति एक लाख प्रति दिन के इलाज का खर्च उठा सकता है। बिल देखकर हमें बड़ा झटका लगा है।" उसने कहा कि इसमें से 8.6 लाख रुपये दवाईयों और अन्य वस्तुओं के थे, वहीं 2.8 लाख रुपये का कोविड चार्ज लगाया गया था। उसके पिता के शव को एंबुलेंस से श्मशान पहुंचाने के लिए भी अस्पताल ने उससे 8,000 रुपये लिए।
अन्य लोगों ने भी की ज्यादा बिल लगाने की शिकायत, BMC कर रहा जांच
बता दें कि अन्य कई लोगों ने भी नानावती अस्पताल पर कोरोना वायरस के इलाज का बिल ज्यादा लगाने का आरोप लगाया है। उनकी शिकायत की जांच के लिए बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने रविवार को अस्पताल का निरीक्षण भी किया। इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने पिछले हफ्ते एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए जिन मरीजों का इंश्योरेंस नहीं है, निजी अस्पतालों में उनके इलाज के खर्च की सीमा तय की है।
अस्पताल के निदेशक ने किया आरोपों से इनकार
वहीं नानावती अस्पताल के निदेशक मनप्रीत सोहेल ने परिवार के आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा, "मरीज को कई बीमारियों और कई अंगों के फेल होने के साथ बहुत नाजुक स्थिति में हमारे पास लाया गया था। सबसे अच्छा इलाज देने के बावजूद 15 अप्रैल को उसकी मौत हो गई।" उन्होंने कहा, "इतनी नाजुक स्थिति वाले किसी भी मरीज का बिल किसी भी अस्पताल में एक लाख रुपये प्रति दिन आता है। बिल मान्य शुल्कों के आधार पर है।"