प्रधानमंत्री मोदी पर बनी BBC की विवादित डॉक्यूमेंट्री पर किन नियमों के तहत लगाया गया प्रतिबंध?
क्या है खबर?
भारत सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी BBC की विवादित डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने अपनी आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए यूट्यूब और ट्विटर से उन लिंक्स को ब्लॉक करने को कहा है, जिनके जरिये इस डॉक्यूमेंट्री को शेयर किया जा रहा है।
सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को पूर्वाग्रह से ग्रसित प्रोपेगेंडा का हिस्सा बताया है।
आइए जानते हैं कि किन नियमों के तहत यह कार्रवाई की गई है।
नियम
IT नियम 2021 की धारा 16 के तहत हुई कार्रवाई
IT नियम 2021 की धारा 16 के तहत डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर रोक लगाई गई है। इस नियम को आधिकारिक रूप से सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के रूप में भी जाना जाता है।
25 फरवरी, 2021 को अधिसूचित किए गए ये नियम आपातकाल के मामले में सूचना को अवरुद्ध करने के संबंध में सरकार को शक्ति प्रदान करता है और किसी सामग्री को तुरंत हटाने की अनुमति देता है।
अधिकार
सूचना और मंत्रालय के पास क्या अधिकार हैं?
अगर सूचना और प्रसारण मंत्रालय को लगता है कि किसी भी कंप्यूटर संसाधन के जरिए किसी भी जानकारी या उसके हिस्से तक आम लोगों की पहुंच को रोकने के लिए यह आवश्यक और न्यायोचित है तो वो अंतरिम उपाय के रूप में ऐसे दिशानिर्देश जारी करने पर विचार कर सकता है।
इसके लिए सुनवाई का अवसर देने की आवश्यकता भी नहीं है। ऐसे आदेश राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था समेत कई कारणों से जारी किए जा सकते हैं।
मामला
पहले भी इस्तेमाल हो चुकी हैं आपातकालीन शक्तियां
सूचना और प्रसारण मंत्रालय पहले भी आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए कई वीडियो के खिलाफ कार्रवाई कर चुका है।
पिछले साल 26 सितंबर को मंत्रालय ने यूट्यूब को 10 चैनलों से 45 वीडियो हटाने का निर्देश दिया था। इनकी सामग्री में धार्मिक समुदायों के बीच नफरत फैलाने के उद्देश्य से फेक न्यूज और छेड़छाड़ कर बनाए गए एडिटेड वीडियो शामिल थे।
दिसंबर में पाकिस्तान के एक OTT प्लेटफॉर्म विदली TV को भी ब्लॉक किया गया था।
विवाद
डॉक्यूमेंट्री में क्या दिखाया गया है?
'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नामक BBC की इस डॉक्यूमेंट्री के पहले हिस्से में 2002 गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया है।
इसमें बताया गया है कि दंगों के बाद ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने अपने स्तर पर मामले की जांच की थी और इसमें पाया गया था कि हिंसा पहले से सुनियोजित थी और राज्य सरकार के संरक्षण में विश्व हिंदू परिषद (VHP) जैसे संगठनों के कार्यकर्ताओं ने इसे अंजाम दिया था।
बयान
विदेश मंत्रालय ने डॉक्यूमेंट्री पर क्या कहा था?
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरूवार को डॉक्यूमेंट्री से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए इसे प्रोपेगेंडा का हिस्सा बताया था। उन्होंने कहा, "हमारा मानना है कि यह एक प्रोपेगेंडा सामग्री है, जिसे एक विशेष बदनाम नेरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए बनाया गया है। इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट दिखाई दे रही है।"
उन्होंने कहा था कि यह डॉक्यूमेंट्री, जिस एजेंसी ने इसे बनाया है, उसकी मानसिकता दर्शाती है।
राय
क्या है अधिकारियों और विशेषज्ञों की राय?
विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने डॉक्यूमेंट्री को देखा था और जांच में पाया कि यह भारत की सुप्रीम कोर्ट के अधिकार और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करने और विभिन्न भारतीय समुदायों के बीच विभाजन पैदा करने का एक प्रयास है।
विशेषज्ञों का मानना है कि डॉक्यूमेंट्री से विदेशी सरकारों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के साथ-साथ भारत के भीतर सार्वजनिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की क्षमता है।