देश की पहली महिला विदेश मंत्री, दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री, जानें सुषमा का राजनीतिक सफर
मंगलवार को पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का निधन हो गया। वो भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़े नेताओं में से एक थीं। दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। भारत की पहली पूर्णकालिक विदेश मंंत्री रहीं सुषमा के निधन पर देश-दुनिया के नेताओं ने दुख व्यक्त किया है। आइये, उनके राजनीतिक जीवन पर एक नजर डालते हैं।
अंबाला में हुआ था सुषमा स्वराज का जन्म
सुषमा स्वराज का जन्म हरियाणा के अंबाला कैंट में 14 फरवरी, 1952 को हुआ था। उनके पिता हरदेव शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के जाने-माने सदस्य थे। सुषमा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी। उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई अंबाला कैंट के सनातन धर्म कॉलेज से पूरी की और इसके बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की। कॉलेज छात्रा रहते हुए सुषमा तीन साल तक सर्वश्रेष्ठ NCC कैडेट रही थीं।
1973 में शुरू की वकालत की प्रैक्टिस
कानून की पढ़ाई के बाद सुषमा ने साल 1973 में सुप्रीम कोर्ट में वकालत करना शुरू कर दिया। करियर शुरू होने के दो साल बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में साथी वकील स्वराज कौशल से शादी कर ली। स्वराज कौशल के नाम 37 साल की उम्र में देश के सबसे युवा राज्यपाल बनने का रिकॉर्ड है। उन्हें 1990 में मिजोरम का राज्यपाल बनाया गया था। वो तीन साल तक इस पद पर रहे थे।
ये हैं सुषमा स्वराज का आखिरी ट्वीट
25 साल की उम्र में बनीं कैबिनेट मंत्री
इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी के दौरान उन्होंने जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिया। इमरजेंसी हटने के बाद उन्होंने जनता पार्टी का दामन थामा। साल 1977 में उन्होंने हरियाणा विधानसभा का चुनाव जीता और चौधरी देवीलाल सरकार में मंत्री बनी। उनके नाम सबसे कम उम्र (25 साल) में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड दर्ज है। दो साल बाद सुषमा को राज्य जनता पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया।
1990 में पहली बार बनीं राज्यसभा सांसद
भारतीय जनता पार्टी बनने के बाद वह इसमें शामिल हो गईं और दोबारा चुनाव जीतकर मंत्री बनीं। 1990 में उन्हें भाजपा ने पहली बार राज्यसभा भेजा। राज्यसभा सांसद का कार्यकाल पूरा कर सुषमा 1996 में लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्रीय मंत्री बनीं।
दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं सुषमा
साल 1998 में उन्हें केंद्रीय मंत्रीमंडल से हटाकर दिल्ली की मुख्यमंत्री का पदभार सौंपा गया। वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं। हालांकि, वह इस पद पर थोड़े समय के लिए ही रही। उन्होंने 1998 के अंत में दिल्ली विधानसभा सीट से इस्तीफा देकर अगले साल बेल्लारी से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्हें कामयाबी नहीं मिली। साल 2000 में पार्टी ने उन्हें फिर से राज्यसभा भेजा। वाजपेयी सरकार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया।
2009 में बनीं नेता विपक्ष
2004 में भाजपा लोकसभा चुनाव हारकर सत्ता से बाहर हो गई थी। इससे अगले लोकसभा चुनावोें में भी पार्टी को सत्ता नहीं मिली और उसे विपक्ष में बैठना पड़ा था। प्रखर वक्ता के रूप में अपनी पहचान बना चुकीं सुषमा को 2009 में नेता विपक्ष बनाया जाता है। विपक्ष में रहते हुए उनके कई शानदार भाषणों के चलते सरकार को काफी मुश्किलें पेश आती थी। साल 2014 में उन्हें मोदी सरकार में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया।
विदेश मंत्री रहने के दौरान सुषमा ने दुनियाभर में प्रशंसा हासिल की
साल 2014 में विदेश मंत्री बनने के साथ ही सुषमा देश की पहली पूर्णकालिक महिला विदेश मंत्री बन गई थी। उनसे पहले इंदिरा गांधी अपने समय में विदेश मंत्री रही थी, लेकिन उन्होंने यह भार प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ संभाला था। सुषमा स्वराज अपने काम को लेकर भारत की सबसे अच्छी विदेश मंत्री के रूप में गिनी जाती हैं। अपने विदेश मंत्री रहने के दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर मदद की गुहार सुनकर कई लोगों को सहायता प्रदान की।
दिल का दौरा पड़ने से थोड़ी देर पहले की थी हरीश साल्वे से बात
दिल का दौरा पड़ने से लगभग एक घंटे पहले सुषमा स्वराज ने अंतरराष्ट्रीय अदालत में कुलभूषण जाधव का मुकदमा लड़ने वाले वकील हरीश साल्वे से बात की थी। साल्वे ने बताया कि मंगलवार को 8:45 मिनट पर उनकी सुषमा से बात हुई थी। बातचीत के दौरान सुषमा ने कहा, "तुम आओ और मुझसे मिलो। मैं तुम्हें कुलभूषण जाधव केस की फीस का एक रूपया दूंगी।" सुषमा ने साल्वे को बुधवार शाम छह बजे मिलने के लिए बुलाया था।
सात बार सांसद और तीन बार विधायक चुनी गईं सुषमा
सुषमा स्वराज अपने जीवन में सात बार सांसद (राज्यसभा और लोकसभा) तीन बार विधायक चुनी गईं। उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और केंद्रीय मंत्री के तौर पर अपनी सेवाएं दी थी। उनके नाम राजनीतिक पार्टी की पहली महिला प्रवक्ता होने का रिकॉर्ड भी है।