भूकंप क्यों और कब आता है और भारत के कौन से हिस्सों को सर्वाधिक खतरा है?
क्या है खबर?
दिल्ली-NCR समेत पूरे उत्तर भारत में मंगलवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए और लोग दहशत के मारे अपने घरों से बाहर निकल आए।
नेशनल सेंटर ऑफ सीस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, दोपहर करीब 2:28 बजे आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.8 मापी गई और भूकंप का केंद्र नेपाल में था।
भूकंप में किसी जानमाल के नुकसान की कोई आधिकारिक सूचना नहीं है।
भूकंप क्यों और कब आता है, आइये विस्तार से समझते हैं।
कारण
भूकंप आने का क्या है कारण?
पृथ्वी की सतह मुख्य तौर पर चार परतों से मिलकर बनी हुई है। इसमें इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और क्रस्ट शामिल हैं।
क्रस्ट और ऊपरी मेंटल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं। यह 50 किलोमीटर मोटी और कई वर्गों में बंटी हुई परत है, जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स भी कहा जाता है।
यह टेक्टोनिक प्लेट्स लगातार खिसकती रहती हैं और इसी हलचल से जब अधिक दबाव बनता है तो धरती हिलने लगती है, जिसे भूकंप कहा जाता है।
रिक्टर स्केल
भूकंप की तीव्रता कैसे मापी जाती है?
भूकंप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। रिक्टर स्केल भूकंप की तरंगों की तीव्रता को मापने का एक वैज्ञानिक आधार होता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहा जाता है।
रिक्टर स्केल पर भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से एक से नौ तक के आधार पर मापा जाता है। यह स्केल भूकंप के दौरान धरती के भीतर से निकली ऊर्जा की तरंगों के आधार पर इसकी तीव्रता को मापता है।
एपीसेंटर
क्या होता है भूकंप का केंद्र?
भूकंप का केंद्र (एपीसेंटर) उस स्थान को कहते हैं, जिसके ठीक नीचे टेक्टोनिक प्लेट्स में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप से कंपन सबसे ज्यादा होता है। इसी कंपन की आवृत्ति जैसे-जैसे दूर होती जाती है, इसका प्रभाव भी कम होता जाता है।
अगर रिक्टर स्केल पर सात या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किलोमीटर के दायरे में भूकंप के तेज झटके महसूस किये जाते हैं।
भूकंप जोन
भारत में किन हिस्सों में भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा?
भारत को भूकंप के हिसाब से पांच जोन में विभाजित किया गया है। जोन एक से तीन तक वाले क्षेत्र कम जोखिम वाले हैं। इनमें पश्चिमी हिमालय का मैदान और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह आदि शामिल हैं।
जोन चार को भूकंप जोन माना गया है और इसमें राजधानी दिल्ली समेत जम्मू, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गंगा तट से लगे क्षेत्र शामिल हैं।
भूकंप जोन पांच अति संवेदनशील है और इसमें पंजाब, कश्मीर और उत्तर-पूर्वी भारत का इलाका शामिल है।
खतरा
दिल्ली में भूकंप से कितना खतरा?
दिल्ली एक पहाड़ी इलाका है और हिमालय के करीब होने की वजह से इसे भूकंप के जोन चार में रखा गया है। इस जोन में आने वाले इलाकों में भूकंप का खतरा ज्यादा रहता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली की 70-80 प्रतिशत इमारतें भूकंप का औसत झटका भी नहीं झेल सकतीं।
दिल्ली की आबादी का घनत्व भी काफी ज्यादा है। ऐसे में अगर दिल्ली में बड़ा भूकंप आता है तो लाखों लोगों की जान जा सकती है।
रिपोर्ट
इस साल कितने भूकंप आए हैं?
NCS के आंकड़ों के मुताबिक, नए साल से अभी तक देश और दुनिया के 85 से ज्यादा इलाकों में हल्के और तेज भूकंप के झटके महसूस किये गए हैं।
16 जनवरी को इंडोनेशिया में इस साल का सबसे तेज भूकंप महसूस किया गया, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.1 मापी गई थी।
इस साल हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, मेघालय, असम, ओडिशा और उत्तराखंड में भी 2.8 से लेकर 4.8 तीव्रता के हल्के भूकंप आ चुके हैं।