स्थिति का जायजा लेने के लिए जम्मू-कश्मीर पहुंचे अमेरिका सहित 15 देशों के राजनयिक
भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का प्रावधान हटाए जाने के बाद वहां की स्थिति का जायजा लेने के लिए अमेरिका के राजदूत केनेथ जस्टर सहित 15 देशों के राजनयिक दो दिवसीय जम्मू-कश्मीर दौरे पर पहुंच गए हैं। पहले वो श्रीनगर स्थित बादामी बाग जाकर सेना से सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी लेंगे और फिर पत्रकारों और स्थानीय लोगों से चर्चा करेंगे। बाद में यह प्रतिनिधिमंडल जम्मू में उप राज्यपाल जीसी मुर्मू और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक करेगा।
इन राष्ट्रों के राजनयिक पहुंचे जम्मू-कश्मीर
जम्मू-कश्मीर की स्थिति का जायजा लेने के लिए जिन राष्ट्रों के राजनयिक इस दल में शामिल है, उनमें अमेरिका, वियतनाम, दक्षिण कोरिया, उज्बेकिस्तान, गुयाना, नाइजीरिया, नाइजर, अर्जेंटीना, फिलीपींस, नॉर्वे, मोरक्को, मालदीव, फिजी, टोगो, बांग्लादेश और पेरू शामिल हैं। सूत्रों की माने तो इन राष्ट्रों के राजनयिकों ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति का पता लगाने के लिए कश्मीर का दौरा करने की अनुमति मांगी थी।
श्रीनगर पहुंचा प्रतिनिधिमंडल
ब्राजील के राजदूत ने अंतिम समय पर रद्द किया दौरा
सरकारी सूत्रों ने बताया कि इस दल के साथ ब्राजील के राजनयिक आंद्रे ए कोरिये डो लागो भी जम्मू-कश्मीर दौरे पर जाने वाले थे, लेकिन इस समय उनका दूसरा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम होने के कारण उन्होंने दौरे पर आने से मना कर दिया। यूरोपीय संघ के देशों के प्रतिनिधियों ने किसी अन्य तारीख पर केंद्र शासित प्रदेश का दौरा करने की मांग की है। वो पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला से मिलना चाहते हैं।
कई देशों ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में उठाया था इंटरनेट बंद होने का मुद्दा
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले विवाद और हिंसा से बचने के लिए सरकार नेने जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट लॉकडाउन कर दिया था। इसको लेकर जम्मू-कश्मीर के नेताओं सहित विरोधी पार्टियों ने विरोध जताया था। यह मामला विश्व स्तर पर गूंजा तो दुनिया के अन्य देशों ने भी अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में मुद्दा उठाते हुए मामले की जांच की मांग की थी। इस पर भारत ने राजनयिकों को जम्मू-कश्मीर का दौरा कराने पर विचार किया है।
दौरे से बेनकाब होगा पाकिस्तान का मुद्दा?
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का प्रावधान हटाए जाने के बाद से सबसे ज्यादा परेशानी पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को हो रही थी। वह बार-बार विश्व स्तर पर भारत की ओर से जम्मू-कश्मीर की जनता पर अत्याचार किए जाने की बात उठा रहा है। उसका आरोप है भारत ने वहां की जनता को घर में कैद कर दिया है और उनके अधिकारों का हनन कर रहा है। ऐसे में इस दौरे के बाद पाकिस्तान के मुद्दे के बेनकाब होने की उम्मीद है।
यूरोपीय संघ के 23 सांसद भी कर चुके हैं दौरा
जम्मू-कश्मीर के हालातों की हकीकत जानने के लिए यूरोपीय संघ के 23 सांसदों का दल 30 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर का दौरा कर चुका है। उस दौरे को लेकर कई सवाल खड़े किए थे। आरोप था कि 27 की जगह 23 सांसद ही गए थे, क्योंकि उन चार सांसदों को हालात समझने की खुली छूट नहीं दी गई थी। यह भी आरोप लगे थे कि कड़ी सुरक्षा के बीच दौरा कराया गया और वही दिखाया गया जो सरकार दिखाना चाहती थी।
5 अगस्त को हटाया था अनुच्छेद 370
सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का फैसला किया था। इसको लेकर विपक्ष ने काफी बवाल मचाया था। सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका लगी थी, जिस पर सुनवाई जारी है। पाकिस्तान इस मामले को विश्व स्तर पर भी ले गया था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसे मुहं की खानी पड़ी।