पंजाब में किसानों का राज्यव्यापी बंद: सुप्रीम कोर्ट की समिति 3 जनवरी को करेगी वार्ता
क्या है खबर?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी समेत कई मांगों को लेकर पिछले 35 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल के समर्थन में पंजाब में सोमवार को बुलाए गए राज्यव्यापी बंद का प्रभावी असर देखने को मिला है।
यह बंद किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने बुलाया है।
मामले में गठित सुप्रीम कोर्ट की समिति अब 3 जनवरी को SKM नेताओं से किसानों की मांगों को लेकर पहले दौर की वार्ता करेगी।
निमंत्रण
किसान नेताओं ने स्वीकार किया समिति का वार्ता का प्रस्ताव
दोपहर में सेवानिवृत्त न्यायाधीश नवाब सिंह की अध्यक्षता में गठित सुप्रीम कोर्ट की समिति ने SKM को 3 जनवरी को बातचीत के लिए आमंत्रित किया था, जिसे किसानों ने स्वीकार कर लिया है।
SKM की राष्ट्रीय समन्वय समिति के सदस्य रमिंदर सिंह पटियाला ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "सुप्रीम कोर्ट की समिति ने मांगों पर चर्चा के लिए वार्ता का प्रस्ताव भेजा है, जिसे संगठन ने स्वीकार कर लिया है। अब 3 जनवरी को पहले दौर की वार्ता होगी।"
असर
व्यापक स्तर पर दिखा बंद का असर, 174 ट्रेनें रद्द
पंजाब में इस बंद का असर व्यापक स्तर पर नजर आया। राज्य के सभी जिलों में विभिन्न जगहों पर किसानों ने जमा होकर सरकार से मांगे पूरी करने का आह्वान किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की।
राज्य में 200 से अधिक स्थानों (राजमार्ग और रेलवे ट्रैक) पर चक्का जाम करने से कुल 232 ट्रेनें प्रभावित हुई।
भारतीय रेलवे ने शताब्दी और वंदे भारत एक्सप्रेस सहित 174 ट्रेनें रद्द कर दी और शेष ट्रेनों का मार्ग बदलकर संचालन किया।
रोष
किसानों के सड़कें जाम करने से प्रभावित रहा यातायात
किसानों ने राज्य भर में कई स्थानों पर सड़कें अवरुद्ध की, जिससे दिनभर यातायात बाधित रहा।
किसानों ने धारेरी जट्टान टोल प्लाजा पर धरना दिया, जिससे पटियाला-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई। अमृतसर में गोल्डन गेट और बठिंडा के रामपुरा फूल में भी किसानों ने सड़कें अवरुद्ध कीं।
हालांकि, इस दौरान किसानों ने आपातकाली सेवाओं के संचालन की अनुमति दे रखी थी। इससे लोगों को ज्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ा।
जानकारी
पंजाब सरकार ने किया दल्लेवाल को चिकित्सा सहायता देने का प्रयास
बंद के बीच पंजाब सरकार द्वारा नियुक्त टीम ने भूख हड़ताल पर बैठे दल्लेवाल को चिकित्सा सहायता लेने के लिए मनाने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। इस दौरान उन्होंने विरोध स्थल से हटाए जाने के लिए बल प्रयोग की आशंका भी जताई।
समर्थन
बंद को ट्रक चालकों का भी मिला समर्थन
किसानों के बंद को ट्रक चालकों ने भी अपना समर्थन दिया। ऐसे में दिनभर पूरे राज्य में ट्रकों के पहिए थमे रहे।
इसके कारण फल-सब्जी मंडी सहित व्यापारियों के यहां माल नहीं पहुंच सका। इसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ा।
इसी तरह राज्यभर में सभी शैक्षणिक संस्थान भी बंद रहे। किसानों ने सरकारी कार्यालय, नौकरी के लिए साक्षात्कार, हवाई अड्डे, विवाह समारोह और अन्य जरूरी कार्यों के लिए जाने वालों को बंद से छूट दी थी।
मांग
क्या है किसानों की मांग?
दरअसल, किसान फसलों के लिए MSP की गारंटी सुनिश्चित करने, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के तहत 10,000 रुपये से अधिक के किसानों के सभी कर्ज माफ करने, भूमि अधिग्रहण से प्रभावित परिवारों को अधिक मुआवजा देने, सरकर के मुक्स व्यापार समझौतों से बाहर निकलने, लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में दोषियों को सजा देने, किसानों के लिए पेंशन शुरू करने, विद्युत संशोधन बिल 2020 को रद्द करने, किसान आंदोलन में मारे गए किसानों काे मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।
मार्च
कई बार 'दिल्ली मार्च' कर चुके हैं किसान
किसानों ने इस महीने में कई बार 'दिल्ली मार्च' शुरू किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें दिल्ली नहीं जाने दिया।
पहले 6 दिसंबर को शंभू बॉर्डर से किसानों ने दिल्ली कूच शुरू किया था। इसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे थे, जिनमें 7 किसान घायल हो गए थे। फिर 8 दिसंबर को भी ऐसा ही हुआ।
इसके बाद 14 दिसंबर को भी 101 किसानों के एक जत्थे को हरियाणा पुलिस ने शंभू बॉर्डर पर रोक दिया था।