हरियाणा: संपत्ति पहचान पत्र योजना क्या है और इस पर विवाद क्यों हो रहा है?
क्या है खबर?
हरियाणा विधानसभा में सरकार की महत्वाकांक्षी 'संपत्ति पहचान पत्र योजना' को लेकर जमकर हंगामा हुआ और शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन भी इसकी भेंट चढ़ गया।
विपक्ष ने इस योजना के विभिन्न प्रावधानों की कड़ी आलोचना करते हुए सरकार को जमकर घेरा।
विपक्ष का आरोप है कि शहरी निकायों द्वारा जो आंकड़े एकत्र किए जा रहे हैं, उनमें भारी विसंगतियां हैं।
आइए जानते हैं कि यह योजना क्या है और इसे लेकर विवाद क्यों हो रहा है।
योजना
क्या है संपत्ति पहचान पत्र योजना?
2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामित्व योजना शुरू की थी। इसी योजना के तहत पिछले साल मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा में हर संपत्ति को विशिष्ट पहचान पत्र देने की घोषणा की थी।
उन्होंने कहा था कि प्रत्येक सरकारी और निजी संपत्ति के साथ-साथ विवादास्पद संपत्तियों के लिए ID कार्ड जारी किए जाएंगे।
इसके लिए लार्ज स्केल मैपिंग प्रोजेक्ट के तहत हरियाणा में हर संपत्ति की जियो मैपिंग की जाएगी, ताकि भविष्य में कोई संपत्ति विवाद न हो।
विरोध
विपक्ष योजना का विरोध क्यों कर रहा?
विधानसभा में विपक्ष लगातार इस योजना पर सवाल उठा रहा है।
नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शहरी निकायों के डाटा संग्रह में विसंगतियां गिनाते हुए योजना को वापस लेने की मांग की है।
वहीं कांग्रेस विधायक जगबीर सिंह ने कहा, "सरकार रिकॉर्ड ठीक कराने पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगा रही है। सर्वेक्षण के लिए रखी गई कंपनी द्वारा रिकॉर्ड में की गलतियों का भुगतान जनता क्यों करे और उसके लिए क्या जुर्माना है, जिसने यह गलतियां की हैं?"
आवश्यकता
क्यों है संपत्ति पहचान पत्र की आवश्यकता?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सभी दीवानी मामलों में 66 प्रतिशत भूमि या संपत्ति विवाद हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट में लंबित सभी मामले में 25 प्रतिशत भूमि विवाद शामिल हैं। भूमि अधिग्रहण विवाद भी आम तौर पर 20 साल तक चलता है।
हरियाणा सरकार ने एक ऐसी पहल की है जो न केवल संपत्तियों के स्वामित्व की पुष्टि करेगी, बल्कि संपत्तियों के नियमित मूल्यांकन में भी मदद करेगी। इसके लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म ई-भूमि पोर्टल बनाया गया है।
बचाव
सरकार ने आरोपों पर क्या कहा?
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए खट्टर ने कहा कि विपक्ष द्वारा इस योजना पर खड़े किये गए सवाल निराधार और बेबुनियाद हैं और आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं।
वहीं शहरी विकास मंत्री डॉ कमल गुप्ता ने मामले पर कहा, "सरकार ने नागरिकों के हित में संपत्ति पहचान पत्र बनाने का फैसला लिया है। इस योजना से राज्य में संपत्तियों की संख्या में 33 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।"
प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना
न्यूजबाइट्स प्लस
प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2020 में की थी। इस योजना के अंतर्गत सभी ग्रामीणों को उनकी संपत्ति और आवासीय जमीन पर मालिकाना हक से संबंधित डिजिटल रिकॉर्ड्स उपलब्ध कराए जाएंगे।
इसके साथ ही सभी ग्रामीणों को 'प्रॉपर्टी कार्ड' भी प्रदान किया जाएगा। इससे सभी लाभार्थियों को अपनी संपत्ति का वित्तीय संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल करने की सुविधा मिलेगी और वह आसानी से बैंकों से लोन भी ले सकेंगे।