उत्तराखंड: सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के प्रयास जारी, गडकरी और धामी ने किया दौरा
उत्तराखंड में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग ढहने की वजह से पिछले 170 घंटों से 41 मजदूर अंदर फंसे हुए हैं। इन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए बचावकर्मी हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। इस बीच निर्माण कंपनी की ओर से एक कथित चूक का मामला सामने आया है। मानकों के अनुसार, 3 किलोमीटर से अधिक लंबी सभी सुरंगों में आपदा की स्थिति में लोगों को बचाने के लिए एक बचाव का रास्ता होना चाहिए, लेकिन इसमें ऐसा नहीं है।
कंपनी ने बचाव मार्ग की योजना को नहीं किया क्रियान्वित- रिपोर्ट
NDTV की रिपोर्ट्स के अनुसार, 4.5 किलोमीटर लंबी निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक नक्शा सामने आया है। इससे पता चलता है कि इस सुरंग में आपात स्थिति में बचाव के लिए एक रास्ता बनाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन इसे कभी क्रियान्वित नहीं किया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे बचाव मार्ग का उपयोग सुंरग निर्माण के बाद भी किया जाता है ताकि आपदा की स्थिति में सुरंग से गुजरने वाले लोगों को बचाया जा सके।
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह को कंपनी ने दिखाया था नक्शा
16 नवंबर को सुरंग निर्माण कंपनी ने ये नक्शा केंद्रीय मंत्री वीके सिंह को दिखाया था, जब वह सुरंग ढहने वाली जगह का दौरा करने पहुंचे थे। तब उन्होंने कहा था कि सुरंग में फंसे मजदूरों को जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा। इसी बीच सुरंग में फंसे मजदूरों के परिजनों का धैर्य भी जवाब देने लगा है। उनका कहना है कि अगर कंपनी ने बचाव मार्ग बनाया होता तो अब तक सभी को बाहर निकाल लिया जाता।
अब 5 योजनाओं पर चल रहा है बचाव अभियान- PMO
रविवार से प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की टीम बचाव अभियान में जुटे विशेषज्ञ सुरंग में फंसे 41 लोगों को बचाने के लिए 5 योजनाओं पर एक साथ काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा, "विशेषज्ञों का मत है कि केवल एक योजना पर काम करने के बजाय हमें 5 योजनाओं पर एक साथ काम करना चाहिए।" उन्होंने कहा, "सुरंग में फंसे सभी लोगों बाहर निकालने में अभी 4-5 दिन का समय और लग सकता है।"
राज्य और केंद्र की 6 एजेंसियों को सौंपी गई है जिम्मेदारी
NDTV के सूत्रों ने कहा कि शनिवार देर शाम को केंद्र ने एक उच्च स्तरीय बैठक भी थी, जहां श्रमिकों को बचाने के लिए 5 योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए राज्य और केंद्र की 6 एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन योजनाओं में सुरंग के सिलक्यारा छोर, बड़कोट छोर और ऊपर से ड्रिलिंग के साथ-साथ दाएं और बाएं से ड्रिल करके रास्ता तैयार किया जाएगा ताकि अंदर फंसे सभी लोगों को जल्द से जल्द बचाया जा सके।
बचाव अभियान के लिए महमूद अहमद को बनाया गया समन्वयक
इस बीच राज्य और केंद्र की एजेंसियों के साथ समन्वय के लिए निर्माण कंपनी राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) के निदेशक महमूद अहमद को प्रभारी नियुक्त किया गया है। मध्य प्रदेश के इंदौर से बेहतर क्षमता वाली ड्रिलिंग मशीन को साइट पर लाए जाने के बाद सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग शुरू करने के लिए एक प्लेटफॉर्म बनाने का काम शनिवार शाम शुरू हो गया है।
मुख्यमंत्री धामी और केंद्रीय मंत्री गडकरी पहुंचें उत्तरकाशी
रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तरकाशी-यमुनोत्री मार्ग पर स्थित सिल्क्यारा सुरंग में चल रहे राहत एवं बचाव कार्य का स्थलीय निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री के साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी राहत और बचाव अभियान का जायजा लिया। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई है कि देश-विदेश में निर्मित अत्याधुनिक मशीनें बचाव कार्यों में सफल होंगी और PMO के मार्गदर्शन में राज्य सरकार का सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को निकालने का मिशन जल्द पूरा होगा।
मंत्री गडकरी बोले- सभी को बाहर निकलना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा, "पिछले 7-8 दिनों से हम पीड़ितों को बचाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। उन्हें बाहर निकालना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हमने संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की है। हम सभी वैकल्पिक विकल्पों पर काम कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "PMO की पूरे अभियान पर नजर है और भारत सरकार की विभिन्न एजेंसियां मिलकर काम कर ही है। हमारी प्राथमिकता फंसे हुए पीड़ितों को भोजन, दवा और ऑक्सीजन उपलब्ध कराना है।"
12 नवंबर से सुरंग में फंसे हैं 41 मजदूर
12 नवंबर की सुबह लगभग 5:00 बजे उत्तरकाशी में भूस्खलन के चलते यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया था, जिसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए। इनमें झारखंड के 15, उत्तर प्रदेश के 8, ओडिशा के 5, बिहार के 5, पश्चिम बंगाल के 3, उत्तराखंड के 2, असम के 2 और हिमाचल का एक मजदूर शामिल है। सभी मजदूर सुरंग में सुरक्षित हैं और उन्हें खाने-पीने की चीजें लगातार मुहैया कराई जा रही हैं।