वायु प्रदूषण: दिल्ली-NCR में GRAP का तीसरा चरण लागू, पंजाब में बढ़ी पराली जलाने की घटनाएं
दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है और यहां हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गई है। इसे देखते हुए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने शनिवार को आपात बैठक कर पूरे NCR क्षेत्र में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का तीसरा चरण लागू कर दिया है। वहीं पंजाब में इस साल पिछले वर्ष की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं में इजाफा दर्ज किया गया है।
GRAP के तीसरे चरण में क्या कदम उठाए जाते हैं?
GRAP के इस चरण में आवश्यक परियोजनाओं को छोड़कर सभी प्रकार की निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया जाता है। इसी तरह ईंट भट्ठों, हॉट मिक्स प्लांट और स्टोन क्रशर के संचालन के साथ-साथ प्रदूषणकारी खनन गतिविधियों पर रोक लगाई जाती है। CNG आपूर्ति वाले उद्योगों को प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन का इस्तेमाल बंद करने के लिए पाबंद किया जाता है। इसी तरह BSIII पेट्रोल और BSIV डीजल वाहनों का उपयोग सीमित किया जाता है।
पंजाब में 33 प्रतिशत बढ़ीं पराली जलाने की घटनाएं
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल 15 सितंबर से 28 अक्टूबर के बीच पंजाब में पराली जलाने की 10,214 घटनाएं दर्ज की गई हैं। वहीं पिछले साल इसी अवधि में 7,648 घटनाएं दर्ज हुई थीं। इस साल दर्ज हुई 10,214 घटनाओं में से 7,100 (69 प्रतिशत) पिछले सात दिनों में दर्ज हुई हैं। पंजाब में पराली जलाने की दो तिहाई से अधिक घटनाएं केवल अमृतसर, संगरूर, फिरोजपुर, गुरदासपुर, कपूरथला, पटिलाया और तरणतारण में दर्ज की गई हैं।
पंजाब से कदम उठाने को कहा गया
CAQM प्रमुख एमएम कुट्टी ने पंजाब के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पराली जलाने की घटनाएं रोकने के लिए कदम उठाने को कहा है। उन्होंने लिखा कि CAQM की तरफ से जारी निर्देशों को ठीक तरीके से लागू न किया जाना चिंताजनक है। बताया जा रहा कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव भी इस मामले को लेकर पंजाब सरकार से बातचीत कर सकते हैं। वहीं हरियाणा और उत्तर प्रदेश में इस बार ऐसी कम घटनाएं दर्ज हुई हैं।
दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं का कितना योगदान
सूत्रों के अनुसार, दिल्ली की हवा की खराब गुणवत्ता में पराली के धुएं का फिलहाल 18-20 प्रतिशत योगदान है और यह आने वाले दिनों में बढ़ सकता है। बता दें कि दिल्ली के कई इलाकों में हवा सांस लेने लायक नहीं बची है।
दिल्ली के पड़ोसी राज्यों के संपर्क में है CAQM
पिछले दो महीनों से CAQM नियमित तौर पर हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के साथ बैठक कर निर्देश जारी कर रहा है। साथ ही वह पराली जलाने की घटनाओं पर भी नजर रखे हुए हैं। इन निर्देशों के तहत पंजाब के लिए विशेष योजना तैयार की गई थी, जिसमें फसल विविधिकरण, पराली प्रबंधन, बायो-डिकंपोजर का इस्तेमाल और जागरूकता अभियान आदि शामिल हैं। पंजाब को पिछले पांच सालों में पराली प्रबंधन के लिए 1,347 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
पर्यावरण मंत्रालय ने लगाए पंजाब पर गंभीर आरोप
पर्यावरण मंत्रालय ने आरोप लगाया कि पराली के प्रबंधन के लिए पंजाब ने मशीनों का उचित इस्तेमाल नहीं किया। चारे के लिए भी पराली का इस्तेमाल कम हुआ और राज्य सरकार की तरफ से चलाया गया जागरूकता अभियान भी असरदार साबित नहीं हुआ। मंत्रालय ने आगे कहा कि पराली जलाने की घटनाओं की बढ़ी संख्या यह भी बताती है कि राज्य सरकार निगरानी और नियम लागू करने में भी सफल नहीं रही।