चुनावी बॉन्ड: सुप्रीम कोर्ट का SBI को आदेश, गुरुवार तक यूनिक नंबर समेत पूरा डाटा दो
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बार भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को कड़ी फटकार लगाते हुए उसे यूनिक बॉन्ड नंबर और क्रम संख्या समेत चुनावी बॉन्ड से संबंधित सारा डाटा चुनाव आयोग को देने को कहा। आयोग को SBI से डाटा मिलते ही इसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना होगा।
कोर्ट ने SBI से हलफनामा दाखिल कर ये भी कहने को कहा है कि उसने कोई डाटा नहीं छिपाया है। ये हलफनामा उसे गुरुवार शाम 5 बजे तक देना है।
पृष्ठभूमि
क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने 15 फरवरी को राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने की चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया था।
कोर्ट ने SBI को बॉन्ड के माध्यम से पार्टियों को मिले दान और बॉन्ड खरीदारों का डाटा चुनाव आयोग को देने को कहा था।
आयोग ने 14 मार्च को SBI से मिला डाटा सार्वजनिक कर दिया, लेकिन इसमें यूनिक बॉन्ड नंबर जैसी अहम जानकारी नहीं दी, जिससे पता चल सके कि किसने किसे चंदा दिया।
सुनवाई
CJI बोले- SBI चयनात्मक नहीं हो सकती
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि फैसले में SBI को पूरे डाटा का खुलासा करने को कहा गया था, जिसमें बॉन्ड नंबर भी शामिल हैं और बैंक जानकारी देने में चयनात्मक नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा, "SBI का रवैया ऐसा लगता है कि आप हमें बताइए क्या जानकारी देनी है, हम वही जानकारी देंगे। यह उचित नहीं है। हम SBI के पास मौजूद चुनावी बॉन्ड से संबंधित सारी जानकारी का खुलासा चाहते हैं।"
आवेदन
SBI और सरकार ने की याचिकाकर्ताओं पर "लगाम" लगाने की अपील
SBI की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि बैंक सारी जानकारी दे रहा है और कोई जानकारी नहीं छिपा रहा है, लेकिन अगर जांच की मांग करने वाली जनहित याचिकाएं दायर होनी चाहिए।
वहीं सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आंकड़ों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है और आरोप लगाए जा रहे हैं।
CJI ने कहा कि एक संस्था होने के नाते वे ऐसी टिप्पणियों को झेल सकते हैं।
याचिकार्ता
अप्रैल, 2019 से पहले का डाटा जारी करने का आवेदन खारिज
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि केवल 12 अप्रैल, 2019 के बाद का डाटा जारी किया गया है और हमारा अनुरोध है कि बिल्कुल शुरुआत (चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत) से डाटा का खुलासा होना चाहिए।
इस पर CJI ने कहा कि ये आदेश जारी करने का मतलब उसके मूल फैसले में एक बड़ा बदलाव करना होगा और ये फैसले की समीक्षा बन जाएगा। इस आधार पर उन्होंने इस आवेदन को खारिज कर दिया।
यूनिक नंबर
क्या है यूनिक नंबर और ये क्यों अहम?
SBI द्वारा जारी किए गए हर चुनावी बॉन्ड पर एक यूनिक अल्फान्यूमेरिक (संख्या और अक्षरों से बना) कोड छपा होता है, जो नग्न आंखों से दिखाई नहीं देता। इसे केवल एक खास तरह की रोशनी (अल्ट्रावायलेट किरणों) में ही देखा जा सकता है।
इस कोड का मिलान करके ये पता किया जा सकता है कि किस कंपनी या व्यक्ति ने किस राजनीतिक पार्टी को कितना चंदा दिया। इससे रिश्वत लेकर कंपनियों को ठेका देने का खुलासा हो सकता है।