सितंबर में समाप्त हो रही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को आगे बढ़वाना चाहते हैं राज्य
गुजरात और राजस्थान समेत कई राज्य चाहते हैं कि केंद्र सरकार 30 सितंबर को समाप्त होने वाली प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) को कुछ और महीने आगे बढ़ा दे। बता दें, सरकार अगर इसे छह महीने और आगे बढ़ाती है तो इसकी लागत करीब 80,000 करोड़ रुपये होगी और यह पूरी तरह से राजनीतिक फैसला होगा। इसे आगे बढ़ाने से पहले सरकार गेहूं और चावल के बफर स्टॉक को देख रही है, जो इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण होने वाला है।
क्या है प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना?
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देशभर के राशनकार्ड धारकों को प्रति महीने प्रति व्यक्ति पांच किलोग्राम अनाज (गेंहू और चावल) मुफ्त दिया जाता है। कोरोना महामारी की शुरूआत के समय मार्च, 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना का ऐलान किया था और ये अप्रैल, 2020 से शुरू हुई थी। बीते मार्च में प्रधानमंत्री ने इसे सितंबर तक बढ़ाने का ऐलान किया था। सरकार के अनुसार, 80 करोड़ लोगों को इस योजना का लाभ मिलता है।
गुजरात और राजस्थान करेंगे योजना आगे बढ़ाने की मांग
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए गुजरात खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री नरेश पटेल ने कहा कि उनका राज्य केंद्र सरकार से दिवाली तक इस योजना को बढ़ाने की मांग करेगा। उन्होंने कहा, "इस बार दिवाली अक्टूबर में है। इसलिए हम केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इस योजना को दिवाली तक बढ़ाने की मांग करेंगे ताकि गरीब परिवारों को राहत मिल सके।" राजस्थान ने भी कहा है कि वह केंद्र से इस योजना को आगे बढ़ाने की मांग करेगा।
बाकी राज्यों का क्या कहना है?
उत्तर प्रदेश और बिहार आदि राज्यों का कहना है कि यह केंद्र की योजना है और इस पर केंद्र ही फैसला लेगा। वहीं पंजाब और महाराष्ट्र की सरकारों का कहना है कि वो इस पर केंद्र के फैसले का इंतजार कर रही हैं। इनके अलावा छत्तीसगढ़, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश ने कहा कि उनकी अपनी मुफ्त राशन वितरण योजना है। अगर केंद्र अपनी योजना बंद भी कर देता है, तब भी वो अपनी योजनाएं के जरिये राशन वितरण जारी रखेंगे।
सरकारी सूत्रों ने क्या कहा है?
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस योजना के वित्तीय भार को लेकर ज्यादा सवाल नहीं है, लेकिन बफर स्टॉक की उपलब्धता अंतिम फैसले को प्रभावित करेगी। वहीं वित्त मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि यह राजनीतिक फैसला होगा। अगर सरकार इस योजना को जारी रखती है तो वित्त मंत्रालय इसके लिए पूरी तरह तैयार है, लेकिन चावल और अनाज के बफर स्टॉक की उपलब्धता पर यह फैसला निर्भर करेगा।
कितनी मात्रा में आवंटित होता है राशन?
गेहूं के बफर स्टॉक को लेकर इसलिए चिंता जताई जा रही है क्योंकि इस साल पिछले साल की तुलना में कम पैदावार हुई है। हालांकि, चावल की मात्रा पर्याप्त है, लेकिन इस बार कम बुआई ने कुछ चिंताएं पैदा की हैं। जानकारी के लिए बता दें कि PMGKY में हर महीने सात लाख मीट्रिक टन गेहूं और 32.88 लाख मीट्रिक टन चावल आवंटित किए जाते हैं। यह मात्रा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लाभार्थियों से अलग है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
इस साल अप्रैल में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक स्टडी में सामने आया था कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान भारत सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना गरीबी को रोकने में कामयाब रही। स्टडी के अनुसार, इस योजना के कारण महामारी के दौरान भी देश में अत्यंत गरीबों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई। इससे पहले हुई कुछ स्टडीज में महामारी के कारण भारत में अत्यंत गरीबी बढ़ने की आशंका व्यक्त की गई थी।