पंजाब में एक बार फिर सड़कों पर किसान, जानें क्या है पूरा मामला
क्या है खबर?
पंजाब में एक बार फिर से किसान प्रदर्शन पर उतर आए हैं। इस बार वे पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उनके प्रदर्शन को अनुचित और अवांछनीय बताया है, लेकिन साथ ही बातचीत के लिए तैयार होने की बात कही है।
उन्होंने कहा कि उन्होंने मंगलवार को भी किसानों के साथ बातचीत की थी, लेकिन इसमें कोई समाधान नहीं निकला।
ये पूरा मामला क्या है, आइए जानते हैं।
प्रदर्शन
क्यों प्रदर्शन कर रहे किसान?
प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि मार्च में अचानक से तापमान में वृद्धि के कारण उन्हें गेंहू की फसल में नुकसान हुआ और इसी भरपाई के लिए राज्य सरकार उन्हें 500 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजा दे।
इसके अलावा वो धान की बुवाई को लेकर राज्य सरकार की नीति का भी विरोध कर रहे हैं। सरकार ने 18 जुलाई से चरणों में बुवाई शुरू करने को कहा है, जबकि किसान 10 जून से बुवाई शुरू करने पर अड़े हुए हैं।
अन्य मांगें
किसानों ने मक्के, बासमती और मूंग की खरीद पर MSP भी मांगी
इसके अलावा प्रदर्शनकारी किसानों ने सरकार से मक्का, बासमती चावल और मूंग की दाल की खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने की मांग भी की है।
मामले में 16 किसान संगठनों का संयुक्त किसान मोर्चा राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। सरकार के उनकी मांगों पर सुनवाई न करने के बाद कल किसानों ने चंडीगढ़ की तरफ कूच किया।
हालांकि उन्हें रास्ते में रोक लिया गया और अभी वे चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर धरने पर बैठे हुए हैं।
बयान
मुख्यमंत्री ने प्रदर्शन को बताया अनुचित और अवांछनीय
मुख्यमंत्री मान ने किसानों के इस प्रदर्शन पर मीडिया से बात करते हुए इसे अनुचित और अवांछनीय बताया। उन्होंने कहा कि किसानों को धरना करने का लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन उन्हें अपनी समस्याएं बतानी चाहिए।
किसानों के उनसे मिलने की जिद पर मान ने कहा कि वे किसी भी समय आ सकते हैं और वो पहले भी उन्हें बुला चुके हैं।
उन्होंने कहा कि वो किसानों के साथ बातचीत करने को तैयार हैं।
बयान
भूजल को बचाने के लिए चरणों में धान की बुवाई जरूरी- मान
18 जून से धान की बुवाई शुरू करने की सरकार की नीति के खिलाफ किसानों के विरोध पर मुख्यमंत्री ने कहा कि खोखले नारे भूजल के गिरते स्तर को रोकने के उनके संकल्प को नहीं तोड़ सकते।
उन्होंने कहा कि चरणों में धान की बुवाई करने से किसानों के हितों का नुकसान नहीं होगा, लेकिन ये भूजल को बचाने में काम आ सकता है।
उन्होंने कहा कि 10 जून और 18 जून में खास अंतर नहीं है।
बयान
मान की किसानों से एक साल साथ देने की अपील
मान ने किसानों से उन्हें एक साल साथ देने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर किसानों को इस दौरान नुकसान हुआ तो सरकार इसकी भरपाई करेगी। उन्होंने कहा कि वो किसानों से पूछना चाहते हैं कि क्या पानी बचाकर वो गलत कर रहे हैं।