भारत ने नहीं छिपाए कोरोना से मौत के आंकड़े, अंतरराष्ट्रीय पत्रिका की रिपोर्ट गलत- सरकार
कोरोना वायरस महामारी के दौर में भारत में हुई मौतों को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट ने सरकारी आंकड़ों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इसमें कहा गया था कि भारत में सरकारी आंकड़ों से पांच से सात गुना अधिक मौतें हुई है। अब केंद्र सरकार ने इस प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि रिपोर्ट को पूरी तरह से गलत और आधारहीन है और इसे किसी प्रमाणित साक्ष्य के बिना ही प्रकाशित किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय पत्रिका की रिपोर्ट में किया था यह दावा
एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ने भारत में कोरोना वायरस महामारी से हुई मौतों की संख्या सरकारी आंकड़ों से पांच से सात गुना अधिक होने का दावा किया गया था। इसमें कहा गया था कि कोरोना महामारी से हुई मौतों को भारत सरकार ने बहुत कम करके दिखाया है। पत्रिका ने इस रिपोर्ट में कई अध्ययनों के डाटा को शामिल किया है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सरकारी आंकड़ों पर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं।
सरकार ने किया अंतरराष्ट्रीय पत्रिका की रिपोर्ट का खंडन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट्स में कोई पुख्ता आधार नहीं है और यह पूरी तरह से गलत है। सरकार के पास मौतों की निगरानी के लिए मजबूत तंत्र है और इसका कोई सवाल ही नहीं उठता के मौते के आंकड़े पांच से सात गुना अधिक हैं। मंत्रालय ने कहा कि इस अनुमान के लिए जिन अध्ययनों को आधार बनाया गया है वह किसी देश या क्षेत्र की मृत्यू दर तय करने के लिए वैध टूल नहीं है।
रिपोर्ट में अध्ययन की नहीं दी गई विस्तृत कार्य प्रणाली- मंत्रालय
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय पत्रिका की रिपोर्ट में जिस अध्ययन को आधार बनाया गया है, माना जाता है कि वो वर्जीनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के क्रिस्टोफर लाफलर द्वारा की गई है। मंत्रालय ने आगे कहा कि साइंटिफिक डेटाबेस जैसे पबमेड, रिसर्च गेट, आदि में जब अध्ययन की खोज की गई तो उसमें इस अध्ययन में कुछ पता नहीं चला और ना ही पत्रिका में छपी रिपोर्ट ने इस स्टडी की विस्तृत कार्यप्रणाली दी गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अन्य अध्ययनों को लेकर दिया यह तर्क
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट में तेलंगाना में बीमा दावों के अध्ययन का हवाला दिया गया है। इस अध्ययन पर कोई सहकर्मी-समीक्षा वैज्ञानिक डेटा उपलब्ध है। इसी तरह रिपोर्ट में प्रश्नम और सी-वोटर की दो और रिपोर्टों को आधार बनाया गया है। मंत्रालय ने कहा कि ये फर्म चुनाव नतीजों की भविष्यवाणी और विश्लेषण में पारंगत हैं। हालांकि, कई बार इनकी भविष्यवाणी भी गलत होती है। ये दोनों फर्म कभी भी पब्लिक हेल्थ रिसर्च से नहीं जुड़ी।
मौत के आंकड़ों में अंतर होना संभव है- स्वास्थ्य मंत्रालय
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के दौरान और उसके बाद दर्ज की गई मृत्यु दर में अंतर हो सकता है, लेकिन इस तरह के अध्ययन संकट खत्म होने के बाद किए जाते हैं, जब विश्वसनीय सोर्स से मृत्यु दर के आंकड़े उपलब्ध होते हैं। मंत्रालय ने कहा कि राज्यों ने लगातार कम संख्या में दैनिक मौतों की रिपोर्ट करने के लिए कहा था कि वह अपने डाटा की फिर से जांच कर स्थिति स्पष्ट करें।
बिहार के मौत के आंकड़ों सामने आया बड़ा अंतर
बता दें कि गत दिनों बिहार के मौत के आंकड़ों पर सवाल उठने के बाद उसकी दो स्तर पर जांच गई गई थी। इसमें अंतर मिलने के बाद सरकार ने मौत के आंकड़ों को 5,458 से बढ़ाकर 9,375 कर दिया था।
भारत में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति
भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से संक्रमण के 84,332 नए मामले सामने आए और 4,002 मरीजों की मौत हुई। इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 2,93,59,155 हो गई है। इनमें से 3,67,081 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। सक्रिय मामलों की संख्या कम होकर 10,80,690 रह गई है। देश में कोरोना मामलों में गिरावट देखी जा रही है और लगातार पांचवे दिन दैनिक मामले एक लाख से कम रहे हैं।