उत्तर भारत में वायु प्रदूषण बड़ा खतरा, कम कर सकता है जिंदगी के नौ साल
भारत में अगर वायु प्रदूषण का यही स्तर रहा तो लोगों की उम्र नौ साल कम हो सकती है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है कि खराब हवा भारतीयों की जीवन प्रत्याशा को नौ साल कम कर रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तर भारत के करीब 48 करोड़ लोग दुनिया में सबसे खराब स्तर के वायु प्रदूषण का सामना कर रहे हैं और आने वाले समय में यह प्रदूषण दूसरे इलाकों में भी फैल जाएगा।
भारत में हवा सबसे ज्यादा जहरीली- रिपोर्ट
शिकागो यूनिवर्सिटी के द एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (EPIC) की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर भारतीय राज्यों में दुनिया के किसी भी दूसरे कोने की तुलना में 10 गुना अधिक वायु प्रदूषण है और वहां रहने वाले लोग इसी में सांस लेने को मजबूर हैं। भारत के कई शहर प्रदूषित शहरों की रैंकिंग में सबसे ऊपर होते हैं और जहरीली हवा हर साल 10 लाख से अधिक लोगों की जान ले रही है।
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश तक फैल रहा प्रदूषण
रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तर भारत में फैला प्रदूषण अब महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी पहुंच गया है और वहां एक नागरिक की जीवन प्रत्याशा 2000 की तुलना में 2-2.5 साल कम हो गई है। अगर सरकारें साफ हवा के लिए मजबूत नीतियां बनाती हैं तो लोगों की उम्र पांच साल तक बढ़ाई जा सकती है। गौरतलब है कि हर साल दिवाली के आसपास उत्तर भारत के राज्यों में सांस लेना दूभर हो जाता है।
भारत में वायु प्रदूषण तय सीमा से सात गुना अधिक
EPIC की एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स रिपोर्ट में शामिल किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि अगर हवा की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जाता है तो दिल्ली के नागरिकों की उम्र 10 साल तक बढ़ सकती है। 2019 में भारत में प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तय मात्रा से सात गुना अधिक था। भारत के साथ-साथ पड़ोसी देशों के हालात भी ऐसे हैं और यहां भी प्रदूषण चिंताजनक स्तर पर बना हुआ है।
सूक्ष्म कणों से होने वाला प्रदूषण सबसे बड़ा खतरा- रिपोर्ट
रिपोर्ट में भारत सरकार द्वारा प्रदूषण कम करने के लिए 2019 में शुरू किए नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इसके लक्ष्यों की प्राप्ति से जीवन प्रत्याशा में निश्चित रूप से सुधार होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि फसल अवशेष जलाने, ईंट भट्ठों और अन्य औद्योगिक गतिविधियों ने प्रदूषणकारी सूक्ष्म कणों को बढ़ाने में योगदान दिया है। ऐसा प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए दुनिया का सबसे बड़ा खतरा है।
चीन का दिया गया उदाहरण
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत, बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान दुनिया के पांच सर्वाधिक प्रदूषित देशों में शामिल हैं और यहां दुनिया की करीब एक चौथाई आबादी रहती है। प्रदूषण के खिलाफ चीन की लड़ाई का उदाहरण देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रभावी नीति से कम समय में हवा की गुणवत्ता सुधारी जा सकती है। 2013 के बाद से चीन में प्रदूषक तत्वों को उत्पादन 29 प्रतिशत तक कम कर दिया है।