रोक लगने से 3 दिन पहले सरकार ने दिया था 10,000 चुनावी बॉन्ड छापने का आदेश
क्या है खबर?
चुनावी बॉन्ड को लेकर रोज नए खुलासे हो रहे हैं।
ताजा जानकारी में सामने आया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बांड को असंवैधानिक करार दिए जाने से 3 दिन पहले सरकार ने 10,000 बॉन्ड की छपाई को मंजूरी दी थी। हर बॉन्ड की कीमत 1 करोड़ रुपये थी, यानी कुल 1 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड छापे जाने थे।
हालांकि, कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने छपाई पर रोक लगा दी थी।
बॉन्ड
SBI को भेजे जा चुके थे 8,350 बॉन्ड
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SPMCIL) को एक करोड़ रुपये के 10,000 चुनावी बांड की छपाई के लिए अंतिम मंजूरी दे दी थी।
सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) द्वारा प्राप्त वित्त मंत्रालय और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के बीच पत्राचार और ईमेल से यह खुलासा हुआ है। रिकॉर्ड्स से पता चला है कि SPMCIL ने पहले ही 8,350 बॉन्ड छाप कर SBI को भेज दिए थे।
आदेश
27 फरवरी को सरकार ने छपाई रोकने का आदेश दिया
रिपोर्ट के मुताबिक, 10,000 बॉन्ड की छपाई के लिए 12 फरवरी को भारत सरकार की ओर से मंजूरी मिली थी।
27 फरवरी को वित्त मंत्रालय के बजट अनुभाग से SBI और मंत्रालय के अन्य लोगों को एक ईमेल भेजा गया था, जिसमें कहा गया था, "SBI से अनुरोध है कि वह शेष 1,650 चुनावी बांडों की छपाई पर रोक लगाने के लिए SPMCIL को तुरंत सूचित करें, जिन्हें छापने के लिए पहले मंजूरी दी गई थी।"
रोक
15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक
सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने 15 फरवरी को ऐतिहासिक आदेश सुनाते हुए राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने की चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया था।
कोर्ट ने कहा था कि लोगों को यह जानने का अधिकार है कि राजनीतिक पार्टियों को कहां से पैसा मिल रहा है। उसने SBI को बॉन्ड से संबंधित सारा डाटा चुनाव आयोग को देने और आयोग को ये डाटा अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था।
चंदा
बॉन्ड से किसे मिला कितना चंदा?
2018 में चुनावी बॉन्ड योजना शुरू होने के बाद से अब तक कुल 22,217 बॉन्ड भुनाए गए हैं। इनके जरिए भाजपा ने 8,451 करोड़ रुपये, कांग्रेस 1,950 करोड़ रुपये, तृणमूल कांग्रेस (TMC) को 1,707.81 करोड़ रुपये और भारत राष्ट्र समिति (BRS) को 1,407.30 करोड़ रुपये मिले हैं।
'लॉटरी किंग' सैंटियागो मार्टिन के स्वामित्व वाली कंपनी फ्यूचर गेमिंग ने सबसे ज्यादा 1,368 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं। इसके बाद मेघा इंजीनियरिंग ने 966 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं।
चुनावी बॉन्ड
क्या थे चुनावी बॉन्ड?
चुनावी बॉन्ड एक सादा कागज होता था, जिस पर नोटों की तरह उसकी कीमत छपी होती थी। इसे कोई भी व्यक्ति या कंपनी खरीदकर अपनी मनपंसद राजनीतिक पार्टी को चंदे के तौर पर दे सकती थी।
बॉन्ड खरीदने वाले की जानकारी केवल SBI के पास रहती थी। हर तिमाही में SBI 10 दिन के लिए चुनावी बॉन्ड जारी करता था। केंद्र सरकार ने 2017 के बजट में इसकी घोषणा की थी, जिसे लागू 2018 में किया गया।