#NewsBytesExpainer: केरल ने कैसे निपाह वायरस को बड़े स्तर पर फैलने से रोका?
क्या है खबर?
केरल के कोझिकोड जिले में सामने आए निपाह वायरस संक्रमण पर काफी हद तक काबू पाया जा चुका है।
आंकड़ों के मुताबिक, 15 सितंबर तक निपाह वायरस के 6 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 2 संक्रमित मरीजों की मौत हुई है।
केरल में पहले भी निपाह वायरस के प्रकोप सामने आ चुके हैं, लेकिन इस बार स्वास्थ्य विभाग पूरी स्थिति को प्रभावी ढंग से संभालने में कामयाब रहा है।
स्थिति
स्वास्थ्य विभाग ने जल्द की संक्रमित व्यक्तियों की पहचान
स्वास्थ्य विभाग ने स्थिति को संभालने के लिए 12 टीमें तैनात की हैं और संक्रमित व्यक्तियों का रूट मैप जारी किया है।
आंकड़ों के मुताबिक, 15 सितंबर तक इन सभी संक्रमितों के 950 संपर्कों की पहचान की गई है और उन सभी को क्वारंटीन कर दिया गया है।
स्वास्थ्य टीमें वायरस के स्त्रोत का पता लगाने के लिए संक्रमित व्यक्तियों के घरों और परिसरों की जांच भी कर रही हैं।
प्रकोप
कोरोना वायरस से निपटने का अनुभव आया काम
कोरोना वायरस महामारी से निपटने का समृद्ध अनुभव केरल को निपाह वायरस से निपटने में मदद कर रहा है।
स्वास्थ्य विभाग ने संक्रमित व्यक्तियों की जल्द पहचान करने के साथ-साथ वायरस रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं।
इन कदमों में प्रोटोकॉल को लागू करना, संक्रमित के पहले संपर्कों की पहचान कर तुरंत अलग करना, संक्रमितों के निकट संपर्क में आए लोगों की अच्छी देखभाल करना और संक्रमण के क्षेत्रों की मैपिंग करना शामिल है।
बैठक
केरल सरकार ने भी लोगों को किया जागरूक
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने निपाह वायरस को फैलाने के लिए जिम्मेदार फ्रूट बैट्स के जोखिम को कम करने के लिए विभिन्न तरीकों पर विचार करने के लिए 13 सितंबर को एक उच्च स्तरीय बैठक की थी।
अधिकारियों ने उन्हें बताया कि फ्रूट बैट प्रवासी होते हैं और पड़ोसी राज्यों से केरल पहुंचते हैं, जिनकी निगरानी किए जाने की आवश्यकता है।
सरकार ने लोगों को फ्रूट बैट्स को लेकर जागरूक करने का भी कदम उठा रही है।
बयान
डॉक्टरों ने लक्षणों को पहचानने में निभाई बड़ी भूमिका
कोझिकोड में एस्टर MIMS अस्पताल के निदेशक डॉक्टर अनूप कुमार ने इस बार सबसे पहले जिले में निपाह वायरस से संक्रमित मरीजों के पहले समूह की पहचान की।
उन्होंने इंडिया टुडे को बताया कि यह 2018 में सामने आए पहले प्रकोप से निपटने के अनुभव ने उन्हें लक्षणों को जल्दी पहचानने में मदद की।
उन्होंने कहा कि केरल में निपाह वायरस का खतरा भविष्य में भी सामने आ सकता है और इसकी निरंतर सावधानी बरतना जरूरी है।
मामले
केरल की स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा?
केरल सरकार में स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा, "हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक टीम कोझिकोड में है। हमने पड़ोसी जिलों को अलर्ट पर रखा है और संक्रमित के संपर्क में आए लोगों को क्वारंटीन कर दिया है।
उन्होंने आगे कहा, "हमने विशेषज्ञों की एक टीम को विभिन्न इलाकों में तैनात किया है और उम्मीद है कि हम स्थिति को प्रभावी ढंग से संभाल लेंगे।"
मामले
पहले कब सामने आए थे मामले?
केरल में पहली बार निपाह वायरस के मामले 2018 में केरल के कोझिकोड और मलप्पुरम जिलों में सामने आए थे। तब बड़े स्तर पर लोग संक्रमित हुए थे और 17 लोगों की मौत हो गई थी।
इसके बाद कोरोना वायरस महामारी के दौरान 2021 में भी कोझिकोड के एक गांव में निपाह वायरस फैल गया था। इस पर काबू पा लिया गया था, लेकिन एक लड़के की मौत हो गई थी।
वायरस
न्यूजबाइट्स प्लस
निपाह वायरस को एक जूनोटिक संक्रमण के रूप में जाना जाता है, यानी यह जानवरों से मनुष्यों में फैल सकता है। पहली बार 1999 में इस वायरस की पहचान की गई थी।
निपाह वायरस का नाम मलेशिया के सुंगई निपाह गांव के नाम पर रखा गया है, जहां पर यह पहली बार मिला था। यह वायरस सुअर, कुत्ते, बकरी, बिल्ली, घोड़े और भेड़ों के जरिए इंसानों तक फैल सकता है।