#NewsBytesExplainer: हजारों किसान नासिक से मुंबई तक पैदल मार्च क्यों कर रहे हैं?
महाराष्ट्र के नासिक जिले से हजारों किसान पैदल मार्च कर मुंबई की तरफ जा रहे हैं। अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) के नेतृत्व में किसानों का यह मार्च नासिक के डिंडोरी से शुरु हुआ है और मुंबई के आजाद मैदान पर खत्म होगा। इस दौरान किसान करीब 200 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। किसानों अपनी विभिन्न मांगों को लेकर ये मार्च कर रहे हैं। आइए इस मार्च के बारे में और अधिक जानते हैं।
क्या है किसानों की मांग?
मुंबई की तरफ जा रहे किसानों ने कई मांगों को सामने रखा है, जिनमें प्याज उत्पादक किसानों को 600 रुपये प्रति क्विंटल की वित्तीय राहत देने की मांग प्रमुख तौर पर शामिल है। महाराष्ट्र में प्याज की काफी अधिक पैदावार हुई है, जिसके चलते प्याज की कीमतों में भारी गिरावट होने के कारण किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। हाल ही में नासिक के एक किसान ने अपनी प्याज की फसल में आग लगा दी थी।
क्या हैं किसानों की अन्य मांगें?
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) समेत अन्य वामपंथी पार्टियों के समर्थन से मार्च निकाल रहे किसानों ने एक दिन में लगातार 12 घंटे बिजली आपूर्ति की मांग की है। किसानों ने उनके कृषि ऋण को माफ करने की मांग को भी प्रमुख तौर पर सरकार के सामने रखा है। इसके अलावा किसान बेमौसम बारिश और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल प्रभावित होने पर तत्काल मुआवजा और सहायता राशि उपलब्ध करवाए जाने का प्रावधान भी चाहते हैं।
वन भूमि अधिकारों की मांग भी कर रहे हैं किसान
किसान वन भूमि अधिकार मुद्दा भी उठा रहे हैं। किसानों के मुताबिक, वन में पिछले कई वर्षों से जमीन जोतने वाले आदिवासियों को अभी तक जमीन का अधिकार नहीं मिला है और लिखित आश्वासन के बावजूद कुछ नहीं हुआ है। किसानों ने आरोप लगाया कि वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 को लागू हुए करीब 18 वर्ष पूरे हो चुके हैं और अब तक तैयार किए गए भूमि अभिलेखों में भी कई गड़बड़ियां हैं।
यहां देखें किसानों के पैदल मार्च का वीडियो
कौन कर रहा मार्च का नेतृत्व?
AIKS की महाराष्ट्र इकाई के महासचिव अजीत नवाले मार्च का नेतृत्व करने वाले प्रमुख लोगों में शामिल हैं। उन्होंने कहा, "प्याज के दाम जब भी गिरे हैं तो किसानों को सरकार से न्याय की जगह सिर्फ आश्वासन मिला है। किसानों के और भी कई मुद्दे हैं, जिनका आज तक समाधान नहीं हो पाया है। किसान अपने हकों की मांग और न्याय के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए यह पैदल मार्च निकाल रहे हैं।"
किसानों ने 2018 में भी निकाला था ऐसा ही मार्च
किसानों ने 2018 में भी नासिक से मुंबई तक पैदल मार्च निकाला था। वामपंथी दलों द्वारा आयोजित इस मार्च में भी हजारों किसानों की भागीदारी देखी गई थी। किसानों ने तब वर्षों से खेती करने वाले आदिवासियों की ऋण माफी और वन भूमि के हस्तांतरण की मांग की थी। उनकी मार्च सोशल मीडिया पर छाई रही थी। जब किसान मुंबई पहुंचे थे तो राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किसानों की मांगों को स्वीकार कर लिया था।
महाराष्ट्र सरकार मामले में क्या कर रही है?
महाराष्ट्र सरकार बातचीत के जरिए मामला सुलझाने की कोशिश कर रही है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने दो मंत्रियों दादा भुसे और अतुल सावे को किसानों से उनकी मांगों को सुनने के लिए मुंबई के रास्ते में मुलाकात करने के लिए भेजा है। मंगलवार को भी किसानों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक आयोजित की गई थी। शिंदे ने प्याज उत्पादक किसानों को 300 रुपये प्रति क्विंटल सब्सिडी देने का ऐलान भी किया है।
विपक्ष क्या कर रहा है?
कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने किसानों के मुद्दों को विधानसभा और विधान परिषद में उठाया है। वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने किसानों के मार्च को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, "किसान नासिक से मुंबई आ रहे हैं। उनकी मांगों पर ध्यान देना चाहिए। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों को अपनी मांगों को लेकर इतनी दूर आना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को उनकी बात समझनी चाहिए।"