अधीर रंजन चौधरी निलंबन: विपक्ष ने किया लोकसभा का बहिष्कार, खड़गे ने राज्यसभा में उठाया मुद्दा
विपक्षी गठबंधन INDIA ने लोकसभा से कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के निलंबन के खिलाफ सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया है। विपक्ष इस फैसले के खिलाफ संसद परिसर में डॉ अंबेडकर की प्रतिमा तक मार्च भी करेगा। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी सदन में चौधरी के निलंबन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सदन में बहस के दौरान छोटे-मोटे विषयों पर किसी सांसद को निलंबित करना सही नहीं है।
सदन की कार्यवाही से पहले विपक्षी सासंदों ने की बैठक
गुरुवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले INDIA गठबंधन के नेताओं ने कांग्रेस सांसद अधीर रंजन के निलंबन को लेकर एक बैठक की। इस मौके पर विपक्षी सासंदों ने तय किया कि वह चौधरी के निलंबन का मुद्दा सदन में जोर शोर से उठाएंगे। बैठक में विपक्षी सांसदों ने कहा कि लोकसभा से अधीर रंजन को निलंबित किया जाना एक अलोकतांत्रितक कृत्य है और वह इसकी निंदा करते हैं।
राज्य सभा में खड़गे ने क्या कहा?
कांग्रेस के अध्यक्ष खड़गे ने राज्यसभा में क्या कहा, "सदन के सदस्य एक-दूसरे के विषय में कहते हैं। अगर कुछ असंसदीय है, किसी को दुखी करता है तो उस वक्त आप कह सकते हैं कि ये ठीक नहीं है" उन्होंने कहा, "हमारे सांसद को मामूली आधार पर निलंबित किया गया। उन्होंने सिर्फ नीरव मोदी बोला। नीरव का मतलब 'शांत' होता है। उन्हें नीरव मोदी बोलने पर निलंबित कर दिया गया। यह लोकतंत्र के लिए सही नहीं है।"
अधीर रंजन चौधरी को क्यों निलंबित किया गया था?
गुरूवार को अविश्वास प्रस्ताव पर प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को निलंबित कर दिया गया था। उन्हें उनके खराब आचरण के कारण सदन से निलंबित किया गया और वह विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक सदन से निलंबित रहेंगे। सत्ता पक्ष ने चौधरी पर प्रधानमंत्री के साथ-साथ अन्य मंत्रियों को बीच भाषण में टोकने, भाजपा सांसद के साथ तकरार करने और बेबुनियाद करने का आरोप लगाया था।
आज मानसून सत्र का अंतिम दिन
आज संसद के मानसून सत्र का अंतिम दिन है और यह पूरा सत्र हंगामे से भरपूर रहा। सत्र की शुरुआत से ही विपक्ष मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर अड़ा रहा और इसके लिए अविश्वास प्रस्ताव भी लेकर आया। तीन दिन चर्चा के बाद कल ये अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। हालांकि, विपक्ष अपने मकसद पर कुछ हद तक कामयाब रहा और प्रधानमंत्री को अपने भाषण में मणिपुर पर भी बोलना पड़ा।