#NewsBytesExplainer: देश के बेरोजगारों में 83% युवा, और क्या-क्या कहते हैं अंतरराष्ट्रीय लेबर ऑर्गनाइजेशन के आंकड़े?
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन(ILO) और इंस्टिट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट (IHD) ने हाल ही में भारत में बेरोजगारी से जुड़ी इंडिया एंप्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024 जारी की है। इसमें कहा गया है कि भारत के बेरोजगारों में 83 प्रतिशत आबादी युवा है। रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षित लोगों में भी बेरोजगारी बढ़ी है। रिपोर्ट सामने आने के बाद विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है। आइए जानते हैं कि रिपोर्ट में क्या-क्या कहा गया है।
देश की 83 प्रतिशत युवा आबादी बेरोजगार
2022 में कुल बेरोजगार आबादी में बेरोजगार युवाओं की हिस्सेदारी 82.9 प्रतिशत थी। कुल बेरोजगार लोगों में शिक्षित युवाओं की हिस्सेदारी साल 2000 में 54.2 प्रतिशत थी, जो 2022 में बढ़कर 65.7 प्रतिशत हो गई है। युवाओं के बीच बेरोजगारी दर उन लोगों की तुलना में 6 गुना अधिक थी, जिन्होंने माध्यमिक शिक्षा या उच्च शिक्षा पूरी कर ली थी। इसी तरह स्नातक पढ़े लिखे लोगों के मुकाबले ये आंकड़ा 9 गुना ज्यादा है।
वेतन को लेकर रिपोर्ट में क्या है?
रिपोर्ट के अनुसार, लोगों का वेतन ज्यादातर पहले जैसा रहा है। नियमित श्रमिकों और स्वरोजगार वाले व्यक्तियों के वेतन में 2019 के बाद नकारात्मक प्रवृत्ति देखी गई है। बिना कौशल वाले श्रमिकों को 2022 में न्यूनतम वेतन तक नहीं मिला है। 2000 में कुल नियोजित युवा आबादी का आधा हिस्सा स्व-रोजगार, 13 प्रतिशत के पास नियमित नौकरियां और 37 प्रतिशत के पास आकस्मिक नौकरियां थीं। 2022 में ये आंकड़ा क्रमशः 47, 28 और 25 प्रतिशत पर आ गया है।
युवाओं में कौशल की कमी
रिपोर्ट में भारत के युवाओं में जरूरी डिजिटल साक्षरता की कमी के बारे में भी बताया गया है। 90 प्रतिशत भारतीय युवा एक्सेल स्प्रेडशीट में मैथ्स के फॉर्मूला लगाने में असमर्थ हैं। 60 प्रतिशत युवा फाइलें कॉपी और पेस्ट नहीं कर सकते हैं और 75 प्रतिशत युवा किसी अटैचमेंट के साथ ईमेल भेजने में असमर्थ हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल कौशल की कमी के चलते युवाओं की रोजगार क्षमता में रुकावट आ रही है।
महिलाओं को लेकर रिपोर्ट में क्या है?
भारत में महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) दुनिया में सबसे कम है। 2000 और 2019 के बीच महिला LFPR में 14.4 प्रतिशत अंक की गिरावट आई है। हालांकि, 2019 और 2022 के बीच महिला LFPR में 8.3 प्रतिशत अंक की वृद्धि हुई है। 2022 में श्रम में महिलाओं की भागीदारी 32.8 प्रतिशत थी, जो पुरुषों के 77.2 प्रतिशत की तुलना में 2.3 गुना कम है। ये रोजगार में लैंगिक असमानता को दर्शाता है।
किस-किस क्षेत्र से मिल रहा है रोजगार?
साल 2019 में कुल रोजगार में कृषि की हिस्सेदारी लगभग 42 प्रतिशत हो गई है, जो 2000 में 60 प्रतिशत थी। निर्माण और सेवा क्षेत्र में रोजगार का हिस्सा बढ़ा है। 2000 में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत थी, जो 2019 में बढ़कर 32 प्रतिशत हो गया है। रोजगार में विनिर्माण की हिस्सेदारी लगभग 12-14 प्रतिशत के आसपास बनी हुई है, जो पहले के स्तर के समान ही है।
कम वेतन वाली नौकरियों में दलित-आदिवासी ज्यादा
रिपोर्ट में बढ़ती सामाजिक असामनता पर प्रकाश डालते हुए कहा गया है कि आरक्षण के बावजूद अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय के लोगों की बेहतर नौकरियों तक पहुंच नहीं है। इन लोगों की काम में भागीदारी तो है, लेकिन वे कम वेतन वाले और अनौपचारिक रोजगार में लगे हुए हैं। इन समुदाय के लोगों को रोजगार के बेहतर मौकों के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
आंकड़ों को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'हमारे युवा मोदी सरकार की दयनीय उदासीनता का खामियाजा भुगत रहे हैं, क्योंकि लगातार बढ़ती बेरोजगारी ने उनका भविष्य बर्बाद कर दिया है।' राहुल गांधी ने कहा, 'इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024 न सिर्फ रोजगार पर मोदी सरकार की भीषण नाकामी का दस्तावेज है, बल्कि कांग्रेस की रोजगार नीति पर मुहर भी है। हमारी गारंटी है हम 30 लाख सरकारी पदों को भरेंगे।'