इस्तीफा देने के लिए JNU वाइस चांसलर को मिला था एक महीने का अल्टीमेटम
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में हुई हिंसा के बाद निशाने पर आए यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर एम जगदेश कुमार को मानव संसाधन मंत्रालय से पहले ही अल्टीमेटम मिल चुका है। इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय ने उन्हें 11 दिसंबर को अल्टीमेटम दिया था कि छात्रों का अनशन खत्म करवाने के लिए समझौता स्वीकार कर लें या अपने पद से इस्तीफा दे दें। इसके लिए उन्हें एक महीने का समय दिया गया था। आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।
पिछले महीने उच्च शिक्षा सचिव के साथ हुई थी बैठक
JNU में छात्र पिछले कई दिनों से फीस वृद्धि को वापस लेने की मांग करते हुए प्रदर्शन पर बैठे हैं। छात्रों का विरोध प्रदर्शन राष्ट्रीय मीडिया में भी सुर्खियां बना था। इसके बाद पिछले महीने मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव आर सुब्रमण्यम ने वाइस चांसलर कुमार के साथ बैठक हुई थी। इसमें कुमार को एक महीने का समय दिया गया था। वहीं दूसरी तरफ बैठक के महज 48 घंटे के भीतर सरकार ने सुब्रमण्यम का तबादला कर दिया।
मंत्रालय ने कुमार का क्या फॉर्मूला सुझाया था?
मंत्रालय ने जो फॉर्मूला दिया था, उसके अनुसार JNU प्रशासन छात्रों से केवल बढ़ा हुआ कमरे का किराया लेगा, वहीं सर्विस और यूटिलिटी चार्ज यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन वहन करेगा। इसके बदले छात्रों को प्रदर्शन खत्म कर प्रशासन के साथ बातचीत शुरू करनी होगी। प्रदर्शन के दौरान जो समय बर्बाद हुआ है उसकी भरपाई के लिए सेमेस्टर को दो सप्ताह आगे बढ़ाया जाएगा। साथ ही यूनिवर्सिटी प्रशासन से छात्रों पर दर्ज मामले वापस लेने को कहा गया था।
इस्तीफे पर तैयार होकर पीछे हटे कुमार
बताया जा रहा है कि इस बैठक के बाद कुमार समझौते के लिए तैयार हो गए थे, लेकिन एक दिन बाद ही वो वापस हट गए। बैठक के दो दिन बाद 13 दिसंबर को सुब्रमण्यम का ट्रांसफर कर दिया गया और उनकी जगह सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव को उच्च शिक्षा सचिव बनाया गया। इस्तीफे की मांग के बीच कुमार ने बुधवार को खरे से मुलाकात की थी। अब उनके इस्तीफे को लेकर स्थिति साफ नहीं है।
क्या पहले ऐसे किसी वाइस चांसलर को हटाया गया है?
साल 2017 में मंत्रालय ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए तत्कालीन वाइस चांसलर जीसी त्रिपाठी को छुट्टी पर भेज दिया था। छात्र यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन के दौरान छात्राओं से हुई बदसलूकी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे।
वाइस चांसलर का इस्तीफा क्यों मांगा जा रहा है?
रविवार को नकाबपोश गुंडों ने JNU कैंपस में घुसकर मारपीट की थी। इन गुंडों ने छात्रों और अध्यापकों की पिटाई के साथ-साथ हॉस्टल और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। JNU छात्र संघ का आरोप है कि इस घटना के दौरान वाइस चांसलर ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया। उन्होंने पुलिस को कैंपस के भीतर नहीं बुलाया, जिससे गुंड़ों को आतंक मचाने का मौका मिल गया। छात्र संघ अब उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है।
बैठक के बाद वापस लिए फीस में जुड़े चार्ज
बैठक के बाद JNU प्रशासन ने प्रस्तावित सर्विस और यूटिलिटी चार्ज को वापस ले लिया है। हालांकि बाकी बिंदुओं पर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है। बुधवार को खरे के साथ हुई बैठक में कुमार को प्रेस रिलीज जारी करने की बजाय सीधे मीडिया से बात करने की सलाह दी गई है। उन्हें कहा गया है कि अगर छात्र उनके साथ बातचीत करने को तैयार नहीं होते हैं वो अध्यापकों के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू करें।
आगे बढ़ी रजिस्ट्रेशन की तारीख
इसके साथ ही वाइस चांसलर कुमार को नए सेमेस्टर में रजिस्ट्रेशन के लिए अंतिम तारीख को आगे बढ़ाने का सुझाव दिया गया था, जिसके बाद यह तारीख आगे बढ़ा दी गई है।
अक्टूबर से जारी है यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन
हॉस्टल फीस में हुई बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग करते हुए JNU छात्र 28 अक्टूबर से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी ने हॉस्टल फीस के साथ-साथ मैंटेनेंस, मेस वर्कर, कुक, सेनिटेशन आदि लिए सर्विस और यूटिलिटी चार्ज में बढ़ोतरी की थी, जिसे अब वापस ले लिया गया है। छात्र अब यह मांग कर रहे हैं कि उन्हें लिखित आश्वासन दिया जाए कि भविष्य में ये चार्ज फिर से फीस में शामिल नहीं किए जाएंगे।
जनवरी से शुरू हुई रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया
यूनिवर्सिटी में 1 जनवरी से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हुई है। 7,500 में से 3,300 छात्र रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। वहीं रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया का विरोध कर रहे छात्रों का कहना है रजिस्ट्रेशन कराने का मतलब है कि वो बढ़ी हुई फीस देने को तैयार हैं।