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अमेरिका से जारी टैरिफ विवाद के बीच वांग यी की भारत यात्रा क्यों है महत्वपूर्ण?
अमेरिका से जारी टैरिफ विवाद के बीच वांग यी की भारत यात्रा बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है

अमेरिका से जारी टैरिफ विवाद के बीच वांग यी की भारत यात्रा क्यों है महत्वपूर्ण?

Aug 18, 2025
02:14 pm

क्या है खबर?

अमेरिका के साथ चल रहे टैरिफ विवाद के बीच चीनी विदेश मंत्री वांग यी सोमवार (18 अगस्त) को भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर आएंगे। वह शाम को विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे। इसके बाद मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के साथ सीमा मुद्दों पर विशेष प्रतिनिधियों (SR) की नए दौर की वार्ता करेंगे। उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे। ऐसे में आइए जानते हैं वांग की यह यात्रा क्यों महत्वपूर्ण है।

संबंध

भारत के चीन के साथ संबंधों में आ रही है नरमी

अमेरिका के टैरिफ ने भारत के रणनीतिक दृष्टिकोण को बदल दिया है। इससे जहां भारत के अमेरिका के साथ संबंधों में कड़वाहट आने लगी है, वहीं चीन से संबंधों में सुधार हो रहा है। वांग की यात्रा प्रधानमंत्री मोदी की अगस्त के अंत में प्रस्तावित चीन यात्रा के लिए आधार तैयार करेगी। जिसमें वह तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिल सकते हैं। यह 7 वर्षों में उनकी पहली चीन यात्रा होगी।

प्रयास

सीमा विवाद सुलझाने का प्रयास 

विदेश मंत्रालय के अनुसार, वांग NSA डोभाल के साथ भारत-चीन सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों (SR) की 24वें दौर की वार्ता करेंगे। ये वार्ताएं पिछली बार दिसंबर 2024 में हुई थीं, जब डोभाल बीजिंग गए थे। यह बैठक प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग द्वारा रूस के कजान में निष्क्रिय पड़े संबंधों को पुनर्जीवित करने के निर्णय के बाद हुई थी। इस बार वांग द्विपक्षीय संबंधों के व्यापक पहलुओं की समीक्षा के लिए विदेश मंत्री जयशंकर से मिलेंगे।

जानकारी

भारत-चीन के बीच हुए समझौते ने बदली सूरत

गलवान घाटी में मई 2020 हुए सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों में बढ़ा तनाव अक्टूबर 2024 में डेमचोक और देपसांग में अंतिम संघर्ष बिंदुओं से सैनिकों की वापसी के लिए हुए समझौते के बाद कम होना शुरू हुआ और अब भी जारी है।

राहत

वीजा, तीर्थयात्रा और व्यापार पर भी बनी बात

पिछले महीने, भारत ने फिर से चीनी नागरिकों को पर्यटक वीजा देना शुरू कर दिया, जो यात्रा और आदान-प्रदान को बहाल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। वहीं, चीन ने 5 वर्षों में पहली बार भारतीय नागरिकों के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा खोलकर संबंधों को बेहतर करने का प्रयास किया है। इसी तरह उत्तराखंड में लिपुलेख, हिमाचल प्रदेश में शिपकी ला और सिक्किम में नाथू ला दर्रे से भी सीमा व्यापार बहाल करने के प्रयास चल रहे हैं।

जानकारी

हवाई संपर्क भी हो रहा है बहाल

भारत और चीन के बीच यात्री उड़ानें, जो कोविड-19 महामारी के दौरान निलंबित कर दी गई थीं, सितंबर की शुरुआत में फिर से शुरू हो सकती हैं। सरकार ने भारतीय एयरलाइंस को सेवाएं शुरू करने के लिए तैयार रहने को कहा है।

खटास

टैरिफ ने बढ़ाई भारत-अमेरिका संबंधों में खटास

भारत और चीन जहां सावधानीपूर्वक अपने संबंधों को सामान्य कर रहे हैं, वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से रूस से तेल खरीदने को लेकर 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा ने भारत और अमेरिका के संबंधों में खटास ला दी है। ट्रंप ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मृत बताकर आग में घी डालने का काम किया है। अमेरिका के इस निर्णय से भारतीय नीति निर्माताओं को झटका लगा है, जिनका तर्क है कि यह कदम पूरी तरह अनुचित है।

समर्थन

अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ चीन का भारत को समर्थन

ट्रंप के टैरिफ से जूझ रहे चीन ने इस मामले में भारत के प्रति समर्थन व्यक्त किया है। चीनी विदेश मंत्री ने टैरिफ के इस्तेमाल को अन्य देशों को दबाने के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने पर अमेरिका की निंदा की थी। भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने कहा था, 'धमकाने वाले को एक इंच भी दो, वह एक मील ले लेगा।' इसी तरह चीन ने भारत को यूरिया निर्यात पर प्रतिबंधों में भी ढील दे दी।

चिंता

भारत की बदलती रणनीति से चिंतित हुआ अमेरिका

ट्रंप की भारत के खिलाफ टैरिफ की घोषणा ने अमेरिकी पर्यवेक्षकों को भी चिंतित कर दिया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने CNN से कहा, "भारत पर ट्रंप के टैरिफ का उद्देश्य रूस को नुकसान पहुंचाना है, लेकिन इससे भारत अब रूस के और करीब ज्यादा आ सकता है और चीन भी इन टैरिफ का खुलकर विरोध करेगा। इस कदम से एशिया में दीर्घकालिक अमेरिकी रणनीति बहुत ज्यादा कमजोर हो सकती है।"

बदलाव

भारत-अमेरिकी संबंधों में कैसे आया बदलाव? 

पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत को अपनी हिंद-प्रशांत रणनीति में एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में पहचाना और भारत की घरेलू राजनीति की आलोचना को कम महत्व दिया था। उसके बाद दोनों के संबंध मजबूत हुए थे। हालांकि, ट्रंप के टैरिफ ने उसे चीन, भारत और अपने यूरोपीय साझेदारों से भी दूर कर दिया। अमेरिकी विश्लेषकों के अनुसार, भारत को कमजोर समझकर अमेरिका अपनी हिंद-प्रशांत रणनीति को नष्ट करने खतरा उठा रहा है।

डर

अमेरिका को है रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय संवाद शुरू होने का डर

बोल्टन का मानना है कि रूस को कमजोर करने के उद्देश्य से भारत पर लगाए गए ट्रंप के द्वितीयक प्रतिबंधों का अनपेक्षित प्रभाव यह हो सकता है कि रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय संवाद फिर से शुरू हो सकता है। यह भविष्य के हिसाब से अमेरिका के लिए सबसे बुरा परिणाम हो सकता है। बता दें कि ट्रंप की टैरिफ बढ़ोतरी ने एशिया की दो सबसे बड़ी शक्तियों के बीच घनिष्ठ समन्वय की गुंजाइश को पैदा कर दिया है।