सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की कोशिश करने वाली महिलाओं को सुरक्षा नहीं देगी केरल सरकार
क्या है खबर?
CPM के नेतृत्व वाली केरल सरकार ने कहा है कि वो सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश करने वाली महिलाओं को सुरक्षा प्रदान नहीं करेगी।
बता दें कि कल ही सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मामले को सात सदस्यीय बेंच के पास भेजने का आदेश दिया था।
इस आदेश में कहा गया था कि जब तक सात सदस्यीय बेंच कोई फैसला नहीं लेती, तब तक सभी आयु वर्ग की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश का अधिकार होगा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस
मंदिर मामलों के मंत्री बोले, मंदिर में यथास्थिति बनाए रखना उचित
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद केरल के मंदिर मामलों के मंत्री कदकंपल्ली सुरेंद्रन ने कहा है कि सरकार महिलाओं को मंदिर में जबरदस्ती प्रवेश के लिए प्रोत्साहित नहीं करेगी।
तिरुवनंतपुरम में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए उन्होंने कहा, "मंदिर में यथास्थिति बनाए रखना उचित होगा। सरकार केवल शांति चाहती है।"
सुरेंद्रन ने कहा कि सरकार ने इस पर कानूनी सलाह ली है और उसे यथास्थिति को बनाए रखने का सुझाव दिया गया है।
आरोप
मीडिया पर लगाया भावनाएं भड़काने का आरोप
अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुरेंद्रन ने मीडिया पर भावनाओं पर भड़काने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, "आप लोग कुछ कार्यकर्ताओं का अनुचित प्रचार कर रहे हैं। ये सही नहीं है। आप TRP के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। आपको चीजों को सकारात्मक तरीके से लेना चाहिए।"
भूमाता ब्रिगेड की नेता तृप्ति देसाई के सबरीमाला मंदिर के प्रस्तावित दौरे पर उन्होंने कहा कि अगर किसी को जाना है तो वो कोर्ट जाकर इसकी मंजूरी ले सकते हैं।
फैसले का कारण
मामले में पहले अपने हाथ जला चुकी है केरल सरकार
बता दें केरल की वामपंथी सरकार सबरीमाला मामले में एक बार पहले अपने हाथ जला चुकी है और उसका मौजूदा फैसला उसी अनुभव से प्रभावित है।
दरअसल, पिछले साल दिसंबर में जब सुप्रीम कोर्ट ने सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी थी, तब केरल सरकार आदेश का पालन करते हुए महिलाओं के हक में खड़ी हुई थी।
इसके कारण उसे भक्तों के गुस्से का सामना करना पड़ा।
जानकारी
भक्तों के गुस्से का लोकसभा चुनाव पर दिखा असर
इसका असर लोकसभा चुनाव पर भी देखने को मिला था और राज्य की सत्ता पर काबिज होने के बावजूद लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) केरल की 20 लोकसभा सीटों में से बस एक जीत पाया। बाकी पर कांग्रेस के गठबंधन UDF ने जीत दर्ज की थी।
विवाद
क्यों नहीं करने दिया जाता महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश?
दरअसल, सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा की पूजा की जाती है जिन्हें ब्रह्मचारी माना जाता है।
मान्यता है कि माहवारी वाली महिला के संपर्क में आते ही अयप्पा की शक्ति कम हो जाती है। इस कारण मंदिर में 10 से 50 साल तक की उम्र वाली महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी।
जिसके खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 को हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दे दी थी।
पुनर्विचार याचिकाएं
फैसले के खिलाफ दायर हुई थीं 65 पुनर्विचार याचिकाएं
इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 65 पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं थीं जिन पर CJI गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच सुनवाई कर रही थी।
गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच ने 3:2 के बहुमत से इसे सात सदस्यीय बेंच के पास भेज दिया।
ये सात सदस्यीय बेंच सबरीमाला ही नहीं बल्कि मस्जिद और अन्य धर्मों के धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश और उनके साथ होने वाले भेदभाव पर भी सुनवाई करेगी।