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    क्या है दिल्लीवासियों को जहरीली हवा से निजात दिलाने के लिए लगाया गया स्मॉग टावर?
    दिल्ली में स्थापित किया गया है देश का पहला स्मॉग टावर।

    क्या है दिल्लीवासियों को जहरीली हवा से निजात दिलाने के लिए लगाया गया स्मॉग टावर?

    लेखन भारत शर्मा
    Aug 24, 2021
    04:35 pm

    क्या है खबर?

    देश की राजधानी दिल्ली के लोगों को जहरीली हवा से बचाने के लिए दिल्ली सरकार ने तकनीकी समाधान का सहारा लिया है।

    सरकार ने इसके लिए शिवाजी स्टेडियम मेट्रो स्टेशन के पीछे एक स्मॉग टावर स्थापित किया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को इसका उद्घाटन भी कर दिया। कहा जा रहा है कि टावर दूषित हवा को साफ करने में मदद करेगा।

    ऐसे में यहां जानते हैं कि आखिर स्मॉग टावर क्या है और यह कैसे काम करता है।

    पृष्ठभूमि

    दिल्ली में बेहद खराब स्तर पर पहुंच जाता है AQI

    सर्दियों में पड़ोसी राज्यों में जलाई जाने वाली पराली सहित अन्य कारणों के कारण दिल्ली की हवा में जहर घुल जाता है।

    हालात यह है कि पिछले साल नवंबर में यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 450 के पार पहुंच गया था। इससे लोगों का सांस लेना भी दूभर हो रहा था।

    सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली सरकार को इसका उपाय करने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा था। उसके बाद से स्मॉग टावर पर काम शुरू हुआ था।

    सुझाव

    सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे स्मॉग टावर की योजना बनाने के निर्देश

    बता दें दिल्ली में बढ़ते स्मॉग को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया था। इस समिति ने दिल्ली की स्थिति का अध्ययन करने के बाद स्मॉग टावर लगाने का सुझाव दिया था।

    इसके बाद कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और दिल्ली सरकार को स्मॉग टावर लगाने की योजना बनाने का निर्देश दिए थे।

    इसके बाद IIT-बॉम्बे ने टावरों के लिए प्रस्ताव सौंपा था। जिसें जनवरी 2020 में मंजूरी दी गई थी।

    दिल्ली

    शुरुआत में दो जगह टावर लगाने के दिए गए थे आदेश

    13 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तीन महीनों के भीतर दिल्ली के कनॉट प्लेस और आनंद विहार में स्मॉग टावर लगाने का आदेश दिया था।

    28 फरवरी एक और आदेश में एजेंसी को काम शुरू करने और इसकी जानकारी एक हफ्ते में कोर्ट को देने को कहा गया था। इसके बावजूद इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ।

    इसके बाद एजेंसी ने 10 महीने का समय मांगा था। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया था।

    स्मॉग टावर

    आखिर क्या होता है स्मॉग टावर?

    आसान शब्दों में समझे तो स्मॉग टॉवर एक बड़े आकार का एयर प्यूरीफायर है। यह आसपास की दूषित हवा अंदर खींचता है। हवा में से गंदगी सोख लेता है और स्वच्छ हवा बाहर फेंकता है।

    कुल मिलाकर यह बड़े स्तर पर हवा साफ करने वाली मशीन की तरह है। यह एक घंटे में कई घन मीटर हवा साफ कर सकता है।

    इसी तरह PM2.5 और PM10 जैसे हानिकारक कणों को 75 फीसदी तक साफ करते हवा को शुद्ध करता है।

    संरचना

    क्या है दिल्ली में स्थापित स्मॉग टावर की संरचना?

    इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, स्मॉग टावर 24 मीटर यानी आठ मंजिल के बराबर की संरचना है, जिसमें कंक्रीट के टावर की ऊंचाई 18 मीटर है, जबकि उसके ऊपर छह मीटर की कैनोपी है।

    इसके बेस में चारों ओर 10-10 पंखे लगे हैं। प्रत्येक पंखा हर सेकंड 25 घन मीटर हवा साफ करता है, यानी एक सेकेंड में 1,000 घनमीटर हवा साफ होगी।

    टावर के अंदर दो लेयर में कुल 5,000 फिल्टर हैं। फिल्टर और पंखे अमेरिका से आयात किए हैं।

    तकनीक

    स्मॉग टावर में काम ली गई है यह तकनीक

    स्मॉग टावर प्रोजेक्ट के प्रभारी एवं दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के वरिष्ठ इंजीनियर ने बताया टावर में मिनेसोटा यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित डाउनड्राफ्ट एयर क्लीनिंग सिस्टम का उपयोग किया गया है।

    IIT बॉम्बे के विशेषज्ञों ने इस तकनीक को भारत में इस्तेमाल करने के लिए अमेरिका की मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर काम किया है।

    इसके बाद टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड की कॉमर्शियल इकाई ने इस प्रोजेक्ट को मूर्त रूप दिया है। यह तकनीक दिल्ली के लिए वरदान साबित हो सकती है।

    काम

    हवा को कैसे साफ करता है स्मॉग टावर?

    इस तकनीक के तहत प्रदूषित हवा 24 मीटर की ऊंचाई से टावर में प्रवेश करती है और साफ हुई हवा जमीन से 10 मीटर ऊपर बनाये गए टावर से रिलीज होती है। जब टावर के नीचे स्थित पंखों को चलाया जाता है तो नकारात्मक दबाव के कारण टावर के शीर्ष से हवा अंदर आती है।

    फिल्टर में लगाई गई मैक्रो परत में 10 माइक्रॉन और माइक्रो परत में 0.3 माइक्रॉन तक के दूषित कण साफ होते हैं।

    जानकारी

    चीन में उपयोग की जा रही तकनीक से अलग है डाउनड्राफ्ट

    डाउनड्राफ्ट तकनीक चीन में काम ली जा रही तनकीक से अलग है। चीन के जियान शहर में 60 मीटर का स्मॉग टॉवर अपड्राफ्ट तकनीक पर काम करता है। इसमें टावर के नीचे से हवा खींची जाती है और ऊपर की ओर से छोड़ी जाती है।

    अध्ययन

    स्मॉग टावर की सफलता को लेकर किया जाएगा अध्ययन

    IIT बॉम्बे द्वारा कम्प्यूटेशनल फ्लूड डायनामिक्स मॉडलिंग से पता चलता है कि स्मॉग टावर से इसके एक किमी तक के क्षेत्र की हवा की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है।

    IIT बॉम्बे और IIT दिल्ली द्वारा दो साल तक इसके प्रभाव का आकलन किया जाएगा।

    इसमें यह भी निर्धारित किया जाएगा कि विभिन्न मौसम की भिन्न-भिन्न स्थितियों में टावर कैसे काम करता है, और हवा के प्रवाह के साथ PM 2.5 का स्तर कैसे बदलता है?

    जानकारी

    SCADA प्रणाली से रखी जाएगी वायु की गुणवतता पर नजर

    टावर में मौजूद ऑटोमेटेड सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्वीजिशन (SCADA) प्रणाली से वायु की गुणवत्ता पर नजर रखी जाएगी। ये मॉनिटर टावर से अलग-अलग दूरी पर स्थापित किये जाएंगे, ताकि इन दूरियों के अनुरूप इसके असर का आकलन किया जा सके।

    प्रभाव

    क्या स्मॉग टावर से वायु की गुणवत्ता में होगा सुधार?

    भारत में हवा को साफ करने के दिशा में यह पहला प्रयोग है। नीदरलैंड और दक्षिण कोरिया में छोटे और चीन में बड़े स्मॉग टावर काम कर रहे हैं।

    विशेषज्ञों का कहना है इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि स्मॉग टावर काम करते हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट में रिसर्च एंड एडवोकेसी की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि इस संबंध में स्पष्ट डाटा नहीं है कि स्मॉग टावर वायु की गुणवत्ता में सुधार करते हैं।

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