लोकसभा से पारित हुआ विवादित नागरिकता (संशोधन) बिल, अब राज्यसभा में असली चुनौती
घंटो की लंबी बहस के बाद नागरिकता (संशोधन) बिल आज लोकसभा से पारित हो गया। बिल के समर्थन में 311 सांसदों ने वोट किया जबकि इसके विरोध में 80 वोट पड़े। अब बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। मोदी सरकार के लिए असली चुनौती यहीं आने वाली हैं क्योंकि यहां उसके पास बहुमत नहीं है। इसके अलावा उसके कुछ सहयोगी भी बिल का विरोध कर रहे हैं। हालांकि, भाजपा को राज्यसभा से बिल के पारित होने की उम्मीद है।
गृह मंत्री अमित शाह बोले, बिल के पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं
इससे पहले बिल पर तीखी बहस हुई। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इसके पीछे कोई भी राजनीतिक एजेंडा नहीं है और किसी के साथ अन्याय का कोई सवाल पैदा नहीं होता। उन्होंने कहा, "भारतीय संविधान ने 1947 में आए सभी शरणार्थियों को स्वीकार किया। देश में शायद ही ऐसी कोई जगह होगी जहां पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान से आए शरणार्थी न रहते हो। मनमोहन सिंह जी से लेकर लालकृष्ण आडवाणी जी तक, सभी इस श्रेणी में आते हैं।"
पूर्वोत्तर के राज्यों से की विरोध बंद करने की अपील
पूर्वात्तर के राज्यों से बिल का विरोध बंद करने की अपील करते हुए शाह ने कहा, "सभी चिंताओं का निपटारा कर दिया गया है। हम पूर्वोत्तर के लोगों की सामाजिक और भाषाई विशिष्टता की रक्षा कर रहे हैं। किसी को इससे डरने की जरूरत नहीं है।" उन्होंने कहा कि नागालैंड और मिजोरम इस बिल से इनर लाइन परमिट के जरिए बाहर हैं और हम मणिपुर को भी इसके अंतर्गत लाने जा रहे हैं।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी बोले, असंवैधानिक है बिल
इस बीच कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने बिल का विरोध करते हुए कहा, "ये भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 15, अनुच्छेद 21, अनुच्छेद 25 और 26 के खिलाफ है। ये बिल असंवैधानिक है और समानता के मूल अधिकार के खिलाफ है।" शाह के कांग्रेस के धार्मिक आधार पर देश का बंटवारा करने के आरोपों पर उन्होंने कहा, "मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि दो राष्ट्र के सिद्धांत की नींव 1935 में सावरकर ने अहमदाबाद में रखी थी।"
असदुद्दीन ओवैसी ने फाड़ी बिल की कॉपी
बिल पर चर्चा के दौरान AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक पर ऐतराज जताते हुए इसकी कॉपी को फाड़ दिया। बिल को फाड़ते हुए ओवैसी ने कहा कि ये भारत का एक और विभाजन होने जा रहा है।
असदुद्दीन ओवैसी ने चर्चा के दौरान नागरिकता संशोधन बिल फाड़ा
क्या है नागरिकता संशोधन बिल?
नागरिकता (संशोधन) बिल के जरिए नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन किया जाएगा। प्रस्तावित संशोधन से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अत्याचार का सामना कर रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को आसानी से भारत की नागरिकता देने का रास्ता साफ होगा। इन धार्मिक शरणार्थियों को छह साल भारत में रहने के बाद ही भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी। अभी भारत की नागरिकता हासिल करने से पहले 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है।
इसलिए हो रहा बिल का विरोध
बिल के दायरे से मुस्लिम समुदाय के लोगों को बाहर रखने के कारण विपक्षी पार्टियां इसे लेकर सवाल उठा रही हैं। उन्होंने इसे धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताया है। इसके अलावा पूर्वोत्तर के राज्यों में भी बिल का जबरदस्त विरोध हो रहा है।
अब राज्यसभा में होगी सरकार की असली चुनौती
लोकसभा से पारित होने के बाद अब बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। 245 सदस्यीय राज्यसभा में बिल को पारित कराने के लिए भाजपा को 123 सांसदों की जरूरत पड़ेगी। सदन में भाजपा के 83 सांसद हैं। ऐसे में उसके सहयोगियों का बिल को समर्थन देना उसके लिए बेहद जरूरी है। इसके अलावा बाहर से कुछ पार्टियों के समर्थन की जरूरत भी पड़ सकती है। राज्यसभा पास होने के बाद बिल मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास जाएगा।