दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों पर हो सकेगी छठ पूजा, कोविड प्रोटोकॉल का पालन होगा जरूरी
क्या है खबर?
दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा की अनुमति मिल गई है। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) ने बुधवार को यह फैसला लिया है।
इसकी जानकारी देते हुए दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि छठ पूजा से बहुत लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। इसलिए DDMA ने इसके सार्वजनिक आयोजन की छूट दी है।
इससे पहले प्राधिकरण ने कोरोना महामारी को देखते हुए छठ पूजा के सार्वजनिक आयोजन पर रोक लगा दी थी।
बयान
सिसोदिया बोले- कड़े प्रोटोकॉल के बीच होगा आयोजन
मनीष सिसोदिया ने फैसले की जानकारी देते हुए कहा, "शहर में कोरोना संक्रमण की रफ्तार नियंत्रण में है और चिंतित होने की बात नहीं है, लेकिन सावधान रहना होगा। आयोजन के दौरान कड़े प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।"
उन्होंने आयोजन की जानकारी देते हुए कहा कि केवल पहले से निर्धारित स्थानों पर छठ पूजा की जा सकेगी। पूजा में सीमित लोग शामिल हो सकेंगे और महामारी से बचाव के लिए सबके लिए मास्क लगाना अनिवार्य होगा।
विरोध
आयोजन पर पाबंदी का हुआ था विरोध
इससे पहले छठ पूजा के आयोजन की अनुमति न देने के कारण दिल्ली सरकार को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था।
भाजपा नेता मनोज तिवारी इसे लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के बाहर प्रदर्शन भी किया था।
तिवारी ने सवाल किया था कि जब दिल्ली मेट्रो, बस, थिएटर और शराब की दुकानें तक चल रही हैं तो कोविड नियमों का पालन करते हुए छठ पूजा का आयोजन क्यों नहीं किया जा सकता?
गुजारिश
केजरीवाल ने उप राज्यपाल को लिखा था पत्र
विपक्षी पार्टियों के बढ़ते दबाव के बीच अरविंद केजरीवाल ने उप राज्यपाल (LG) अनिल बैजल को पत्र लिखकर राजधानी में छठ पूजा के आयोजन की अनुमति देने की मांग की थी।
केजरीवाल ने अपने पत्र में लिखा था कि दिल्ली में महामारी की स्थिति नियंत्रण में है और कुछ पाबंदियों के साथ आयोजन की छूट दी जा सकती है।
बता दें कि उप राज्यपाल दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रमुख होते हैं।
जानकारी
दिल्ली ने केंद्र से मांगे थे दिशानिर्देश
इससे पहले मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर पर्व को मनाने की अनुमति और इस संबंध में दिशानिर्देश जारी करने की मांग की थी।
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को भेजे पत्र में सिसोदिया ने लिखा था कि छठ पूजा उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में मनाए जाने वाला ऐतिहासिक पर्व है। यह पूर्वांचल समाज के लिए सामाजिक-सांस्कृतिक त्योहार है और लोग इस पर्व को मनाने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।