अग्निपथ योजना के पक्ष और विपक्ष में क्या-क्या दलीलें दी जा रही हैं?
सेना में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना पर देशभर में हंगामा जारी है। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा समेत कई राज्यों में इस योजना का विरोध हो रहा है और कई जगह हिंसक प्रदर्शन हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ कुछ जानकार इस योजना के फायदे गिनवाते हुए इसे अच्छी दिशा में उठाया गया कदम बता रहे हैं। आइये समझते हैं कि इस योजना के पक्ष और विपक्ष में क्या तर्क दिए जा रहे हैं।
पहले जानिये क्या है अग्निपथ योजना
अग्निपथ योजना तीनों सेनाओं, थल सेना, वायुसेना और नौसेना, के लिए एक अखिल भारतीय योग्यता-आधारित भर्ती प्रक्रिया है। इसमें युवाओं को सेना के नियमित कैडर में सेवा करने का मौका दिया जाएगा। इस योजना के तहत भर्ती होने वाले युवाओं को 'अग्निवीर' कहा जाएगा। इसके तहत युवाओं को चार साल के लिए सेना में सेवा का अवसर मिलेगा। इसके बाद योग्यता, इच्छा और मेडिकल फिटनेस के आधार पर 25 प्रतिशत अग्निवीरों को सेवा में बरकरार रखा जाएगा।
किन प्रावधानों को लेकर है चिंता?
इस योजना को लेकर सबसे बड़ी चिंता यह है कि चार साल का समय पूरा होने के बाद अग्निवीर क्या करेंगे? अग्निपथ योजना के तहत पहले साल करीब 45,000 भर्तियां होंगी, जिनमें से 75 प्रतिशत युवाओं का अनुबंध चार साल बाद पूरा हो जाएगा। युवाओं में इसी बात को लेकर आक्रोश है कि वो चार साल बाद क्या करेंगे। हालांकि, सरकार ने उन्हें दूसरी नौकरियों में प्राथमिकता देने की बात कही है।
क्या चार साल के लिए जोश से परिपूर्ण रहेंगे युवा?
दूसरी बड़ी चिंता यह है कि चार साल के बाद युवाओं को पेंशन और दूसरे लाभ नहीं मिलेंगे। हालांकि, उन्हें करीब 11 लाख रुपये की एकमुश्त राशि दी जाएगी, लेकिन यह बाकी सरकारी नौकरियों की तुलना में बेहद कम है। इससे यह सवाल भी खड़ा होता है कि भर्ती होने वाले युवा चार साल की नौकरी के दौरान जोश से परिपूर्ण रहेंगे। इसे लेकर भी कई जानकार सवाल उठा चुके हैं।
सेना के पास होगी अनुभवी सैनिकों की कमी
इस योजना से जुड़ी एक और चिंता यह है कि सेना के पास अनुभवी सैनिकों की कमी हो जाएगी। दरअसल, अग्निवीरों को केवल चार साल सेना में नौकरी करने का मौका मिलेगा और उसके बाद नए अग्निवीर उनका स्थान लेंगे। एक बड़ी चिंता यह भी है कि अग्निपथ योजना के सेना दो समूहों में बंट जाएगी। इनमें से एक समूह अल्पकालिक सेवा और दूसरा पूर्णकालिक सेवा वाला होगा। इससे सैनिकों के आपसी मेलजोल में भी चुनौती बढ़ सकती है।
राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भी चिंता
कुछ पूर्व जनरल और अन्य आलोचकों का कहना है कि इस योजना से सेना का ढांचा कमजोर हो सकता है और इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है। यह चिंता इसलिए भी बड़ी है क्योंकि भारत के चीन और पाकिस्तान के साथ संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। कुछ लोग मान रहे हैं कि यह पैसा बचाने का अच्छा तरीका है, लेकिन इसके लिए सुरक्षा को दांव पर नहीं लगााना चाहिए।
पक्ष में कही जा रहीं ये बातें
अग्निपथ योजना के पक्ष में कहा जा रहा है कि यह सेना से पेंशन और दूसरे भत्तों का भार कम करेगी। दूसरी दलील यह है कि इससे सेना के जवानों की औसत उम्र और युवा होगी और वो अधिक जोश के साथ काम कर सकेंगे। इस योजना के तहत भर्ती किए गए 25 प्रतिशत अग्निवीरों को सेना में पूर्णकालिक सेवा करने का मौका मिलेगा। ऐसे में वो चार सालों के दौरान अपने सर्वोत्तम प्रदर्शन करेंगे।
सरकार ने कही ये बातें
केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि योजना से युवाओं के लिए सशस्त्र बलों में सेवा के अवसर कम होने की जगह बढ़ जाएंगे। आने वाले सालों में अग्निवीरों की भर्ती सशस्त्र बलों में वर्तमान में होने वाली भर्ती की तुलना में तीन गुना बढ़ जाएगी। सरकार का यह भी कहना है कि जो युवक चार साल के लिए सेना की वर्दी पहनेगा और देश सेवा के लिए समर्पित होगा, वह जीवनभर देश के प्रति समर्पित होगा।