गांधी मैदान धमाके: NIA कोर्ट ने 10 में से 9 आरोपियों को दोषी करार दिया
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने 2013 में पटना के गांधी मैदान में धमाका करने वाले 10 आरोपियों में से नौ को दोषी करार दिया है, जबकि एक आरोपी को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया है। दोषियों को 1 नवंबर को सजा सुनाई जाएगी। 2013 में आज ही के दिन गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की रैली के दिन धमाके हुए थे, जिनमें पांच लोगों की मौत हुई और 70 लोग घायल हुए थे।
इन आरोपियों को करार दिया गया दोषी
बुधवार को कोर्ट ने जिन नौ आरोपियों को दोषी करार दिया है, उनके नाम इम्तियाज अंसारी, उमर सिद्दीकी, अजहर कुरैशी, अहमद हुसैन, हैदर अली, नवाज अंसारी, मुजमुल्ला, फिरोज असलम और इफ्तेखार आलम हैं, जबकि फकरुद्दीन को रिहा किया गया है।
सिलसिलेवार हुए थे छह बम धमाके
आठ साल पहले आज ही के दिन पटना के गांधी मैदान में तब भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार रहे नरेन्द्र मोदी की 'हुंकार रैली' थी। इस दौरान रैली स्थल के आसपास कुल छह बम धमाके हुए थे। इनमें से दो धमाके मंच के 150 मीटर के दायरे में हुए थे। नरेंद्र मोदी के मंच पर पहुंचने से 20 मिनट पहले आखिरी धमाका हुआ था। बाद में जांच के दौरान चार जिंदा बम बरामद किए गए थे।
अगले दिन से NIA ने शुरू की थी जांच
धमाकों से अगले दिन ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इनकी जांच शुरू कर दी थी और एक साल से भी कम समय में 21 अगस्त, 2014 को 11 अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इन आरोपियों में एक नाबालिग भी शामिल था, जिसे जुवेनाइल बोर्ड ने तीन वर्ष की कैद की सजा सुनाई थी। इस मामले में गिरफ्तार सभी आरोपियों को बेउर जेल में कड़ी सुरक्षा में रखा गया है।
धमाकों में IED का हुआ था इस्तेमाल
बिहार पुलिस ने इन धमाकों को आतंकी हमला नहीं बताया था, लेकिन तत्कालीन DGP अभ्यानंद ने कहा कि था कि धमाकों में IED और टाइमर का इस्तेमाल हुआ है। खुफिया सूत्रों ने धमाकों में अमोनियम नाइट्रेट, डेटोनेटर्स और टाइमर्स डिवाइस के इस्तेमाल का संकेत दिया था। हैदर अली को इन धमाकों का मास्टरमाइंड बाताया जाता है। धमाकों के बाद वह भागने की कोशिश में था, लेकिन पुलिस ने समय रहते हुए उसे दबोच लिया था।
पहले से उम्रकैद काट रहे हैं पांच दोषी
आज जिन नौ आरोपियों को दोषी करार दिया गया है, उनमें से पांच पहले ही बोधगया धमाके मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। यह भी संयोग है कि कोर्ट ने घटना की तारीख को ही फैसला सुनाने के लिए चुना है।