कृषि कानून: मांगों पर अड़े किसान, सरकार कर रही संसद के विशेष सत्र पर विचार
क्या है खबर?
कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान मजबूती से अपनी मांगों पर डटे हुए हैं। इनका कहना है कि जब तक सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेती है, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।
इसी बीच ऐसी खबरें आ रही हैं कि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए संसद का सत्र बुला सकती है।
बताया जा रहा है कि किसानों के साथ चल रहे गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार सत्र बुलाने पर विचार कर रही है।
संसद का सत्र
विशेष सत्र की संभावना, लेकिन अभी तक अंतिम फैसला नहीं- सूत्र
इंडियन एक्सप्रेस ने वरिष्ठ सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सरकार ने सत्र बुलाने का विकल्प खारिज नहीं किया है।
किसानों के मुद्दों पर चर्चा के लिए संसद के विशेष सत्र बुलाने के सवाल के जवाब में सूत्रों ने कहा कि इसकी संभावना बनी हुई है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
किसान भी सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं।
संसद
कांग्रेस कर चुकी है शीतकालीन सत्र बुलाने की मांग
इससे पहले गुरुवार को लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर छोटा शीतकालीन सत्र बुलाने की मांग की थी।
उन्होंने लिखा था कि सत्र में कई जगहों पर जारी किसानों के प्रदर्शनों समेत 'कई महत्वपूर्ण मुद्दों' पर चर्चा की जानी चाहिए।
हालांकि, सूत्रों का कहना है कि सरकार ने ऐसी किसी संभावना पर विचार नहीं किया है। कोरोना के चलते अभी तक शीतकालीन सत्र का आयोजन नहीं हुआ है।
जानकारी
किसानों और सरकार के बीच अब तक नहीं बनी सहमति
शनिवार को किसानों और सरकार के बीच पांचवे दौर की बैठक बेनतीजा समाप्त हुई थी। अब दोनों पक्ष 9 दिसंबर को फिर वार्ता करेंगे। सरकार कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव दे रही है, लेकिन किसान कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं।
कृषि कानून
मांगों पर मजबूती से अड़े किसान
शनिवार को हुई बैठक में सरकार ने सरकारी मंडियों को सशक्त करने, कानून में किसानों के लिए कोर्ट जाने के प्रावधान करने आदि की बात कही थी, लेकिन किसान कानूनों को रद्द करने से कम किसी भी प्रस्ताव पर राजी नहीं है।
शनिवार को बैठक के दौरान किसानों ने कड़ा रवैया अपनाये रखा और एक बार तो बैठक से वॉकआउट करने की भी धमकी दी।
किसान अपनी मांगों पर सरकार से 'हां' और 'ना' में जवाब मांग रहे थे।
जानकारी
किसानों को 9 दिसंबर को प्रस्ताव भेजेगी सरकार
बैठक खत्म होने के बाद विज्ञान भवन से निकले किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से 9 दिसंबर को उन्हें एक प्रस्ताव भेजा जाएगा। किसान आपस में इस पर चर्चा करेंगे। जिसके बाद उसी दिन सरकार के साथ अगली बैठक होगी।
बयान
किसानों की सभी आशंकाओं को दूर करने के लिए तैयार है सरकार- कृषि मंत्री
बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि MSP जारी रहेगी। अगर किसानों को किसी भी बिंदु पर शंका है तो सरकार उसका समाधान करने के लिए तैयार है। सरकारी मंडियां और मजबूत हो, सरकार इसके लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि सरकार सरकारी मंडियों पर किसानों की गलतफहमी दूर करने के लिए तैयार है। सरकार कुछ और बिंदुओं पर सुझाव चाहती थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसलिए 9 दिसंबर को अगले दौर की बैठक होगी।
विवाद की वजह
क्या है कृषि कानूनों से जुड़ा पूरा मुद्दा
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं।
उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।