अमित शाह ने फिर किया देशव्यापी NRC का जिक्र, जानिये इससे जुड़ी हर बड़ी बात
पिछले कुछ दिनों से देशभर में नेशनल सिटिजनशिप रजिस्टर (NRC) लागू करने की बात कही जा रही है। सोमवार को नागरिकता (संशोधन) बिल पर बहस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर देशभर में NRC लागू करने की बात दोहराई थी। NRC लागू होने के बाद देश के लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कई दस्तावेज जमा करवाने होंगे। आइये, NRC से जुड़ी तमाम बातों को संक्षिप्त में समझने की कोशिश करते हैं।
NRC है क्या?
NRC एक डिजिटल रजिस्टर है, जिसमें सभी नागरिकों के नाम और उनकी भौगोलिक जानकारियां होती हैं। 1955 के नागरिकता कानून के मुताबिक, भारत में जन्मा हर व्यक्ति या ऐसे व्यक्ति जिनके माता-पिता कम से कम 11 साल से भारत में रह रहे हैं, वह भारत की नागरिकता का हकदार है। अगर NRC पूरे देश में लागू होता है तो यह भारतीय नागरिकों का पहला ऐसा डाटाबेस होगा। फिलहाल, यह केवल असम में लागू है।
असम में NRC कैसे लागू किया गया था?
सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में असम में NRC को अपडेट किया गया था। यह 1951 के NRC और 1961, 1966 और 1971 की मतदाता सूची पर आधारित था। असम के नागरिक होने के दावों को इन दस्तावेजों के साथ मिलाया गया था। असम में NRC के लिए 3.3 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था। 31 अगस्त को प्रकाशित इसकी अंतिम सूची में 19 लाख लोगों को जगह नहीं मिली। अब इन्हें कानूनी रास्ते से अपनी नागरिकता साबित करनी होगी।
असम से कैसे अलग होगा देशव्यापी NRC?
केंद्र सरकार ने फिलहाल देशव्यापी NRC के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की है। असम में NRC का मकसद अवैध घुसपैठियों को बिना उनका धर्म देखे बाहर करना था। वहीं सरकार ने लोकसभा से नागरिक (संशोधन) विधेयक पारित करवा लिया है, जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता के योग्य बनाता है। ऐसे में अगर देशव्यापी NRC से कोई गैर-मुस्लिम बाहर रहता है तो भी वह भारत का नागरिक माना जाएगा।
क्या है जन्म से भारतीय नागरिकता के नियम?
26 जनवरी, 1950 से एक जुलाई, 1987 के बीच जन्मा हर व्यक्ति भारतीय नागरिक है। वहीं एक जुलाई, 1987 से लेकर 2 दिसंबर, 2004 से बीच जन्मा वह व्यक्ति भारतीय नागरिक माना जाएगा, अगर उसके माता या पिता उसके जन्म के समय भारतीय नागरिक रहे हैं। 3 दिसंबर, 2004 के बाद जन्मा व्यक्ति भारतीय नागरिक है, अगर उसके माता-पिता उसके जन्म के समय भारतीय नागरिक रहे या उनमें से एक भारतीय नागरिक और दूसरा अवैध प्रवासी न हो।
भारतीय मूल के लोगों के नागरिकता के नियम
भारतीय मूल का कोई नागरिक अगर सात सालों से भारत में रह रहा है तो वह नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है। इसके अलावा अगर वह भारतीय नागरिक से शादी कर सात सालों से भारत में रह रहा है या जिसके माता-पिता दोनों भारतीय हैं, वह नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है। जिला मेजिस्ट्रेट उनके आवेदन पर फैसला लेता है। गौरतलब है कि नागरिकता (संशोधन) बिल के जरिए सरकार नागरिकता कानून, 1955 में बदलाव करने जा रही है।
नागरिकता (संशोधन) बिल NRC से कैसे जुड़ा है?
नागरिकता (संसोधन) बिल के कानून बनने के बाद गैर-मुस्लिमों के लिए भारतीय नागरिकता हासिल करना आसान हो जाएगा। वहीं मुस्लिमों को दस्तावेजों के जरिए यह साबित करना होगा कि वो पीढ़ियों से भारत में रहते आए हैं।