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    कृषि कानून: 26-27 नवंबर को दिल्ली मार्च करेंगे किसान, बताया अस्तित्व का सवाल

    कृषि कानून: 26-27 नवंबर को दिल्ली मार्च करेंगे किसान, बताया अस्तित्व का सवाल

    लेखन प्रमोद कुमार
    Nov 23, 2020
    01:25 pm

    क्या है खबर?

    नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठन 26-27 नवंबर को दिल्ली मार्च करने की योजना बना रहे हैं।

    इन संगठनों का कहना है कि अगर उन्हें रोका जाता है तो पड़ोसी राज्यों से दिल्ली आने वाले सभी रास्ते बंद कर दिए जाएंगे।

    इनका कहना है कि देशभर के किसान दिल्ली मार्च करेंगे। इन्हें रास्ते में जहां भी रोका जाएगा, ये वहीं धरने पर बैठ जाएंगे।

    दूसरी तरफ दिल्ली सरकार ने किसान संगठनों को रैली की इजाजत नहीं दी है।

    विवाद की पृष्ठभूमि

    क्या है कृषि कानूनों से जुड़ा मुद्दा?

    दरअसल, मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।

    पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।

    बयान

    "मार्च रोका तो दिल्ली के रास्ते बंद करेंगे उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसान"

    किसानों के मार्च के बारे में जानकारी देते हुए भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के प्रमुख बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि अगर मार्च को रोका जाता है तो हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान अपने-अपने राज्यों से गुजरने वाले दिल्ली के रास्तों को बंद करेंगे।

    दिल्ली मार्च

    खाने से लेकर सोने तक, सारी व्यवस्था करके चलेंगे किसान

    उन्होंने आगे कहा, "हमें जहां भी रोका जाएगा, हम वहीं धरने पर बैठ जाएंगे। हम अपने साथ राशन, टेंट, गद्दे और कंबल लेकर जाएंगे। हमें सड़कों पर सोने की आदत है और हम सड़कों पर सोते रहेंगे। सिर्फ पंजाब ही नहीं बल्कि पूरे देश के किसान दिल्ली मार्च करने से रोके जाने पर सड़कों पर सोएंगे। अब यह केंद्र सरकार पर निर्भर करता है कि वो क्या फैसला करती है।"

    दिल्ली मार्च

    किसान बोले- हमारे अस्तित्व का सवाल

    बता दें कि दिल्ली सरकार ने किसानों को जंतर-मंतर या रामलीला मैदान में रैली करने की इजाजत नहीं दी है। दूसरी तरफ किसान संगठन दिल्ली मार्च करने की बात पर अड़े हुए हैं।

    कोरोना वायरस महामारी के डर और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करने के सवाल पर किसानों का कहना है कि उन्हें इनकी चिंता नहीं है क्योंकि कृषि कानून का मुद्दा उनके अस्तित्व से जुड़ा हुआ है।

    पंजाब के 30 किसान संगठन मार्च के तहत जत्थे दिल्ली भेजेंगे।

    बयान

    दिल्ली चलो कार्यक्रम पर है पूरा ध्यान- राजेवाल

    राजेवाल ने कहा, "अभी हमारा पूरा ध्यान दिल्ली चलो कार्यक्रम पर है। इसलिए हमने रेलवे स्टेशनों के बाहर से धरना हटाने की घोषणा की है ताकि रेलों का आवागमन शुरू हो सके।"

    जब उनसे पूछा गया कि अगर दिल्ली से पहले ही हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार किसानों को प्रदेश में जाने से रोक देती है तो क्या होगा? इसके जवाब में राजेवाल ने कहा कि वो हरियाणा सीमा पर ही धरना शुरू कर देंगे।

    बयान

    "2,000 से ज्यादा गांवों के किसान मार्च में शामिल होंगे"

    पंजाब के सबसे बड़े किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकालन ने कहा कि 2,000 से ज्यादा गांवों से जत्थे इस मार्च में भाग लेंगे।

    इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उन्होंने बताया, "हम जा रहे हैं, लेकिन वापस आने की कोई तारीख निश्चित नहीं है। हम लाखों की संख्या में दिल्ली जाएंगे। केंद्र ने हम कृषि कानून थोपे है। यह मार्च उसके खिलाफ है। या तो वो इसका समाधान करें नहीं तो हम धरने पर बैठेंगे।"

    बयान

    महिलाएं और बच्चे भी लेंगे मार्च में हिस्सा

    भारतीय किसान यूनियन (दकौंदा) के नेता बलबीर कौर ने कहा, "गांवों में महिलाओं की अलग बैठक हो रही है। पुरुषों के अलावा महिलाएं और बच्चे भी इस मार्च का हिस्सा होंगे। हमने सोचा नहीं था कि ऐसा होगा, लेकिन अब हम इसके लिए तैयार हैं।"

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