उत्तराखंड सुरंग हादसा: भूस्खलन से बचाव कार्य बाधित, दिल्ली से मंगवाई जा रही दूसरी मशीन
क्या है खबर?
उत्तराखंड में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग ढहने की वजह से पिछले करीब 72 घंटों से 40 मजदूर अंदर फंस गए हैं। इन्हें बाहर निकालने के लिए लगातार बचाव कार्य जारी है, जिसमें खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
मजदूरों को निकालने के लिए एक दूसरी सुरंग बनाई जा रही थी, तभी भूस्खलन होने से 2 मजदूर घायल हो गए हैं। अब दिल्ली से नई मशीन को बुलवाया जा रहा है।
खराबी
सुरंग बनाने वाली मशीन में आई तकनीकी खराबी
14 नवंबर को ड्रिलिंग मशीन के जरिए नई सुरंग बनाने का काम किया जा रहा था। हालांकि, इस दौरान मिट्टी धंस गई, जिसकी चपेट में आकर 2 मजदूर घायल हो गए।
दूसरी ओर, ड्रिलिंग मशीन में भी कुछ परेशानी आ गई है, इस वजह से बचाव कार्य रोकना पड़ा है। अब दूसरी मशीन को लगाने के लिए प्लेटफॉर्म बनाया जा रहा है। इस आधुनिक मशीन को एयरलिफ्ट कर लाया जा रहा है।
मजदूर
सुरंग में सभी मजदूर सुरक्षित
BBC से बात करते हुए राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) के अधिकारी कर्मवीर सिंह भंडारी ने कहा, "सुरंग में फंसे सभी लोग सुरक्षित हैं। सभी से बात की जा रही है और खाने-पीने का समान पहुंचाया जा रहा है।सुरंग में जहां पर लोग हैं, वहां उजाले की व्यवस्था भी है और तापमान भी ठीक है। काम 24 घंटे चालू है और हमारी 2 टीमें हर वक्त तैनात हैं। प्लेटफॉर्म की दिक्कतों को ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है।"
बात
वॉकी-टॉकी के जरिए मजदूरों से हुई बात
एक अधिकारी ने कहा कि बचाव दलों ने वॉकी-टॉकी के जरिए मजदूरों के साथ सफलतापूर्वक बातचीत की है।
उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने कहा, "अंदर फंसे सभी 40 मजदूर सुरक्षित और स्वस्थ हैं। कुछ दवाएं मुहैया कराई गई हैं।"
अंदर फंसे मजदूरों में से एक गब्बर सिंह नेगी ने अपने बेटे से बात की। उन्होंने कहा कि अंदर सभी मजदूर सुरक्षित हैं और चिंता करने की जरूरत नहीं है।"
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
बता दें कि 4.5 किलोमीटर लंबी ये सुरंग ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही है। इसका एक सिरा सिल्क्यारा और दूसरा डंडालगांव की ओर है।
सुरंग में सिल्क्यारा के छोर से 2,340 मीटर और डंडालगांव की ओर से 1,750 मीटर का निर्माण पूरा हो चुका है। यह सुरंग चारधाम परियोजना का हिस्सा है और काम पूरा होने के बाद इससे रास्ते की दूरी 26 किलोमीटर कम होने की उम्मीद है।