पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से बचा सकते हैं पूसा इंस्टीट्यूट के ये कैप्सूल
क्या है खबर?
हर साल हरियाणा और पंजाब के खेतों में जलने वाली पराली राजधानी दिल्ली के लोगों के लिए जीना मुश्किल कर देती है।
वहीं दूसरे विकल्पों के महंगे होने के कारण किसान भी पराली जलाने पर मजबूर होते हैं।
इन्हें जलाने से उठने वाला धुआं राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में भयंकर प्रदूषण फैलाता है।
हालांकि, इस बार नई और सस्ती तकनीक से हर साल होने वाली इस परेशानी से निजात मिल सकती है।
तकनीक
पूसा इंस्टीट्यूट ने तैयार किया डिकंपोजर कैप्सूल
दरअसल, पूसा स्थित इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (IARI) ने एक सस्ती तकनीक तैयार की है, जो पराली के प्रबंधन में सहायक साबित हो सकती है।
इंडिया टुडे के अनुसार, यहां के वैज्ञानिकों ने एक 'डिकंपोजर कैप्सूल' तैयार किया है। इसे पूसा डिकंपोजर के नाम से भी जाना जा रहा है। यह पराली को जलाए बिना जमीन को अगली फसल के लिए तैयार करने में मदद करेगा।
साथ ही दिल्ली को प्रदूषण से भी बच सकते हैं।
जानकारी
जमीन की उपजाऊ क्षमता भी बढ़ाएगा कैप्सूल
यह कैप्सूल पराली को जल्दी से गलाने के साथ-साथ जमीन की उपजाऊ क्षमता में भी बढ़ोतरी करेगा। इसे तैयार करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर किसान लंबे समय तक इनका इस्तेमाल करते हैं तो कीटनाशकों से उन्हें छुटकारा मिल सकेगा।
तकनीक
पांच सालों से चल रहा था तकनीक पर काम
माइक्रोबायोलॉजी डिविजन के मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर वाईवी सिंह ने कहा कि इन चार कैप्सूलों को 25 लीटर पानी में मिलाकर एक हैक्टेयर या 2.5 एकड़ जमीन पर इस्तेमाल किया जा सकता है। यह कैप्सूल पराली को जलाने से बचाने में मदद करेगा। इसे किसी भी रूप में और किसी भी खेत में उपयोग किया जा सकता है।
इस तकनीक पर पिछले पांच सालों से काम किया जा रहा है और अब जाकर वैज्ञानिकों को इसमें सफलता मिली है।
बयान
"बड़े स्तर पर वितरण महत्वपूर्ण"
IARI के निेदेशक डॉक्टर अशोक कुमार सिंह ने कहा, "हम पिछले पांच सालों से इस पर काम कर रहे थे। हमें लगता है कि बड़े स्तर पर वितरण एक चुनौती है। यह न सिर्फ जमीन को उपजाऊ बनाएगा बल्कि प्रदूषण से भी बचा सकता है।"
दिल्ली
केजरीवाल ने की पूसा डिकंपोजर का इस्तेमाल करने की मांग
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पर्यावरण मंत्रालय से पड़ोसी राज्यों को पूसा डिकंपोजर इस्तेमाल करने को कहने की मांग की थी। इस मामले को लेकर उन्होंने पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात करने की बात कही थी।
केजरीवाल ने कहा था कि इस साल ज्यादा समय नहीं बचा है। दिल्ली को प्रदूषण से बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा।
बता दें कि अक्टूबर-नवंबर के महीने में दिल्ली में सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।
डाटा
पराली से होने वाला प्रदूषण दिल्ली के लिए लाता है परेशानी
पिछले साल दिल्ली की हवा में जितना प्रदूषण था, उसका 44 प्रतिशत हिस्सा हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने से हुआ था। हर साल कुछ समय के लिए यह मुद्दा चर्चा में आता है।