COP28: प्रधानमंत्री ने 2028 में COP33 की मेजबानी का प्रस्ताव रखा, ग्रीन क्रेडिट पहल लॉन्च की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुबई में चल रहे वार्षिक जलवायु शिखर सम्मेलन (COP28) में कहा कि भारत का वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में 4 प्रतिशत से भी कम योगदान है, भले भारत की जनसंख्या वैश्विक आबादी का 17 प्रतिशत हो। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने 2028 में भारत में COP33 की मेजबानी करने का प्रस्ताव भी रखा। बता दें कि COP28 सम्मेलन 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक आयोजित होगा, जिसकी अध्यक्षता संयुक्त अरब अमीरात (UAE) कर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- आशा करता हूं, उज्ज्वल भविष्य का रास्ता मिलेगा
COP28 सम्मेलन की शुरुआत में अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "भारत जलवायु परिवर्तन प्रक्रिया के लिए संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए इस मंच से मैं 2028 में भारत में COP33 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने का प्रस्ताव रखता हूं।" उन्होंने कहा, "मुझे आशा है कि आने वाले 12 दिनों में वैश्विक स्टॉक की समीक्षा से हमें सुरक्षित और उज्ज्वल भविष्य का रास्ता मिलेगा।"
हर देश NDC के लक्ष्य को पूरा करे- प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) का जिक्र करते हुए कहा, "भारत की जनसंख्या वैश्विक जनसंख्या का 17 प्रतिशत है, लेकिन वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में भारत का योगदान केवल 4 प्रतिशत है। हम NDC लक्ष्यों को प्राप्त करने में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। हम समयसीमा से 9 साल पहले ही अपने गैर-जीवाश्म ईंधन लक्ष्य तक पहुंच गए।" प्रधानमंत्री ने कहा, "हर देश अपने NDC लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ईमानदारी से काम करे।"
क्या है NDC?
NDC में ये बताना होता है कि कार्बन उत्सर्जन में कटौती और जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे। पेरिस समझौते के तहत प्रत्येक देश के लिए एक NDC स्थापित करना और हर 5 साल में इसे अपडेट करना आवश्यक है।
प्रधानमंत्री ने उत्सर्जन पर और क्या कहा?
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत का लक्ष्य 2030 तक उत्सर्जन की तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करना है। उन्होंने बताया कि भारत ने गैर-जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का फैसला किया है। उन्होंने आगे कहा, "भारत ने पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन का उदाहरण पेश किया है।" उन्होंने जोर देकर कहा, "हम 2070 तक शून्य उत्सर्जन के अपने लक्ष्य की ओर भी आगे बढ़ते रहेंगे।"
ग्रीन क्रेडिट पहल की घोषणा की
COP28 के उच्च-स्तरीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "आज इस मंच से मैं एक और ग्रह समर्थक, सक्रिय और सकारात्मक पहल 'ग्रीन क्रेडिट पहल' की घोषणा करता हूं।" इसके बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, " यह कार्बन क्रेडिट की व्यावसायिक मानसिकता से आगे बढ़कर जन भागीदारी से कार्बन सिंक बनाने का अभियान है। मैं उम्मीद करता हूं कि आप इससे जरूर जुड़ेंगे।" UAE ने मोदी को खासतौर पर COP28 के औपचारिक उद्घाटन में बोलने का सम्मान दिया है।
क्या है ग्रीन क्रेडिट पहल?
ग्रीन क्रेडिट योजना पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने वाली विशिष्ट गतिविधियों के माध्यम से 'ग्रीन क्रेडिट' कमाने की एक पहल है। इसके लिए किसी भी व्यक्ति या कंपनी को अपने पर्यावरण-अनुकूल प्रयासों को सरकारी वेबसाइट पर सूचीबद्ध करना होगा। इन गतिविधियों की जांच एक एजेंसी द्वारा की जाएगी और उसके परिणामों के आधार पर कंपनी को एक ग्रीन क्रेडिट प्रमाणपत्र और ग्रीन क्रेडिट प्राप्त होगा, जिसे बाद में बाजार में एक्सचेंज किया जा सकता है।
न्यूजबाइट्स प्लस
COP28 सम्मेलन ऐसे वक्त हो रहा है, जब दुनियाभर में ग्लेशियर पिघलने, समुद्री जलस्तर में वृद्धि, सूखे, जंगल की आग और बाढ़ जैसी घटनाओं में वृद्धि हुई है। वैज्ञानिक अनुमान जता रहे हैं कि साल 2023 पृथ्वी के इतिहास का सबसे गर्म साल हो सकता है। मई में विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने कहा था कि 2027 में वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी पेरिस समझौते के तहत निर्धारित किए गए 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को पार कर जाएगी।