गुजरात: अस्पताल ने कोरोना वायरस के मरीज को घर भेजा, बस स्टॉप पर मिला शव
कोरोना वायरस का केंद्र बने गुजरात के अहमदाबाद से लापरवाही का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहा के एक अस्पताल ने कोरोना वायरस के एक मरीज को अस्पताल से छुट्टी से एक बस स्टॉप पर छोड़ दिया और उसके परिवार को इसकी कोई सूचना नहीं दी गई। मरीज की बस स्टॉप पर ही मौत हो गई और पुलिस ने फोन करके उन्हें उसकी मौत की सूचना दी। पूरा मामला क्या है, आइए आपको बताते हैं।
10 मई को गनपत मकवाना को हुई थी कफ, जुकाम और बुखार की शिकायत
अहमदाबाद की रोहित पटेल कॉलोनी के रहने वाले 67 वर्षीय गनपत मकवाना को 10 मई को कफ, जुकाम और बुखार की शिकायत हुई थी और अगले दिन उनके परिवार ने उन्हें अहमदाबाद सिविल अस्पताल में भर्ती कराया। 15 मई को मकवाना का उनके घर से एक किलोमीटर दूर एक बस स्टॉप के पास मृत पाया गया और इन पांच दिनों में अस्पताल की ओर से उनके परिवार को उनकी कोई जानकारी नहीं दी गई।
मकवाना के बेटे ने बताई आपबीती
मकवाना के बेटे कीर्ति ने बताया कि उनके पिता कपड़ा बनाने की एक फैक्ट्री में काम करते थे और जब उनमें कोरोना वायरस जैसे लक्षण दिखे तो 108 नंबर पर फोन करके आपातकालीन एंबुलेंस बनाई जो उन्हें अहमदाबाद सिविल अस्पताल लेकर गई। कीर्ति ने बताया, "पिता को भर्ती करने के बाद अस्पताल प्रशासन ने मुझे वापस भेज दिया। उनके पास फोन नहीं था इसलिए मैंने अपने छोटे भाई धर्मेंद्र का नंबर लिखकर दे दिया।"
मेडिकल बुलेटिन से मिली मकवाना के संक्रमित होने की जानकारी
परिवार ने कहा कि इसके बाद अस्पताल की ओर से उन्हें मकवाना की कोई जानकारी नहीं दी गई और 13 मई को अहमदाबाद नगर निगम (AMC) के दैनिक मेडिकल बुलेटिन से उन्हें मकवाना के कोरोना वायरस पॉजिटिव होने की जानकारी मिली। 14 मई को एक सरकारी टीम उनके घर आई और सभी को होम क्वारंटाइन में डाल दिया। अधिकारियों ने उनके घर के बाहर क्वारंटाइन का नोटिस भी चिपका दिया।
जांच में कोई लक्षण न दिखने के बाद मकवाना को घर भेजा गया- अस्पताल
सविल अस्पताल के 'ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी' डॉ एमएम प्रभाकर ने 'इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि 14 मई को एक्स-रे समेत अन्य मेडिकल जांच में कोई लक्षण न मिलने के बाद मकवाना को होम आइसोलेशन में रहने को कहा गया था और उनकी मंजूरी से उन्हें बस से उनके घर भेजा गया था। वहीं एक सिक्योरिटी गार्ड ने बताया कि मकवाना ने बस स्टॉप पर अपना खाना पहले से उनकी मंजूरी मांगी थी और बाद में उन्हें मृत पाया गया।
पुलिसकर्मी ने फोन कर दी अस्पताल में शव रखे होने की जानकारी
परिवार ने बताया कि उन्हें मकवाना की अगली जानकारी 15 मई सुबह नौ बजे मिली, जब एक पुलिसकर्मी का धर्मेंद को फोन आया जिसने बताया कि मकवाना का शव AMC के वीएस अस्पताल के पोस्टमार्टम में रखा हुआ है। दरअसल, 14 मई की शाम को सिविल अस्पताल ने मकवाना को छुट्टी देकर एक विशेष बस के जरिए घर में क्वारंटाइन के लिए भेजा था। बस ने उन्हें उनके घर से कुछ दूरी पर छोड़ दिया जहां उनका शव बरामद हुआ।
सुबह तीन बजे पुलिस को मिली बस स्टॉप पर शव पड़े होने की जानकारी
इलाके के इनचार्ज पुलिस इंस्पेक्टर वीआर वासवा ने बताया कि उन्हें शुक्रवार को सुबह करीब तीन बजे BRTS बस स्टॉप पर एक शव पड़े होने की जानकारी मिली जिसे वीएस अस्पताल भेज दिया गया। उन्होंने बताया कि सुबह नौ बजे पोस्टमार्टम के दौरान मकवाना के कपड़ों से एक पर्ची मिली जिस पर एक फोन नंबर लिखा हुआ था। ये नंबर मकवाना के बेटे धर्मेंद का था जिसे फोन कर उनकी मौत की सूचना दी गई।
मुख्यमंत्री ने जांच के लिए बनाया पैनल
मकवाना के भाई गोविंद ने बताया कि जब तक परिवार अस्पताल पहुंचा, शव का पोस्टमार्टम हो चुका था। उन्होंने कहा कि अस्पताल ने परिवार को सुरक्षा के लिए ग्लव्स या PPE किट वगैरा कुछ नहीं दिया। मामले में लापरवाही को लेकर परिवार ने पूर्व मंत्री और भाजपा नेता गिरीश परमार से संपर्क किया जिन्होंने मुख्यमंत्री विजय रुपानी को मामले की जानकारी दी। रूपानी ने मामले में जांच के लिए एक पैनल बनाया है जो 24 घंटे में रिपोर्ट देगा।