केरल में निपाह वायरस का आतंक, जानें इसके लक्षण और कैसे करें ख़तरनाक वायरस से बचाव
केरल में एक बार फिर निपाह वायरल का आतंक फैल गया है। पिछले साल लगभग डेढ़ दर्जन लोगों ने इसकी वजह से जान गँवाई थी। वहीं, ख़बरों के अनुसार, केरल के एर्नाकुलम में निपाह वायरस का एक मामला सामने आया है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने एक मामले में निपाह वायरस की पुष्टि भी की है। ऐसे में आज हम आपको बताएँगे कि निपाह वायरस क्या है, इसके लक्षणों की पहचान और इससे बचाव कैसे करें।
कोच्चि के एक व्यक्ति को पाया गया संक्रमित
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे से आए नतीजों के बाद कोच्चि के एक व्यक्ति को निपाह वायरस से संक्रमित पाया गया। इलाज के लिए उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
आख़िरकार क्या है निपाह वायरस?
निपाह वायरस को 'निपाह वायरस एंसेफलाइटिस' भी कहा जाता है। इसकी वजह से एक संक्रामक बीमारी फैलती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, "निपाह वायरस एक उभरती हुई बीमारी है, जो जानवरों और मनुष्यों में गंभीर रोगों की वजह बनता है।" सबसे पहले निपाह वायरस के मामले 1998 और 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में देखे गए थे। पहले यह वायरस सुअर में फैला और बाद में कुत्ते, बिल्ली, बकरी, घोड़े जैसे पालतू जानवरों में फैला।
इस तरह पड़ा वायरस का नाम निपाह
अगर आप नहीं जानते हैं, तो आपको बता दें कि इस वायरस का नाम निपाह सबसे पहले मलेशिया के एक गाँव कंपंग सुंगाई में फैलने की वजह से पड़ा था। जानवरों के बाद अब इसका असर मनुष्यों पर तेज़ी से हो रहा है।
इस तरह फैलता है निपाह वायरस
WHO की रिपोर्ट के अनुसार, निपाह वायरस टेरोपस जीनस नाम के चमगादड़ से फैलता है। ये वायरस चमगादड़ के मल-मूत्र में मौजूद रहते हैं। इसके अलावा चमगादड़ के लार और शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ में भी यह वायरस पाया जाता है। पहले यह माना गया कि ये वायरस सुअर से फैलता है, लेकिन शोध से पता चला कि सुअरों में भी यह वायरस चमड़गड के संपर्क में आने से फैला था। अब यह मनुष्यों में फैल रही है।
निपाह वायरस के वाहक चमगादड़ खाते हैं फल
बता दें कि निपाह वायरस फैलाने वाले चमगादडों को फ़्रूट बैट भी कहा जाता है, क्योंकि ये चमगादड़ फल खाते हैं और उसमें अपना वायरस डाल देते हैं। ऐसे में अगर कोई वो फल खाता है, तो वह वायरस की चपेट में आ जाता है।
निपाह वायरस की चपेट में आने के लक्षण
निपाह वायरस की चपेट में आने के बाद 3-14 दिनों तक तेज़ बुखार और सिरदर्द बना रहता है। केवल यही नहीं वायरस इतना ख़तरनाक है कि 24 से 48 घंटों में मरीज़ कोमा में भी पहुँच जाता है। शुरुआत में वायरस से पीड़ित व्यक्ति को साँस लेने में दिक्कत होती है, जबकि कई मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल डिक्कतें भी होती हैं। इसकी वजह से दिमाग में सूजन, तेज़ बुखार, सिरदर्द और माँसपेशियों में दर्द होता है।
ऐसे करें वायरस से बचाव
निपाह वायरस से बचने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनाई गई है, लेकिन कुछ सावधानियाँ बरतकर इस वायरस से बचा जा सकता है। फल खाते समय सावधानी बरतें, जो लोग इस वायरस की चपेट में हों, उनसे दूरी बनाकर रहें। इसके अलावा जिनकी मौत निपाह वायरस से हुई हो, उन शवों से दूर रहें। अगर आपको तेज़ बुखार हो तो बिना देर किए अस्पताल जाएँ। इन सावधानियों को बरतकर आप इस वायरस से बच सकते हैं।