पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को आर्थिक मदद दे सकते हैं पंजाब और दिल्ली
अक्टूबर-नवंबर के दौरान दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए काफी समय से प्रयास किए जा रहे हैं। अब जानकारी मिल रही है कि दिल्ली और पंजाब की सरकारें मिलकर किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए उनकी आर्थिक मदद कर सकती है। केंद्र सरकार ने इस मामले में सरकारों के निवेदन को ठुकरा दिया है, जिसके बाद दिल्ली और पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार साथ मिलकर काम कर सकती है।
किसानों को दिए जा सकते हैं प्रति एकड़ 1,000 रुपये
शुरुआत में किसानों को 2,500 रुपये प्रति एकड़ देने की योजना थी, लेकिन केंद्र सरकार के कदम पीछे हटाने के बाद प्रति एकड़ 1,000 रुपये की मदद दी जा सकती है। इस योजना से किसानों को खेतों में पराली जलाने से रोकने में मदद मिलेगी।
केंद्र से मांगे गए थे 1,125 करोड़ रुपये
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, पंजाब के मुख्य सचिव वीके जंजुआ ने बताया, "हमने 1,875 करोड़ में से 1,125 करोड़ रुपये केंद्र सरकार से मांगे थे, जबकि पंजाब और दिल्ली की सरकारें 375-375 करोड़ रुपये देती। अब हमें कृषि मंत्रालय से जानकारी मिली है कि हमारा प्रस्ताव ठुकरा दिया गया है।" उन्होंने बताया कि अब भी दिल्ली और पंजाब मदद देने की कोशिश कर रहे हैं। पंजाब सरकार ने इसके लिए अपने बजट में 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था।
पराली जलाने से रोकने के लिए और क्या तैयारियां हो रही हैं?
दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने बताया कि राजधानी के चावल के खेतों में मुफ्त में बायो-डिकंपोजर का छिड़काव करने की तैयारियां हो रही हैं, जो 15-30 दिनों में पराली को प्राकृतिक तरीके से गला देगा। इसके बाद पराली जलाने की जरूरत नहीं होगा। इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (IARI) ने यह डिकंपोजर तैयार किया है। इसकी तैयारियों की समीक्षा के लिए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने गुरुवार को एक बैठक भी की थी।
15 बिंदुओं में से एक है पराली जलाने से रोकना
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए 15 बिंदुओं वाली एक योजना तैयार की थी, जिसमें पराली जलाने और इसका समाधान खोजना एक बिंदु था। हालांकि, सबसे चुनौतीपूर्ण काम पंजाब के किसानों को पराली जलाने से रोकने का होगा। बता दें कि पंजाब में अधिकतर किसान पराली को गलाने की बजाय उसे जला देते हैं क्योंकि यह तरीका सस्ता होता है और उन्हें खेत खाली करने में कम वक्त लगता है।
उत्तर भारत में छा जाती है धुएं की परत
दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी है और अक्टूबर-नवंबर के महीने में यहां हालात बदतर हो जाते हैं। पराली जलाने समेत अन्य कारणों से दिल्ली और आसपास के इलाकों में जहरीले धुएं की परत छा जाती है और लोगों का बाहर निकलना दूभर हो जाता है। इससे बीमारियां भी बढ़ती हैं। हर साल अदालतों की फटकार के बाद सरकारें कुछ कदम उठाने की बात कहती हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई समाधान नहीं हो पाया है।