COP28: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में क्या-क्या शामिल?
क्या है खबर?
दुबई में चल रहे वार्षिक जलवायु शिखर सम्मेलन (COP28) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुबई गए हुए हैं। यह सम्मेलन 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक चलेगा और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) इसकी अध्यक्षता कर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी दुबई में 21 घंटे के अपने प्रवास के दौरान 7 द्विपक्षीय बैठकों में भी शामिल होंगे और 4 भाषण देंगे।
आइए जानते हैं कि COP28 के लिए प्रधानमंत्री मोदी के एजेंडे में क्या-क्या शामिल है।
COP28
सबसे पहले जानिए क्या है COP 28
COP का मतलब होता है कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज। ये जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) का प्राथमिक निर्णय लेने वाला निकाय है। इसमें 197 देश शामिल हैं।
चूंकि ये सम्मेलन का 28वां संस्करण है, इसलिए इसे COP28 कहा जा रहा है। COP की पहली बैठक 1995 में जर्मनी में आयोजित की गई थी।
इसमें जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान में वृद्धि, जीवाश्म ईंधन और नवीनीकरणीय ऊर्जा जैसे कई मुद्दों पर चर्चा होती है।
एजेंडा
प्रधानमंत्री मोदी क्या-क्या करेंगे?
प्रधानमंत्री मोदी ने आज सबसे पहले COP28 को संबोधित किया। इसके बाद वह 3 उच्च स्तरीय कार्यक्रमों में भी भाग लेंगे, जिनमें से 2 की सह-मेजबानी भारत कर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (JBA) की वकालत भी करेंगे, जिसका शुभारंभ सितंबर में नई दिल्ली में G-20 शिखर सम्मेलन में किया गया था।
इस पहल को कई देशों का समर्थन प्राप्त हुआ है। JBA को सफल बनाने के भारत के प्रयास को और गति देने के प्रयास होंगे।
जलवायु वित्त पोषण
जलवायु वित्त पोषण और ग्रीन क्रेडिट पहल
पूरी संभावना है कि प्रधानमंत्री मोदी COP28 में जलवायु वित्त पोषण पर जोर देंगे।
उन्होंने आज दुबई के समाचार पत्र 'अल-इत्तिहाद' से एक साक्षात्कार में जोर देकर कहा कि जलवायु वित्त पोषण पर प्रगति को जलवायु कार्रवाई पर बढ़ती महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप ही देखना चाहिए।
COP28 में प्रधानमंत्री मोदी ने UAE के साथ ग्रीन क्रेडिट पहल की भी शुरुआत की, जिसकी शुरुआत 13 अक्टूबर को पर्यावरण मंत्रालय ने की थी। इसके तहत जल संरक्षण और वनीकरण पर ध्यान दिया जाएगा।
ग्रीन क्रेडिट
ग्रीन क्रेडिट पहल कैसे काम करेगी?
ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने वाली विशिष्ट गतिविधियों के माध्यम से 'ग्रीन क्रेडिट' कमाने की सुविधा देगा।
इसके लिए किसी भी व्यक्ति या कंपनी को अपने पर्यावरण-अनुकूल प्रयासों को सरकारी वेबसाइट पर सूचीबद्ध करना होगा।
इन गतिविधियों की जांच एक एजेंसी द्वारा की जाएगी और उसके परिणामों के आधार पर कंपनी को एक ग्रीन क्रेडिट प्रमाणपत्र और ग्रीन क्रेडिट प्राप्त होगा, जिसे बाद में बाजार में एक्सचेंज किया जा सकता है।
लीड IT 2.0
'लीड IT 2.0' के लॉन्च कार्यक्रम की सह-मेजबानी करेंगे प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मोदी भारत और स्वीडन द्वारा सह-आयोजित एक कार्यक्रम में भी 'लीड IT 2.0' नामक पहल लॉन्च करेंगे।
इस पहल को 2019 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई सम्मेलन में भारत और स्वीडन ने संयुक्त रूप से शुरू किया था।
यह पहल सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र दोनों को एक साथ लाकर निर्णय निर्माताओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देती है और इसका उद्देश्य उद्योगों से शुद्ध जीरो उत्सर्जन के लिए इंडस्ट्री ट्रांजिशन में तेजी लाना है।
द्विपक्षीय बैठक
प्रधानमंत्री मोदी अपने दौरे पर और क्या-क्या करेंगे?
प्रधानमंत्री एक अन्य उच्च-स्तरीय कार्यक्रम में भी भाग लेंगे, जिसका शीर्षक 'ट्रांसफॉर्मिंग क्लाइमेट फाइनेंस' है। इसकी मेजबानी COP28 का अध्यक्ष UAE करेगा।
जलवायु संबंधी कार्यक्रमों के अलावा प्रधानमंत्री मोदी के COP28 में भाग ले रहे कुछ विदेशी नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने की भी उम्मीद है।
इनमें इजरायली राष्ट्रपति इसाक हर्ज़ोग, संयुक्त राष्ट्र (UN) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू शामिल हैं, जिन्होंने भारतीय सेना को निकालने का आदेश दिया है।
कोयला
कोयले को लेकर रहेगा दबाव
जलवायु परिवर्तन को देखते हुए भारत पर कोयले पर निर्भरता कम करने का दबाव है, लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि उसका प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक उत्सर्जन के औसत से काफी कम है।
विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने भी प्रधानमंत्री की दुबई यात्रा से पहले कहा था कि कोयला भारत के ऊर्जा मिश्रण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
ऐसे में यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री पर भारत के हित को वैश्विक मंच से संतुलित करने का दबाव होगा।
समझौता
न्यूजबाइट्स प्लस
COP28 में एक ऐतिहासिक समझौते पर सहमति बनी है, जिसमें लगभग 200 देशों ने ग्लोबल वॉर्मिंग से जूझ रहे देशों की आर्थिक मदद के लिए फंड बनाने का निर्णय लिया। इसे 'हानि और क्षति फंड' नाम दिया गया है।
इस फंड के लिए सदस्य देश 2,800 करोड़ रुपये की राशि जारी करने के लिए सहमत हुए हैं। इसके लिए UAE ने 833 करोड़ रुपये और यूरोपीय संघ (EU) ने 2,000 करोड़ देने का ऐलान किया।