कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकार ने किस कानून को लागू किया है?
क्या है खबर?
धीरे-धीरे पूरी दुनिया में अपने पांव पसार रहे जानलेवा कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए भारत सरकार ने सबसे बड़ा कदम उठा लिया है।
कैबिनेट सचिव ने बुधवार को राज्यों के सहयोग से अपने-अपने राज्य में 'महामारी अधिनियम-1897' की धारा-2 को लागू कराने का निर्णय किया है।
गुरुवार को कर्नाटक और हरियाणा सरकार ने इसे लागू भी कर दिया है। ऐसे में आपके लिए जानना जरूरी है कि आखिर 'महामारी अधिनियम-1897' क्या है और कैसे काम करता है।
आइए जानें।
जानकारी
कैबिनेट सचिव ने बैठक कर लिया निर्णय
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के विशेष सचिव संजीव कुमार ने बताया कि बुधवार को कैबिनेट सचिव ने संबंधित मंत्रालयों के सचिवों, सेना और ITBP के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर अधिनियम की धारा-2 के प्रावधान लागू करने को कहा है।
कोरोना का कहर
इस कारण लागू करना पड़ा यह कानून
कोरोना के खतरे का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पूरी दुनिया में अब तक इससे 4,292 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब सवा लाख से अधिक लोगाों के इससे संक्रमित है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे महामारी घोषित करते हुए देशों से इसके उपचार के लिए ठोस कदम उठाने को कहा है।
भारत में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या 70 के पार पहुंच गई है। यही कारण है सरकार ने यह कदम उठाया है।
इतिहास
'महामारी अधिनियम-1897' का इतिहास
बॉम्बे प्रेसीडेंसी (ब्रिटिश काल के समय) में फैले बुबोनिक प्लेग की महामारी से निपटने के लिए अंग्रेजी सरकार ने साल 1890 में सबसे पहले महामारी अधिनियम पेश किया था।
इसमें दी गई शक्तियों के अनुसार अंग्रेज किसी भी व्यक्ति या यात्रियों के साथ जमकर अभद्रता व क्रूरता कर सकते थे।
इतिहासकारों ने इस अधिनियम के दुरुपयोग को लेकर इसका विरोध भी किया था। बाद में साल 1997 में अंग्रेज सरकार ने पहली बार देश में यह कानून लागू किया था।
प्रावधान
ये है इस अधिनियम के प्रावधान
चार खंडों वाले महामारी अधिनियम-1897 का प्रमुख उद्देश्य खतरनाक महामारी को बढ़ने से रोकने के लिए बेहतर व्यवस्था बनाना और इससे बचाव के उपाय बताना है।
इसके तहत राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेशों को अगर यह लगता है कि उनके किसी क्षेत्र में महामारी फैल गई या फैलने की आशंका है और मौजूदा कानून व व्यवस्था उसे रोकने के लिए काफी नहीं है, तो वह इस अधिनियम को लागू करते हुए बेहतर नियम व उपाय तैयार कर सकते हैं।
जानकारी
सूचना व उपायों का अनुसरण करना आवश्यक
इस अधिनियम के तहत सरकार द्वारा बनाए गए नियम व बताए गए उपायों का सभी लोगों के लिए पालन करना आवश्यक होता है। महामारी की रोकथाम के लिए सरकार की ओर से जारी किया गया कोई भी आदेश सभी के लिए समान लागू होता है।
उपचार
किसी भी व्यक्ति का उपचार कराने का अधिकार
इस अधिनियम की धारा-2 के अनुसार यदि सरकार को यह लगता है कि देश के किसी भी हिस्से में कोई महामारी फैल गई या फैलने की आशंका है तो सरकार रेल, हवाई या बंदरगाह से यात्रा के दौरान बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को बीच यात्रा से उतारकर उसका उपचार करा सकती है।
इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर ऐसे व्यक्ति को कितने समय के लिए भी उपचार केंद्र पर रखा जा सकता है।
कार्रवाई
आदेशों की अवहेलना करने पर होती है कानूनी कार्रवाई
अधिनियम की धारा-3 के तहत सरकार की ओर से जारी किए गए किसी भी आदेश, नियम या महामारी के लिए बताए गए उपायों को नहीं मानने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है।
ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ भारतीय दंत संहिता की धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाती है।
इसकी धारा-4 के अनुसार अधिनियम के तहत कार्य करने वाले कार्यान्वयन अधिकारियों को कानूनी संरक्षण प्रदान किया जाता है।
पुराने मामले
पहले भी लागू हो चुका है महामारी अधिनियम
ऐसा नहीं है कि महामारी अधिनियम-1897 में देश में पहली बार लागू हुआ है। साल 2009 में महाराष्ट्र सरकार ने पुणे में स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए इसे लागू किया था।
इसी तरह साल 2015 में हरियाणा सरकार ने मलेरिया, डेंगू और जापानी बुखार, साल 2016 में हिमाचल प्रदेश सरकार ने पीलिया और जलजनित अन्य बीमारियों की रोकथाम और साल 2018 में गुजरात सरकार ने वडोदरा में अज्ञात जानलेवा बीमारी की रोकथाम के लिए इसे लागू किया था।