सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन पर अपनाया सख्त रुख, कहा- हमेशा अवरुद्ध नहीं रह सकते हाईवे

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 10 महीनों दिल्ली की सीमा पर डेरा डाले बैठे किसानों पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि जब समस्या का समाधान न्यायिक मंच, संसदीय बहस से हो सकता है तो फिर राजमार्गों को अवरुद्ध क्यों किया गया है। इन्हें हमेशा के लिए अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है। इस दौरान कोर्ट ने केंद्र को कुछ किसान संगठनों के खिलाफ अर्जी दायर करने की अनुमति भी दे दी।
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन कानून लाई थी। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
बता दें कि किसान 25 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे है। इससे गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, शाहजहांपुर बॉर्डर, दिल्ली-नोएडा मार्ग सहित अन्य कई मार्गों पर वाहनों की आवाहाजी बंद है। नोएडा मार्ग के बंद होने से लोगों को 20 मिनट का सफर करने में दो घंटे का समय लग रहा है। इसी तरह शाहजहांपुर बॉर्डर पर एक तरफ का रास्ता बंद होने से दिल्ली जाने वाले लोगों को सफर लंबा हो गया है।
किसान आंदोलन के कारण सड़क बंद होने को लेकर नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल ने अगस्त में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि नोएडा से दिल्ली तक उनका सफर सड़क जाम के कारण सामान्य 20 मिनट के बजाय दो घंटे का समय ले रहा है। इससे उन्हें खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर हलफनामा दायर करने को कहा था।
मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस एसके कौल की पीठ ने 23 अगस्त को केंद्र और राज्य सरकारों से पूछा था कि अभी तक सड़कें बंद क्यों हैं? सड़क पर ट्रैफिक नहीं रोका जा सकता है। सरकार को कोई हल निकालना होगा। पीठ ने कहा था सुप्रीम कोर्ट के इस संबंध में कई फैसले हैं कि सड़क इस तरह बंद नहीं हो सकती। किसानों को प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन सड़कों पर आवाजाही को नहीं रोका जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को हल निकालने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था, लेकिन उसके बाद सरकार कुछ नहीं कर पाई और 27 सितंबर को किसानों ने 'भारत बंद' के तहत देश में कई राजमार्गों को जाम कर दिया।
मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा, "जब संसद में बहस, न्यायिक मंचों के जरिए समस्या का हल हो सकता है तो फिर सड़कों को जाम क्यों किया गया है?" कोर्ट ने कहा, "हम कानून बना सकते हैं, लेकिन उसे कैसे लागू किया जाए यह आपका काम है। कोर्ट इसे लागू नहीं कर सकता है। इसे लागू करना कार्यपालिका का काम है। ऐसे में इस पर त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए।"
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "अगर सरकार को लगता है कि मामले के लिए किसी को पार्टी बनाना है, तो वह इसके लिए अर्जी दाखिल कर सकती है। इसमें कुछ किसान संगठनों को पार्टी बनाया जा सकता है, लेकिन सरकार को मामले को सुलझाने के लिए उठाए गए कदमों की भी जानकारी देनी होगी।" कोर्ट ने आगे कहा, "केंद्र मामले में जल्द से जल्द आगे कार्रवाई करें। इसके बाद आगामी 4 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई की जाएगी।"