कोरोना वायरस: नए स्ट्रेन के खतरे के बीच केरल-महाराष्ट्र में की जा रही सूक्ष्म स्तरीय निगरानी
भारत में हालिया समय में कई राज्यों में कोरोना वायरस के दैनिक मामलों में वृद्धि देखने को मिली है। अभी तक विशेषज्ञ इस उछाल का कोई ठोस कारण बताने में असफल रहे हैं और वायरस के नए स्ट्रेनों के इसके पीछे होने की आशंका भी व्यक्त की है। इसी कारण अब चिकित्सा विशेषज्ञ नए स्ट्रेन की स्थिति का पता लगाने के लिए सूक्ष्म स्तरीय निगरानी कर रहे हैं और उन्होंने सरकार से जीनोम टेस्टिंग की अपील की है।
क्या होता है जीनोम सीक्वेसिंग टेस्ट?
जीनोम सीक्वेसिंग के तहत DNA अणु के भीतर एडानीन, गुआनीन, साइटोसीन और थायामीन के क्रम का पता लगाया जाता है। इसके जरिए लोगों की बीमारियों का पता लगाकर उनका समय पर इलाज करना साथ ही आने वाली पीढ़ी को रोगमुक्त करना संभव है।
महाराष्ट्र और केरल से भेजे गए 1,600 सैंपल
NDTV ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के आधार पर लिखा है कि महाराष्ट्र और केरल से पिछले एक महीनें में क्रमश: 800 और 900 सैंपल जीनोम सीक्वेसिंग टेस्ट के लिए भेजे गए हैं। पंजाब और कर्नाटक से सैंपल मंगवाए जा रहे हैं। मंत्रालय के अनुसार आगामी तीन-चार दिन में सप्ष्ट हो जाएगा कि संक्रमण के बढ़ते मामलों के लिए नए स्ट्रेन जिम्मेदार हैं या नहीं। देश में अब तक 6,000 टेस्टों का जीनोम सीक्वेसिंग किया जा चुका है।
केरल और मुंबई की जा रही सूक्ष्म स्तरीय निगरानी
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार केरल में अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मामलों में बढ़ोतरी वायरस के नए स्ट्रेन से हुई है। ऐसे में तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए केरल और मुंबई में सूक्ष्म स्तरीय निगरानी की जा रही है। वहां नए कोरोना कलस्टरों का पता लगाया जा रहा है। मंत्रालय के अनुसार विशेषज्ञों ने बढ़ते मामलों का कारण पता लगाने के लिए युद्ध स्तर पर जीनोम सीक्वेसिंग टेस्ट करने की सलाह जारी की है।
प्रतिदिन महज दो प्रतिशत संक्रमितों का हो रहा जीनोम अनुक्रमण- अरोड़ा
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के संचालन अनुसंधान समूह के प्रमुख डॉ एनके अरोड़ा ने NDTV को बताया कि देश में जीनोम सीक्वेसिंग के लिए दस जगहों पर लैब्स स्थापित की गई है, लेकिन निर्धारित मात्रा में टेस्ट नहीं हो पाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रतिदिन के आधार पर कुल संक्रमितों के पांच प्रतिशत का जीनोम सीक्वेसिंग करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन वर्तमान में दो प्रतिशत का ही जीनोम सीक्वेसिंग हो पा रहा है।
जीनोम सीक्वेसिंग के तहत की जा रही है यह जांच
डॉ अरोड़ा ने बताया संक्रमण के मामलों के लिए अभी तीन विदेशी कोरोना स्ट्रेनों का पता लगाया जा चुका है। अब सरकार देश में उत्पन्न हुए किसी नए स्ट्रेन का पता लगाने में जुटी है। इसके लिए अधिक से अधिक जीनोम सीक्वेसिंग टेस्ट करने होंगे।
192 संक्रमितों में मिला है विदेशी स्ट्रेन
डॉ अरोड़ा ने बताया कि देश में अब तक संक्रमित मिले 182 लोगों में UK में मिले अधिक संक्रामक स्ट्रेन की मौजूदगी मिली है। इसी तरह गत दिनों चार संक्रमितों में ब्राजील में मिले स्ट्रेन और एक मरीज में दक्षिण अफ्रीका में मिले नए स्ट्रेन की मौजूदगी मिली है। उन्होंने बताया कि सरकार ने तेजी से बढ़ते मामलों के बाद महाराष्ट्र, केरल, गोवा, आंध्र प्रदेश और चंडीगढ़ को संक्रमण से बचाव के लिए विशेष कार्य योजना तैयार कर दी है।
जीनोम सीक्वेसिंग को बढ़ाने के किए जा रहे हैं प्रयास- मांडे
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) के महानिदेशक डॉ शेखर मांडे ने कहा, "हम जीनोम सीक्वेसिंग के पांच प्रतिशत लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं। इसके लिए युद्ध स्तर पर तैयारी चल रही है। जल्द ही लक्ष्य को हासिल किया जाएगा।"