मेघालयः खदान में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए किया जाएगा रोबॉटिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
क्या है खबर?
मेघालय में 13 दिसंबर से अवैध कोयला खदान में फंसे 15 लोगों को निकालने की कोशिशें लगातार जारी हैं।
अब बचाव दल ने राहत कार्य में रोबोटिक तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू किया है।
इसके लिए चेन्नई से 6 सदस्यीय बचाव दल जयंतिया हिल्स की उस जगह पर पहुंच गया है, जहां पिछले लगभग एक महीने से ये मजदूर फंसे हुए हैं।
यह बचाव दल रोबॉटिक सबमर्सिबल इंसपेक्शन की मदद से खदान से लोगों को बाहर निकालने की कोशिश करेगा।
राहत कार्य
बचाव दल ने शुरू किया राहत कार्य
रोबोटिक तकनीक वाले दल को चेन्नई की प्लानिस टेक्नोलोजीस कंपनी ने भेजा है। यह कंपनी IIT मद्रास द्वारा सहायता प्राप्त है।
यह दल सबमर्सिबल रोबोटिक इंसपेक्शन और रिमोट से चलने वाले वाहन (ROV) की मदद से बचाव कार्य करेगी। इस दल में कुछ छह सदस्य है।
बता दें, भारतीय नेवी, राष्ट्रीय आपदा राहत बल (NDRF) और राज्य आपदा राहत दल (SDRF) समेत कई दल पहले से बचाव कार्य में लगे हुए हैं, लेकिन अभी तक कोई कामयाबी नहीं मिली है।
तकनीक
क्या है रोबॉटिक टेक्नोलॉजी?
यह टीम रोबोटिक इंसपेक्शन तकनीक से बचाव कार्य चलाएगा। इसमें रिमोट से चलने वाली एक मशीन को पानी में उतारा जाता है।
इसमें कैमरे, माइक और दूसरे उपकरण लगे होते हैं। यह पानी में उतरकर जानकारी जुटाती है और ऊपर कंप्यूटर तक भेजती है।
जानकारी के लिए बता दें कि संकरी खदान होने की वजह से इसमें गोताखोरों को नहीं उतारा जा सका है, इसलिए इस मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
जानकारी
370 फीट गहरी खदान में फंसे हैं 15 मजदूर
पिछले लगभग एक महीने से 15 मजदूर 370 फीट गहरी और संकरी खदान में फंसे हैं। खदान के पास से बहने वाली एक नदी का पानी इसमें भर गया था, जिस वजह से इसमें काम कर रहे लोग बाहर नहीं निकल पाए।
नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी राहत अभियान पर अंसतुष्टि
सुप्रीम कोर्ट ने खदान में फंसे मजदूरों के मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई की थी।
कोर्ट ने मजदूरों के बचाव अभियान को लेकर राज्य सरकार के प्रयासों पर असंतुष्टि जाहिर करते हुए कहा था कि बचाव कार्य में ढिलाई बरती जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चाहे मजदूर जीवित हैं या नहीं, या उनमें से कुछ जीवित हैं और कुछ नहीं, जो भी है उन्हें बाहर निकालना होगा। हम भगवान से उनकी कुशलता की प्रार्थना करते हैं।