मालदीव ने भारत से किया सैनिकों को निकालने का अनुरोध, अब समाधान पर होगी चर्चा
मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने शपथ लेने के बाद ही आधिकारिक तौर पर भारतीय सैनिकों को देश छोड़ने को कहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, मुइज्जू ने भारत के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से मुलाकात की और सैन्य मौजूदगी को हटाने के लिए अनुरोध किया है। अब खबर है कि दोनों देश भारतीय सैन्य मंचों का उपयोग जारी रखने के लिए 'व्यावहारिक समाधान' पर चर्चा करने पर सहमत हुए हैं।
राष्ट्रपति बनते ही मुइज्जू ने किया सैनिकों को निकाले जाने का अनुरोध
राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के अगले दिन ही मुइज्जू ने कहा, "जहां तक सुरक्षा से जुड़े मुद्दे हैं, मालदीव अपनी 'लाल रेखा' परिभाषित करेगा और दूसरे मुल्कों की सीमाओं का पूरा सम्मान करेगा। मालदीव में किसी भी देश के सैन्यकर्मी नहीं होंगे। इसके लिए मालदीव कूटनीति को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करेगा और ये सुनिश्चित करेगा कि मालदीव पर जमीन पर विदेशी सेना की किसी तरह की मौजूदगी न हो।"
'व्याव्हारिक समाधान' तलाश रहे दोनों देश
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मुइज्जू ने मालदीव के नागरिकों की चिकित्सा में तैनात भारतीय हेलीकॉप्टरों और विमानों के योगदान की सराहना की। उन्होंने आपातकालीन बचाव कार्यों में 2 भारतीय हेलिकॉप्टरों की भूमिका को भी स्वीकार किया। दोनों देशों के बीच सहमति बनी है कि सरकारें निरंतर सहयोग के लिए व्यावहारिक समाधानों पर चर्चा करेंगी। मुइज्जू और रिजिजू के बीच चिकित्सा निकासी, नशीली दवाओं की तस्करी समेत भारतीय सैन्य जवानों के मुद्दे पर चर्चा हुई।
मुइज्जू ने दिया था 'भारत आउट' का नारा
मुइज्जू को चीन का समर्थक माना जाता है। कई बार वे खुले तौर पर चीन के समर्थन में और भारत के विरोध में बयान दे चुके हैं। उन्होंने अपने चुनावी अभियान में भारतीय सैनिकों को निकाले जाने के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। वे 'इंडिया आउट' का नारा भी दे चुके हैं। इससे पहले मुइज्जू ने मंत्री और राजधानी माले का मेयर रहते हुए चीन समर्थित कई परियोजनाओं को मंजूरी दी थी।
न्यूजबाइट्स प्लस
नवंबर, 1988 में भारत ने मालदीव में ऑपरेशन कैक्टस चलाया था। तब राष्ट्रपति अब्दुल गयूम के खिलाफ विद्रोह भड़क उठा था और उन्होंने भारत से मदद मांगी थी। इसके बाद भारत ने करीब 400 जवान राजधानी माले भेजे थे, जिन्होंने न सिर्फ विद्रोह पर काबू किया, बल्कि राष्ट्रपति गयूम को भी सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। भारत के इस ऑपरेशन की अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने तारीफ की थी।