राज्यसभा में भाजपा बोली- किसानों के आंदोलन को दूसरा शाहीन बाग न बनाए विपक्ष
तीन नए कृषि कानूनों को किसानों के लिए हितकारी बताते हुए भाजपा ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि गतिरोध के समाधान के लिए बातचीत के दरवाजे हमेशा खुले हैं और विपक्षी दलों को किसानों के आंदोलन को दूसरा शाहीन बाग नहीं बनाना चाहिए। ऊपरी सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश करते हुए भाजपा सांसद भुवनेश्वर कालिता ने कहा कि सरकार किसानों का सम्मान करती है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या है कृषि कानूनों का पूरा मुद्दा?
मोदी सरकार ने पिछले साल कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून बनाए थे। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
कृषि कानूनों के किसानों को ज्यादा अधिकार दिए गए- कालिता
कालिता ने कहा कि सरकार ने तीनों नए कानूनों के जरिये किसानों को ज्यादा अधिकार दिए हैं और उनसे कोई अधिकार नहीं छीना गया है। सदन में हंगामा कर रहे विपक्षी दलों के सांसदों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि तीनों कानूनों को विस्तृत विचार-विमर्श के बाद संसद से पारित किया गया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि इन तीनों कानूनों का फायदा 10 करोड़ से अधिक लोगों को छोटे किसानों तक पहुंचना शुरू हो गया है।
शाहीन बाग में CAA के खिलाफ हुआ था प्रदर्शन
कालिता ने कहा, "किसानों के लिए बातचीत के दरवाजे हमेशा खुले हैं ताकि इस गतिरोध का हल निकाला जा सके। सरकार इससे जुड़े सभी मुद्दों पर बात करने को तैयार है, लेकिन मेरी साथियों से अपील है कि कृप्या इसे दूसरा शाहीन बाग न बनाएं।" याद दिला दें कि दिल्ली स्थित शाहीन बाग नागरिकता (संशोधन) कानून (CAA) के खिलाफ हुए प्रदर्शनों का प्रमुख केंद्र था। यहां 100 दिनों से ज्यादा समय तक प्रदर्शन चला था।
नए कानून छोटे किसानों के लिए लाभकारी होंगे- तोमर
वहीं एक और भाजपा सांसद विजय पाल सिंह तोमर ने कहा कि ये कानून विस्तृत चर्चा के बाद पारित किए गए हैं और पिछले दो दशकों में कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए 12 विशेषज्ञ समूह गठित किए गए हैं। कृषि कानूनों के आलोचकों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोग इन कानूनों को लेकर झूठ फैला रहे हैं। ये कानून छोटे किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए लाभकारी साबित होंगे।
किसान आंदोलन में फिलहाल क्या चल रहा है?
सुप्रीम कोर्ट इन तीनों कानूनों के अमल पर अस्थायी रोक लगा चुका है। दूसरी तरफ सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद गतिरोध का हल नहीं निकल सका है। सरकार संशोधन को तैयार है, लेकिन किसान कानून रद्द कराने की मांग पर अड़े हैं। किसानों ने अपनी मांगों को लेकर ट्रैक्टर परेड निकाली थी, जिसमें जमकर हिंसा हुई। अब किसानों ने 6 फरवरी को तीन घंटे तक देशभर में चक्का जाम का आह्वान किया है।