व्यस्क लड़कियां कहीं भी और किसी के साथ भी रहने को स्वतंत्र हैं- दिल्ली हाई कोर्ट
व्यस्क युवती द्वारा किसी से संबंध रखने या मर्जी से शादी करने को लेकर परिजनों द्वारा उठाए जाने वाले कानूनी कदमों के बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में बड़ी टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा है कि व्यस्क युवती अपनी मर्जी से किसी के साथ और कहीं भी रहने के लिए स्वतंत्र है। युवती के परिजन और रिश्तेदार उसे डरा या धमका भी नहीं सकते। ऐसा करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
हाई कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान की टिप्पणी
इंडिया टुडे के अनुसार एक युवती के पिता ने गत दिनों हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका दायर की थी। इसमें युवती के पिता ने कहा था कि उसकी 20 वर्षीय बेटी गत 12 सितंबर से लापता है। ऐसे में कोर्ट पुलिस को उसकी बेटी को ढूंढने का आदेश दे। मामले में सुनवाई के दौरान युवती के पेश होकर बयान दिए जाने के बाद जस्टिस विपीन सांघी और रजनीश भटनागर की पीठ ने मामले में यह अहम टिप्पणी की।
युवती ने दिया मर्जी से घर छोड़कर जाने का बयान
युवती ने अपने बयान में कहा कि वह 20 साल की है और अपनी मर्जी से घर छोड़कर गई है। उसने एक युवक से शादी कर ली है और अपना दांपत्य जीवन व्यतीत कर रहें हैं। उसने यह भी कहा कि परिजन अब उसे धमकियां दे रहे हैं। इस पर पीठ ने कहा कि वयस्क लड़की अपनी स्वेच्छा से कहीं भी और किसी के साथ रहने के लिए आजाद है। परिजन उस पर अपना कोई भी निर्णय नहीं थोप सकते।
हाई कोर्ट ने किया मामले का निपटारा
युवती के बयान दर्ज होने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि युवती लापता नहीं हुई है बल्कि अपनी मर्जी से गई है और शादी कर ली है। पीठ ने कहा कि युवती अपनी स्वेच्छा से कहीं भी और किसी के भी साथ रहने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। पीठ ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि अपनी सुरक्षा में लड़की को उस युवक के घर तक पहुंचाएं, जिसके साथ उसने शादी की है।
हाई कोर्ट ने परिजनों को दी चेतावनी
हाई कोर्ट ने युवती के पिता को निर्देश दिए कि युवती व्यस्क है और वह अपनी बेटी और उसके पति को डराने धमकाने का काम नहीं करें और न ही कानून को हाथ में लेने का प्रयास करें। इससे उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
जरूरत पड़ने पर दंपति को तत्काल सुरक्षा दे पुलिस- हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा है कि जहां पर लड़की अपने पति के साथ रहती है, वहां के एक पुलिस अधिकारी को अपना मोबाइल नंबर उसके साथ साझा करने का आदेश दिया जाए। इसके अलावा यदि युवती कभी भी असुरक्षित महसूस करती है या किसी खतरे की अंदेशा हो तो पुलिस अधिकारी तत्काल राहत पहुंचाए। इसी तरह हाई कोर्ट ने लड़की को भी किसी भी प्रकार की समस्या होने पर पुलिस से संपर्क करने को कहा।