ECI ने अपनी वेबसाइट पर जारी किया यूनिक बॉन्ड नंबर समेत चुनावी बॉन्ड का पूरा डाटा
क्या है खबर?
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की ओर से यूनिक बॉन्ड नंबर समेत चुनावी बॉन्ड संबंधित पूरा डाटा चुनाव आयोग (ECI) को जमा करने के कुछ समय बाद ही ECI ने उसे अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है।
इससे अब यह सामने आ गया है कि किस व्यक्ति या कंपनी ने किस पार्टी को चुनावी बॉन्ड के जरिए कितना चंदा दिया है।
इससे पहले बैंक ने आयोग को अधूरी जानकारी उपलब्ध कराई थी।
आइए पूरी खबर जानते हैं।
बयान
आयोग ने डाटा जारी करने के बाद क्या दिया बयान
आयोग की ओर से चुनावी बॉन्ड से जुड़ा पूरा डाटा आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करने के बाद बयान भी जारी किया है।
इसमें आयोग ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद SBI ने 21 मार्च को चुनावी बॉन्ड का डेटा मुहैया कराया है।
आयोग ने पूरी जानकारी जिस स्थिति में मिला वैसी स्थिति के आधार पर वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। चुनावी बॉन्ड का डेटा 900 से अधिक पन्नों में आम जनता भी देख सकती है।
खुलासा
आयोग ने वेबसाइट पर अपलोड किया 938 पन्नों का डाटा
SBI की ओर से उपलब्ध कराए गए 938 पन्नों के डाटा को आयोग ने 2 फाइलों में अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है।
इसमें पहली फाइनल में आयोग ने 552 पन्नों में बताया है कि कौन-से राजनीतिक दल ने कितने रुपये का बॉन्ड कितनी तारीख को भुनाया।
इसी तरह दूसरी फाइल में मौजूद 386 पन्नों बॉन्ड खरीदने वाली फर्म या शख्स का नाम सार्वजनिक किया है। इसमें बॉन्ड के सीरियल नंबर के साथ खरीदने की तारीख की भी जानकारी है।
फटकार
SBI ने सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद उपलब्ध कराया पूरा डाटा
बता दें कि 14 मार्च को SBI ने आयोग को किस व्यक्ति/कंपनी ने किस तारीख को कितने-कितने रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे और किस राजनीतिक पार्टी ने किस तारीख को कितने-कितने रुपये के बॉन्ड भुनाए की जानकारी दी थी।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उसे फटकार लगाते हुए यूनिक नंबर समेत बॉन्ड से संबंधित पूरा डाटा 21 मार्च तक जमा कराने को कहा था।
ऐसे में SBI ने आज आयोग में मांगा गया पूरा डाटा जमा कर दिया है।
अहमियत
क्यों अहम है यूनिक बॉन्ड नंबर?
SBI द्वारा जारी किए गए हर चुनावी बॉन्ड पर एक यूनिक अल्फान्यूमेरिक (संख्या और अक्षरों से बना) कोड छपा होता है, जो नग्न आंखों से दिखाई नहीं देता।
इसे केवल एक खास तरह की रोशनी (अल्ट्रावायलेट किरणों) में ही देखा जा सकता है।
इस कोड का मिलान करके ये पता किया जा सकता है कि किस कंपनी या व्यक्ति ने किस राजनीतिक पार्टी को कितना चंदा दिया। इससे रिश्वत लेकर कंपनियों को ठेका देने का खुलासा हो सकता है।
फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को करार दिया था असंवैधानिक
सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने 15 फरवरी को ऐतिहासिक आदेश सुनाते हुए राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने की चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दे दिया था।
कोर्ट ने कहा था कि लोगों को यह जानने का अधिकार है कि राजनीतिक पार्टियों को कहां से पैसा मिल रहा है।
उसने SBI को बॉन्ड से संबंधित सारा डाटा चुनाव आयोग को देने और आयोग को ये डाटा अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था।