कोरोना संकट: टास्क फोर्स ने सरकार को कही पूरे देश में लॉकडाउन लगाने की बात
कोरोना महामारी पर तकनीकी सलाह देने के लिए गठित विशेषज्ञों की टास्क फोर्स लगातार सरकार को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाने की बात कह रही है। टास्क फोर्स का कहना है कि कोरोना के मामलों में तेज इजाफा और अधिक खतरनाक वेरिएंट के कारण पहले से दबाव झेल रही स्वास्थ्य व्यवस्था पर बोझ और बढ़ गया है। गौरतलब है कि बीेते कुछ दिनों से देश में कोरोना के रिकॉर्ड मामले और मौतें दर्ज हो रही हैं और स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं टास्क फोर्स के प्रमुख
इस टास्क फोर्स में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के विशेषज्ञ शामिल हैं। इस टास्क फोर्स का विचार-विमर्श और सुझाव इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसके प्रमुख डॉ वीके पॉल सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं।
"राज्यों के छोटे-मोटे प्रयासों की जगह राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की जरूरत"
इंडियन एक्सप्रेस ने टास्क फोर्स के एक सदस्य के हवाले से लिखा है, "कोरोना टास्क पिछले कई हफ्तों से लगातार प्रमुखता से यह बात कहने की कोशिश कर रही है कि हमें शीर्ष नेतृत्व को बताना चाहिए देशभर में लॉकडाउन होना चाहिए।" उन्होंने आगे कहा कि अभी जो राज्य छोटे-मोटे प्रयास कर रहे हैं, उनकी जगह राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की जरूरत है। यह वायरस सब जगह फैल रहा है। बता दें, शीर्ष अमेरिकी विशेषज्ञ भी लॉकडाउन का सुझाव दे चुके हैं।
विशेषज्ञों ने बताई कम से कम दो सप्ताह के लॉकडाउन की जरूरत
टास्क फोर्स के सदस्य ने कहा, "स्वास्थ्य देखभाल ढांचे को बेहिसाब नहीं बढ़ाया जा सकता। ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ी है, लेकिन मामलों को देखते हुए अभी भी इसकी कमी है। यह साफ है कि हमें मामले कम करने होंगे। यह वायरस इंसानों से इंसानों में फैल रहा है। अगर हम कम से कम दो सप्ताह तक इसे रोक पाए तो मामले कम होने लगेंगे। इससे मृत्युदर कम होगी और स्वास्थ्य व्यवस्था को भी कुछ राहत मिलेगी।"
मुश्किलों के बावजूद लॉकडाउन ही एकमात्र वैज्ञानिक समाधान- विशेषज्ञ
एक और सदस्य ने कहा कि लॉकडाउन से समाज के एक बड़े हिस्से को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन अभी मामलों को नियंत्रण में लाने का यही एकमात्र वैज्ञानिक तरीका है। विशेषज्ञों ने लॉकडाउन के लिए तीन पहलू बताए हैं।
विशेषज्ञों ने कही कम्युनिटी ट्रांसमिशन की बात
टास्क फोर्स के एक सदस्य ने कहा कि जब वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा हो तब टेस्टिंग, ट्रेकिंग और ट्रेसिंग बहुत महत्वपूर्ण नहीं रह जाता क्योंकि इतने मामलों में पता नहीं चलता कि किसका टेस्ट करना है और किसको ट्रैक करना है। इसका एक ही समाधान है कि सभी लोगों को कोरोना पॉजिटिव मान लिया जाए और दूसरे लोगों को उनके संपर्क में आने से रोका जाए। यही लॉकडाउन है और दूसरे देशों ने भी ऐसा ही किया है।
"स्वास्थ्यकर्मियों के बीच पनप रहा गुस्सा"
दूसरे पहलू के बारे में बात करते हुए टास्क फोर्स के सदस्य ने बताया, "डॉक्टरों और दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों के बीच गुस्सा पनप रहा है। वो पूछ रहे हैं कि हम संक्रमण रोकने के लिए क्यों कुछ नहीं कर रहे। हमारे पास एंबुलेंस के बाद एंबुलेंस आ रही है, मरीज मिन्नतें कर रहे हैं, ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी हो गई है। डॉक्टरों के बीच बहुत बैचेनी है। इस पर रोक लगनी चाहिए। स्वास्थ्यकर्मियों के बीच संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं।
"गांवों में बन रही स्थिति पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत"
लॉकडाउन की तीसरी जरूरत बताते हुए विशेषज्ञों ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में बन रही स्थिति पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। टास्क फोर्स के सदस्य ने कहा, "हमें नहीं पता कि गांवों में क्या होने वाला है। क्रिटिकल केयर तो दूर की बात है, गांव इस संकट के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है। हम आंखें मूंद कर नहीं रह सकते।" गौरतलब है कि इस बार वायरस शहरों से निकलकर गांव-गांव पहुंच चुका है।